कानूनी तौर पर किसी को उसकी जाति की गाली देना भले ही अपराध हो, लेकिन अक्सर पुलिस द्वारा दर्ज एफ़आईआर में अपराधियों और शिकायतकर्ताओं की जाति जरूर लिखी जाती है. लेकिन अब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन, हरियाणा और पंजाब सरकारों को आदेश दिया है कि वह अपने एफआईआर के फॉर्म से जाति का कॉलम हटाएं.
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का यह आदेश वरिष्ठ वकील एचसी अरोड़ा की एक जनहित याचिका की सुनवाई के बाद आया है. एचसी अरोड़ा ने अपनी याचिका में कहा था कि पंजाब पुलिस नियम, 1934 भारतीय संविधान का उल्लंघन करती है, जिसमें जातिविहीन समाज की बात की गई है.
अरोड़ा ने कहा था कि आज के परिप्रेक्ष्य में कई दशक पहले बनाए गए इन नियमों में कई खामियां हैं. क्योंकि अब पहचान के लिए हर व्यक्ति का आधार नंबर उपलब्ध है. जिसमें न केवल व्यक्ति का नाम, पता और यहां तक कि बायोमैट्रिक सूचना भी मौजूद है. ऐसे में पुलिस की एफआईआर और दूसरे फार्मों में जाति की जानकारी देना सही नहीं है.
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 16 सितंबर 2016 में हिमाचल प्रदेश सरकार को अपने सभी फार्मों और एफआईआर से जाति का कॉलम हटाने के निर्देश दिए थे. एचसी अरोड़ा ने हिमाचल हाईकोर्ट के इस आदेश का उल्लेख करते हुए अपनी याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने मान लिया.
अब जल्द ही पंजाब हरियाणा और चंडीगढ़ मैं हिमाचल की तर्ज पर एफ़आईआर से जाति का कॉलम हट जाएगा, लेकिन अनुसूचित जाति और जनजाति से संबंधित लोगों के साथ होने वाले अत्याचार के मामले में जाति का उल्लेख जारी रहेगा.