पंजाब आम आदमी पार्टी (AAP) बहबल कलां और कोटकपूरा गोलीकांड को लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार पर हमलावर हो गई है. आप नेता भगवंत मान ने कहा कि हाल ही में हाई कोर्ट के आदेश के बाद आईपीएस कुंवर विजय प्रताप सिंह का इस्तीफा कैप्टन अमरिंदर सिंह और बादल के बीच की मिलीभगत को साबित करता है.
भगवंत मान ने कहा कि 2015 में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बरगाड़ी में बेअदबी में हुई, जिसके बाद पुलिस ने फायरिंग की थी, आंसू गैस के गोले छोड़े थे और पानी की तोपों का इस्तेमाल किया था, जिसमें दो लोग शहीद हो गए थे और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. उन्होंने कहा कि सरकार ने इसकी जांच भी करवाई, लेकिन अभी तक कोई सार्थक निष्कर्ष निकला.
आप सांसद भगवंत मान ने कहा कि 2015 से 2017 तक वे क्या मांग कर सकते थे, क्योंकि उस समय जो आरोपी थे, वे सरकार में थे. उन्होंने कहा कि पहले रिटायर्ड जस्टिस जोरा सिंह द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को नकार दिया गया, इसके बाद न्यायमूर्ति रंजीत सिंह के नेतृत्व में एक आयोग का गठन उस मामले की जांच के लिए किया गया.
भगवंत मान ने कहा कि आज एक साल से ज्यादा का समय बीत चुका है, उस आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश हुए. फिर बाद में आईजी कुंवर विजय प्रताप सिंह के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया, जिसने कड़ी मेहनत की और सभी स्थानों पर जाकर सबूत इकट्ठे किए और यह रिपोर्ट तैयार की.
उन्होंने कहा कि अधिकारी ने अज्ञात पुलिस के संबंध में दर्ज मामलों को भी हटा लिया. एक गृह मंत्री और एक एसएसपी को अच्छी तरह से पता होता है कि उनकी पुलिस कहां जा रही है या क्या कर रही है. एसआईटी ने अदालत में 9 चालान पेश किए लेकिन तीन साल बाद अचानक सभी को डंप कर दिया गया.
कैप्टन अमरिंदर सिंह और बादल पर आरोप लगाते हुए भगवंत मान ने कहा कि मैं यह लंबे समय से कह रहा हूं कि कैप्टन और बादल मिले हुए हैं, अब इस बात का कोई सबूत देने की जरूरत नहीं है क्योंकि उनकी सांठगांठ सामने आ गई है।.
उन्होंने कहा कि कोर्ट ने पंजाब सरकार के अधिवक्ताओं से पूछा था कि क्या वे चाहते हैं कि सीबीआई या हरियाणा पुलिस से इसकी जांच कराई जाए या कुंवर विजय प्रताप के बिना एक नई एसआईटी बनाई जाए? तो यह बेहद चौंकाने वाला था कि कैप्टन सरकार के अधिवक्ताओं ने अदालत द्वारा दी गई सीबीआई और हरियाणा पुलिस वाले दो विकल्पों को नकार कर नई एसआईटी बनाने का विकल्प चुना.
भगवंत मान ने कहा कि कैप्टन सरकार अब हाईकोर्ट के फैसले को कैसे चुनौती दे सकती है, जब यह उनकी सहमति के बाद किया गया था. सुप्रीम कोर्ट का नाम लेकर सरकार मामले को टालना चाहती है. अब सुप्रीम कोर्ट में एक साल और नई एसआईटी में और चार साल लगेंगे. फिर मामला ऐसे ही खत्म हो जाएगा. मान ने कहा, क्या दो सिखों के जीवन का कोई मूल्य नहीं है, जो शहीद हो गए?
भगवंत मान ने कहा कि अब कैप्टन कह रहे हैं कि उन्हें कुंवर विजय की जांच रिपोर्ट पर पूरा भरोसा है तो फिर उन्होंने अदालत में रिपोर्ट पर कोर्ट में बहस करने के लिए अच्छे वकील क्यों नहीं रखे? उन्होंने कहा कि पिछले चुनावों के समय जांच रिपोर्ट में सुखबीर बादल का नाम सामने आ रहा था, इसीलिए उन्होंने उनका तबादला करवा दिया, अब उन्होंने (कैप्टन अमरिंदर) फिर से एक ईमानदार पुलिस अधिकारी के करियर को दागदार कर दिया है, जिन्हें कई मामलों में उच्च न्यायालय द्वारा जांच अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था.
उन्होंने कहा कि कैप्टन ने एक ईमानदार पुलिस अधिकारी के करियर को कलंकित किया है और अब उनकी जांच रिपोर्ट की तारीफ कर उसपर भरोसा जताने का ड्रामा कर रहे हैं, कुंवर विजय प्रताप का इस्तीफा कैप्टन-बादल की सांठगांठ का सबूत है, अधिकारी ने दिखाया है कि इस तरह के माहौल में जांच करना मुमकिन नहीं है.
भगवंत मान ने कहा कि पंजाब का हर बच्चा जानता है कि मामले में दोषी कौन हैं, लेकिन कैप्टन अमरिंदर ने आरोपियों को बचा रहे हैं. उन्होंने कहा कि बादल ने भी कैप्टन के खिलाफ सिटी सेंटर घोटाले और इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के मामलों को वापस ले लिया था और अब कैप्टन उस कर्ज को ब्याज के साथ चुका रहे हैं.