पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने आज बुधवार को ट्विटर पर सीमा सुरक्षा बल (BSF) के अधिकार क्षेत्र को पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 50 किलोमीटर के दायरे में बढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले की निंदा की और इसे वापस लेने की मांग भी की. इससे पहले, बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र सीमा पर 15 किमी का बेल्ट था.
अपने अधिकार क्षेत्र में, बीएसएफ के अधिकारियों को पुलिस में अपने समकक्षों के समान गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती का अधिकार है. अब मजिस्ट्रेट के आदेश और वॉरंट के बिना भी बीएसएफ अपने अधिकार क्षेत्र के अंदर गिरफ्तारी और तलाशी कर सकती है.
पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी ने केंद्र सरकार के कदम को "संघवाद पर सीधा हमला" करार दिया और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस फैसले को वापस लेने का अनुरोध किया.
I strongly condemn the GoI's unilateral decision to give additional powers to BSF within 50 KM belt running along the international borders, which is a direct attack on the federalism. I urge the Union Home Minister @AmitShah to immediately rollback this irrational decision.
— Charanjit S Channi (@CHARANJITCHANNI) October 13, 2021
गृह मंत्रालय का नोटिस
अपने नोटिस में गृह मंत्रालय ने लिखा था, "11 अक्टूबर को लागू किया गया संशोधन उस क्षेत्र को परिभाषित करने में एकरूपता स्थापित करता है जिसके भीतर सीमा सुरक्षा बल अपने कर्तव्यों के चार्टर के अनुसार काम कर सकता है और तैनाती के अपने क्षेत्रों में अपनी भूमिका तथा सीमा सुरक्षा के कार्य का निष्पादन कर सकता है. इससे सीमा पार अपराध को रोकने में बेहतर परिचालन प्रभावशीलता का विस्तार होगा."
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गुजरात में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्र को 80 किमी से घटाकर 50 किमी कर दिया गया है. जबकि राजस्थान में पहले की तरह 50 किमी का दायरा बरकरार रखा गया है. 5 पूर्वोत्तर राज्यों मेघालय, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, मणिपुर के अलावा जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख में, कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है, जैसा कि पहले होता था.
सीमा सुरक्षा बल अधिनियम, 1968 की धारा 139, जो केंद्र को बल के अधिकार क्षेत्र को अधिसूचित करने का अधिकार देती है, कि जरुरत पड़ने पर ऐसा कोई भी आदेश संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखा जाए. सदन इन आदेशों को संशोधित या रद्द कर सकता है.
पंजाब के डिप्टी सीएम की नाराजगी
पंजाब के उपमुख्यमंत्री एस सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी बयान जारी कर केंद्र के इस कदम की आलोचना की और अमित शाह से फैसला वापस लेने का अनुरोध किया.
उन्होंने कहा कि यह "अतार्किक" निर्णय सीमा सुरक्षा बलों को बढ़ाने की भावना के बिल्कुल खिलाफ था, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ध्यान केंद्रित करने और रक्षा की पहली पंक्ति के रूप में कार्य करने की जरुरत होती है. उन्होंने इसे संघवाद पर हमला बताया और कहा कि वह इस मुद्दे को सुलझाने के लिए व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे.
डिप्टी सीएम एस सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा, "राज्य सरकार और संघवाद की भावना को कमजोर करने के अलावा, भारत सरकार द्वारा मौजूदा व्यवस्थाओं को एकतरफा बदलने के लिए कोई उचित कारण नहीं हैं."
विपक्ष की प्रतिक्रिया
शिरोमणि अकाली दल (SAD) और आम आदमी पार्टी (AAP) सहित विपक्षी दलों ने केंद्र के फैसले की आलोचना की.
अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने सीएम चन्नी से अनुरोध किया, "आपको लोगों को बताना चाहिए कि केंद्र के इस अपमानजनक कदम को रोकने के लिए आप वास्तव में क्या करने का प्रस्ताव रखते हैं."