पंजाब में अगले साल शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने है. मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच पिछले काफी समय से चल रहा विवाद अब कांग्रेस की परेशानी का कारण बनता जा रहा है. यही वजह है कि दोनों नेताओं के बीच सुलह कराने के लिए अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के द्वारा बनाई तीन सदस्यों वाली केंद्रीय कमेटी सक्रिय हो गई है. सूबे के दो दर्जन विधायकों को दिल्ली तलब किया गया है, जिनके साथ केंद्रीय कमेटी बात कर सुलह का रास्ता निकालेगी. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कैप्टन और सिद्धू के रिश्तों में आई खटास खत्म हो सकेगी?
पंजाब कांग्रेस में चल रही सियासी वर्चस्व की लड़ाई को खत्म करने के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के द्वारा बनाई गई कमेटी में हरीश रावत, मल्लिकार्जुन खड़गे और जय प्रकाश अग्रवाल शामिल हैं. यह तीन सदस्यीय कमेटी पंजाब कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक करके उनका फीडबैक लेगी. केंद्रीय कमेटी तीन स्तर पर बैठक करेगी, जिनमें पहले हिस्से में मंत्री और विधायक हैं. पहले चरण की बैठक में शामिल होने के लिए दो दर्जन से ज्यादा विधायक दिल्ली पहुंचे हैं, जिनमें 8 मंत्री भी शामिल हैं.
वहीं, दूसरे हिस्से में पार्टी के सांसद, राज्यसभा सदस्य और प्रदेश अध्यक्ष के साथ मंथन किया जाएगा और उनसे फीडबैक लेगी. इसके बाद तीसरे चरण में केंद्रीय कमेटी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से भी बात करेगी. हालांकि, अभी यह तय नहीं है कि कमेटी मुख्यमंत्री के साथ कब बैठक करेगी. केंद्रीय कमेटी सभी विधायकों और मंत्रियों के साथ-साथ सांसद के साथ बातचीत करने के बाद अपनी रिपोर्ट सोनिया गांधी को सौंपेंगे. माना जा रहा है कि यह तमाम कोशिशें चुनाव के पहले पार्टी की आपसी गुटबाजी को विराम लगाने की है.
सोमवार को पहले चरण की बैठक में शामिल होने वाले नेताओं में कैबिनेट मंत्रियों में ब्रह्म मोहिंद्रा, मनप्रीत बादल, ओपी सोनी, साधु सिंह धर्मसोत, सुंदर शाम अरोड़ा, अरुणा चौधरी, सुखजिंदर रंधावा, बलबीर सिंह सिद्धू शामिल हैं. इस बैठक में स्पीकर राणा केपी सिंह और विधायकों में राणा गुरजीत सिंह, रणदीप सिंह नाभा, संगत सिंह गिलजियां, गुरकीरत कोटली, कुलजीत नागरा, पवन आदिया, राजकुमार वेरका, इंदरबीर बुलारिया और सुखविंदर सिंह डैनी भी शामिल हैं.
वहीं, नवजोत सिंह सिद्धू को पहले दिन मिलने वाले विधायकों की लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है. सिद्धू मंगलवार को कमेटी के सामने अपनी बात रखेंगे. कैप्टन अमरिंदर के खिलाफ नवजोत सिंह सिद्धू लगातार बागी रुख अपनाए हुए हैं तो मुख्यमंत्री के समर्थक नेता और विधायक सिद्धू को पार्टी से बाहर किए जाने की मांग कर रहे हैं. कैप्टन और सिद्दू के बीच चल रही खींचातानी पार्टी के लिए सिरदर्द बनती जा रही है.
बता दें कि साल 2015 के गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटना के बाद फरीदकोट के कोटकपूरा में धरने पर बैठे लोगों पर हुई फायरिंग को लेकर पंजाब सरकार ने एसआईटी बनाई थी. पिछले महीने हाईकोर्ट ने इस एसआईटी और उसकी रिपोर्ट को खारिज कर दिया था, जिसे लेकर कांग्रेस में खासी खींचतान शुरू हो गई. कांग्रेस के एक धड़े ने यह आरोप लगाया कि एडवोकेट जनरल ने कोर्ट में सही ढंग से केस को पेश नहीं किया, जिसके चलते यह स्थिति हुई है.
नवजोत सिंह सिद्धू को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलना के मौका मिल गया. नवजोत सिद्धू ने ही बेअदबी और कोटकपूरा फायरिंग मामले को लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह के कामकाज पर सबसे पहले सवाल उठाते हुए उन्हें अयोग्य गृह मंत्री तक कह डाला था.
वहीं, कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने बेअदबी के मुद्दे पर ही मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान ही मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा थमा दिया था, जिसे कैप्टन ने नामंजूर कर दिया था. नाराज विधायकों-मंत्रियों की लगातार होने वाली बैठकों में चरणजीत सिंह चन्नी भी शामिल रहे हैं, जिनके खिलाफ राज्य महिला आयोग द्वारा अचानक ढाई साल पुराना मी-टू का केस खोलने के लेकर कांग्रेस में विवाद और गहरा गया था.
दरअसल, पंजाब अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके पार्टी ने मंत्रियों और विधायकों को बुलाने में भी संतुलन बनाने की कोशिश की है. इसीलिए कमेटी ने पंजाब एक जोन के विधायकों को एक बार में नहीं बुलाया, बल्कि माझा, दोआबा और मालवा के विधायकों को एकसाथ बुलाया है, ताकि हर एक जोन का सही फीडबैक मिल सके. इसके अलावा सभी सांसदों और पार्टी संगठन के साथ मंथन किया जाएगा. ऐसे में देखना है कि सोनिया गांधी की यह कोशिश क्या सिद्धू और कैप्टन को एक साथ फिर से खड़ा कर सकेगी!