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Punjab Assembly election से पहले चंडीगढ़ नगर निगम के चुनावों में राजनीतिक दलों ने ठोकी ताल, चुनाव को बनाया प्रतिष्ठा का सवाल

चुनावी राज्य पंजाब में इन दिनों राजनीतिक हलचल तेज है. सभी राजनीतिक दल (Political Party) अपनी जमीन मजबूत करने की होड़ में लगे हैं. विधानसभा चुनावों से पहले यहां चडीगढ़ नगर निगम का चुनाव (Municipal Elections) होने जा रहा है. इसमें सभी पार्टियां उतर गई हैं. यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन रहा है.

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चंडीगढ़ नगर निगम के चुनावों में राजनीतिक दलों ने ठोकी ताल    (FILE)
चंडीगढ़ नगर निगम के चुनावों में राजनीतिक दलों ने ठोकी ताल (FILE)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बढ़ गई है ग्रामीण और ग्रामीण मतदाताओं की तादात
  • नगर निगम में इस बार जोड़े गए हैं 13 गांव

चंडीगढ़ में होने वाले नगर निगम चुनावों (Municipal Elections) में इस बार बड़े बड़े राजनीतिक दलों की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है. खासकर सत्ताधारी भाजपा के लिए मुसीबतें बढ़ गई हैं, क्योंकि किसान आंदोलन का असर एक तरफ़ जहां पूरे हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ में दिखाई दे रहा है तो वहीं अबकी बार नगर निगम में 13 गांव जोड़े गए हैं, जिनसे वार्ड की संख्या 26 से बढ़कर 35 हो गई है. ग्रामीण और ग्रामीण मतदाताओं की तादात भी ख़ासी बढ़ गई है.

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 इससे कहीं न कहीं शहरी वोटों पर अपना दावा ठोकने वाली भारतीय जनता पार्टी को थोड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. लिहाज़ा पार्टी ने अपना दमख़म दिखाने के लिए अपने स्टार कैंपेनर की लिस्ट में बड़े से बड़े नेताओं के नाम डाल दिए हैं. लिस्ट पर अगर नज़र डालें तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा अध्यक्ष JP नड्डा के नाम भी इसमें शामिल हैं.

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अगर चंडीगढ़ नगर निगम की सारी सीटों पर नज़र डालें तो कुल 26 वार्ड में से 20 पर भारतीय जनता पार्टी का क़ब्ज़ा है. पांच सीटों पर कांग्रेस और एक पर अकाली दल का क़ब्ज़ा है. हालांकि अबकी बार अकाली दल भारतीय जनता पार्टी से अलग होकर चुनाव लड़ रहा है. वहीं आम आदमी पार्टी ने जिस तरीक़े से ताल ठोंकी है. कांग्रेस जिस मूड में लड़ाई लड़ने के लिए तैयारी कर रही है, ऐसा लग रहा है कि इन चुनावों में कहीं न कहीं परिणाम आने वाले विधानसभा चुनावों की दिशा भी तय कर सकते हैं.

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नगर निगम के चुनाव 24 दिसंबर को होंगे और इनके परिणाम की घोषणा 27 दिसंबर को कर दी जाएगी. भाजपा ने जिस जिस राज्य के सत्ताधारी मुख्यमंत्रियों और बड़े नेताओं को बुलाया है तो कांग्रेस पार्टी ने भी उसी राज्य के अपने विरोधी बड़े नेताओं को चंडीगढ़ में प्रचार के लिए बुलाया है. पंजाब के मुख्यमंत्री चरनजीत चन्नी समेत पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा या फिर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जैसे तमाम बड़े नेताओं को प्रचार की कमान सौंपी गई है.

मतदान से 72 घंटे पहले खत्म हो जाएगा चुनाव प्रचार

चंडीगढ़ नगर निगम के चुनावों में अबकी बार कई तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं. चुनाव ख़र्च की राशि बढ़ाकर 5 लाख कर दी गई है. वहीं चुनाव प्रचार का समय जो कि पहले 10 बजे से देर शाम तक होता था, अब सिर्फ़ शाम 7 बजे तक ही होगा. उम्मीदवार नामांकन भी ऑनलाइन दाख़िल कर सकते हैं. इसके साथ ही मतदान से 72 घंटे पहले चुनाव प्रचार भी ख़त्म हो जाएगा, जोकि पहले 48 घंटे पहले तक चलता था.

कोविड प्रोटोकोल को ध्यान में रखते हुए किए गए बदलावों के अलावा सबसे दिलचस्प कहीं न कहीं चुनावी माहौल है. ख़ासकर जिस तरीक़े से सभी राजनैतिक दलों ने अपने बाहुबली नेताओं को मैदान में उतारा है. ये कहीं न कहीं सर्दी के माहौल में गर्मी का एहसास इन चुनावों में पैदा कर रहा है. आम आदमी पार्टी ने भी स्टार कैंपेनर की लिस्ट में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, भगवंत मान समेत बड़े नेताओं के नाम डाले हैं.

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