पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की हिंदू नेताओं से गुरुवार को मुलाकात के बाद राज्य में नया ट्विस्ट आ गया है. माना जा रहा है कि पंजाब सीएम के इस हिंदू कार्ड के खेलने के बाद एक बार फिर से नवजोत सिंह सिद्धू बैकफुट पर आ गए हैं. प्रदेश अध्यक्ष के पद पर नवजोत सिंह सिद्धू के नाम पर हिंदू नेताओं का विरोध दर्ज करा कैप्टन ने सिद्धू को करारा जवाब दिया.
इसके साथ ही, पार्टी हाईकमान की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं. इससे पहले पंजाब कमेटी के सामने भी कैप्टन यह बात कह चुके हैं कि नया प्रदेश अध्यक्ष हिंदू समुदाय से होना चाहिए. अब हिंदू नेताओं से कहलवा कर उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू के अरमानों पर लगभग-लगभग पानी फेर दिया है.
समुदाय की अनदेखी से नाराज
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में हिंदू नेताओं ने पार्टी के रवैया को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की. नेताओं ने सरकार के मंत्रियों को जमकर कोसा. मंत्रियों के परफॉर्मेंस पर सवाल खड़े करते हुए उन्होंने कहा कि लगातार उनके कामकाज भ्रष्टाचार की शिकायतें आ रही हैं. नेताओं ने कहा कि पिछले साढ़े चाल साल तक पंजाब के सीएम को उनकी याद नहीं आई. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पार्टी पंजाब में जीत दिलाने में हिंदू समुदाय का योगदान भूल गई.
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नेताओं की चेतावनी
बात यहां तक आ गई कि कुछ नेताओं ने यह भी कहा कि वह सुखबीर बादल से जाकर मुलाकात कर चुके हैं और अगर हिंदुओं की अनदेखी होती रही तो उनके पास कोई और उपाय नहीं रहेगा. सूत्रों के अनुसार, नेताओं ने बैठक में कैप्टन को यह भी याद दिलाया कि जब कांग्रेस से हिंदू नाराज हुआ है तो पंजाब में कांग्रेस दो दर्जन सीटों से कम में सिमट कर रह गई.
पंजाब में हिंदुओं की 39 फीसदी आबादी
दरअसल, पंजाब में हिंदू समुदाय की आबादी लगभग 39 प्रतिशत है. नेताओं की शिकायत थी कि शहरी इलाकों में हिंदू अच्छी संख्या में है. बठिंडा ,अमृतसर, मोहाली ,लुधियाना, गुरदासपुर जैसे शहरों में हिंदू बहुमत में हैं. इसके बावजूद भी वहां पर उनको तवज्जो नहीं मिलती. नेताओं की दलील थी कि प्रदेश में हिंदू एक करोड़ से ज्यादा की संख्या में हैं. ऐसे में उनकी अनदेखी पार्टी के लिए घातक साबित हो सकती है.
प्रियंका के हस्तक्षेप से पार्टी में गलत संदेश
ऐसे में एक बार फिर से सिद्धू के प्रदेश अध्यक्ष बनने की संभावना को तगड़ा झटका लगा है. कांग्रेस पार्टी में एक धड़े को लगता है कि प्रदेश के इंचार्ज हरीश रावत को बाईपास करके सिद्धू की सीधे प्रियंका गांधी और फिर राहुल से मुलाकात लंबे समय में पार्टी के लिए कारगर नहीं. इससे काडर में गलत मैसेज जाता है. इस बात पर भी कोई संशय नहीं है कि कैप्टन पर ही विधायकों ने अपना भरोसा जताया है. उनके नेतृत्व में ही पार्टी आने वाले विधानसभा चुनाव लड़ेगी. ऐसे में इस तनातनी से न सिर्फ पार्टी को झटका लगा है, बल्कि कैप्टन की छवि भी कुछ धूमिल हुई है. वहीं, सूत्रों की मानें तो सिद्धू को 2 पद का ऑफर मिल सकता है. एक कैंपेन कमेटी के इंचार्ज और दूसरा स्क्रीनिंग कमिटी में जगह.