पंजाब में अब धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी करने पर उम्रकैद की सजा हो सकती है. मंगलवार को पंजाब विधानसभा में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में बदलाव कर धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी को उम्रकैद की सजा के साथ दंडनीय बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया.
इस प्रस्ताव को पंजाब के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री विजय इंदर सिंगला ने पेश किया था. जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया.
सिंगला ने बताया कि पिछले कुछ में अलग-अलग धर्मग्रंथों की बेअदबी की घटनाएं सामने आई हैं. इसलिए राज्य को शांति व्यवस्था और सांप्रदायिक एकता बनाए रखने के लिए बिल को लाया गया है.
इस बारे में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने कहा कि पिछली शिअद-भाजपा सरकार के दौरान 2016 में पंजाब विधानसभा ने भारतीय दंड संहिता (पंजाब संशोधन) विधेयक, 2016 और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (पंजाब संशोधन) विधेयक, 2016 को पारित किया था.
लेकिन तब इन संशोधनों को गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में उम्रकैद की सजा का प्रावधान करने के लिए लाया गया था. हालांकि, केंद्र सरकार ने उस वक्त यह कहते हुए इस पर आपत्ति जताई थी कि उम्रकैद की सजा को केवल एक धर्मग्रंथ और धर्म तक सीमित नहीं किया जा सकता और यह सभी के लिए होना चाहिए.
छह माह के भीतर पूरी हो सुनवाई...
सदन में विधेयक पर बहस के दौरान आप के विधायक अमन अरोड़ा ने कहा कि राज्य में अब तक 122 धर्म ग्रंथों के बेअदबी के मामले सामने आए हैं. उन्होंने मांग की कि विधेयक में एक संशोधन के जरिये मामले की सुनवाई को छह माह के भीतर पूरा करने को अनिवार्य बनाया जाए. वहीं, अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि उनकी पार्टी विधेयक का समर्थन करती है.