पंजाब के आढ़तियों पर पर आयकर विभाग की छापेमारी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. छापेमारी के विरोध में आढ़तियों ने अनिश्चित काल के लिए राज्य में मंडियों को बंद करने का फैसला किया है. उनका आरोप है कि आयकर के छापे राजनीतिक रूप से प्रेरित थे, क्योंकि कई आढ़तिएं किसानों के आंदोलन को समर्थन दे रहे थे.
पंजाब आढ़तियां एसोसिएशन के अध्यक्ष रविंदर सिंह चीमा ने रविवार को कहा कि एसोसिएशन ने 21 दिसंबर से राज्य भर की मंडियों को बंद करने का फैसला किया था. आयकर विभाग के बदले की कार्रवाई हैं. हम केवल किसानों को समर्थन नहीं दे रहे हैं, बल्कि नए कृषि कानूनों को लेकर आढ़तियों की भी अपनी चिंताएं हैं.
रविंदर सिंह चीमा ने कहा कि हम अपने व्यापार और हितों को बचाने के लिए विरोध कर रहे हैं. यह किसानों और कमीशन एजेंटों का एक संयुक्त संघर्ष है. हम नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपना विरोध कर रहे हैं, जिसके फलस्वरूप आयकर विभाग की छापेमारी की जा रही है. वर्तमान का परिदृश्य आपातकाल जैसा लग रहा है.
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पंजाब आढ़तियां एसोसिएश ने कहा कि हमने आयकर छापों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है. हम तब तक मंडियों को बंद रखेंगे जब तक कि इस तरह की बदले की कार्रवाई को नहीं रोका जाता. साथ ही हमने इस मुद्दे पर किसान यूनियनों से बात की है और इसके बारे में एक संयुक्त कार्रवाई जल्द ही की जाएगी.
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने 19 दिसंबर को कहा कि नोटिस के जवाब का इंतजार किए बिना पंजाब के कई बड़े आढ़तियों के परिसर में आयकर छापे मारे गए. यहां तक कि स्थानीय पुलिस को सूचित नहीं किया गया था या विश्वास में नहीं लिया गया था, जैसा कि सामान्य प्रक्रिया में होता है.