केंद्र सरकार द्वारा तीनों कृषि कानून को वापस लिए जाने के फैसले को उत्तर प्रदेश और पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. यही वजह है कि अब इस पर राजनीति भी तेज होती जा रही है.
केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के फैसले पर पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि इसमें देरी हुई लेकिन यह स्वागत योग्य कदम है. उन्होंने इसे लोगों और लोकतंत्र की जीत के रूप में वर्णित किया और कहा कि खराब हो चुके दूध पर अब रोने का कोई फायदा नहीं है. ये कृषि कानून पास ही नहीं होने चाहिए थे.
चन्नी ने कृषि कानूनों के खिलाफ बीते करीब एक साल से किसानों के आंदोलन को लेकर कहा कि पंजाब सरकार किसानों के साथ थी. किसानों के आगे केंद्र को मजबूर होकर कानूनों को रद्द करना पड़ा है.
उन्होंने कहा कृषि को बर्बाद करने के लिए तीन कानून पारित किए गए थे और इसके लिए साजिश रची गई थी. कानून वापस लेने का फैसला लोकतंत्र की जीत है.
सीएम चन्नी ने कहा, हम कानूनों के निरस्त होने तक इंतजार करेंगे. चन्नी ने ट्वीट कर पीएम नरेंद्र मोदी से एमएसपी को कानूनी अधिकार बनाने का भी आग्रह किया.
इतना ही नहीं बीजेपी की पूर्व सहयोगी अकाली दल को लेकर भी चन्नी ने निशाना साधा और कहा कि अकाली दल ने नए कृषि कानूनों का समर्थन किया था और अगर ऐसा नहीं होता तो ये कानून नहीं बनते.
चन्नी ने अकाली दल पर तंज कसते हुए कहा, बादल पहले तो कानूनों की तारीफ कर रहे थे लेकिन जब किसानों ने इसका विरोध किया तो उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया.
पंजाब में मजबूत हो रही आम आदमी पार्टी पर भी कृषि बिल की वापसी को लेकर सीएम चन्नी ने निशाना साधा. कृषि कानूनों को लेकर चन्नी ने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार ने इसके लिए अधिसूचना भी जारी कर दी थी.
इसके साथ ही चन्नी ने मोदी सरकार से राज्य और किसानों को संघर्ष के दौरान हुई जान-माल की क्षति की भरपाई करने की भी मांग की. सीएम चन्नी ने किसानों और मजदूरों को कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिए आर्थिक पैकेज देने की मांग भी रखी.
चन्नी ने कहा, जब तक कानून को संसद के जरिए खत्म नहीं कर दिया जाता हम चौकस रहेंगे. उन्होंने कहा किसान आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों को मुआवजा भी दिया जा रहा है और ऐसे परिवारों में एक शख्स को सरकारी नौकरी भी दी जाएगी. चन्नी ने आंदोलन में मारे गए लोगों की याद में स्मृति स्मारक के निर्माण का भी ऐलान किया.
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