पंजाब की नई सरकार ने सत्ता संभालते ही मंत्रियों और अधिकारियों की गाड़ियों से लाल बत्ती उतरवाने का ऐलान भले ही कर दिया हो, लेकिन राज्य के लोगों को एकदम लाल बत्ती संस्कृति से निजात मिल जाएगी ऐसा लगता नहीं. सोमवार को आजतक ने जब पंजाब सचिवालय में एक रीयलटी चेक किया तो पाया की लाल बत्ती हटाने के फ़ैसले के दो दिन बाद मुख्य सचिव करण अवतार सिंह खुद एक लाल बत्ती लगी कार से दफ़्तर पहुचे.
हालांकि, सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों की ज़्यादातर गाड़ियों से लाल बत्तियां गायब हैं, लेकिन सरकार के एक मंत्री गुरजीत सिंह ऐलान कर चुके हैं कि वह लाल बत्ती लगाना बंद नही करेंगे. उधर सरकार ने मंत्रियों और बाबुओं की कारों से लाल बत्तियां तो हटाने के आदेश तो जारी कर दिए हैं, लेकिन राज्य के विभिन्न न्यायालयों के जजों की बात इन आदेशों में नही की गई है.
इस बारे में जब राज्य के वित मंत्री मनप्रीत सिंह बादल से बात की गई तो उन्होंने इसका फ़ैसला खुद जजों पर ही छोड़ दिया. उधर विपक्ष पंजाब सरकार के लाल-बत्ती हटाने वाले फ़ैसले से इत्तफाक नही रखता. विपक्ष के नेताओं का मानना है की महज लाल बत्ती हटाने से वीआइपी संस्कृति से छुटकारा नही मिलेगा, क्योंकि प्रभाशाली लोगों और उनके परिवार के सदस्यों को वीआइपी सुविधाएं जैसे सुरक्षा, महंगी गाड़ियां या फिर नौकर-चाकर और विशेषाधिकार मिलते रहेंगे.
गौरतलब है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह मंत्रिमंडल ने शनिवार को अपनी पहली बैठक में सरकारी गाड़ियों से लाल-बत्तियां हटाने का फ़ैसला लिया था, जिसकी नोटिफिकेशन जारी कर दी गई है. राज्य में अब किसी भी गाड़ी पर लाल बत्ती लगाना क़ानूनी जुर्म होगा. ऐसे वाहनों को पुलिस जब्त करके उनके मालिकों पर जुर्माना भी करेगी.