पंजाब कांग्रेस में जारी अंदुरुनी कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पार्टी के स्टार प्रचारक नवजोत सिंह सिद्धू के बीच सुलह का जो फॉर्मूला तैयार हुआ है, उसके जमीन पर उतरने से पहले पेच फंसता दिख रहा है. फॉर्मूले के मुताबिक सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दिए जाने की बात थी, जिसे लेकर पंजाब के हिंदू और दलित नेता खिलाफ हो गए हैं. ऐसे में देखना है कि कांग्रेस हाईकमान अब क्या सुलह का क्या नया फॉर्मूला अपनाता है?
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच जारी सियासी वर्चस्व की जंग को विराम देने के लिए शीर्ष नेतृत्व ने कई दौर की बैठक की थी. इसी के बाद सुलह के फॉर्मूले के तहत नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपने पर सहमति बनी थी.. वहीं, चुनाव से पहले जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए सिद्धू के साथ एक हिंदू और एक दलित नेता को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की खबरें आई थी.
सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के फॉर्मूले को लेकर कैप्टन गुट नाराज माना जा रहे है. पंजाब में गुरुवार को हुई बैठक में कांग्रेस के दलित और हिंदू नेताओं ने अपनी भड़ास निकाली. बता दें कि कैप्टन भी प्रदेश की कमान किसी हिंदू नेता को दिए जाने की वकालत कर रहे थे.
पूर्व केंद्रीय मंत्री और आनंदपुर साहिब से लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने अपने ट्वीट में परोक्ष रूप से हिंदू समुदाय के साथ सौतेले व्यवहार का मुद्दा उठाया. मनीष तिवारी ने अपने ट्वीट में कहा कि पंजाब प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष दोनों है, जहां सिख 57.75 प्रतिशत, हिंदू 38.49 प्रतिशत और दलित 31.94 प्रतिशत मतदाता हैं.
कांग्रेस के प्रमुख नेता पवन दीवान ने अपने ट्वीट में कांग्रेस नेतृत्व से सवाल किया कि वह पंजाब के हिंदुओं के लिए क्या कर रही है. पवन दीवान ने राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और हरीश रावत को टैग कर कहा है कि पंजाब के मुख्यमंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष, युवा कांग्रेस अध्यक्ष, प्रचार समिति के अध्यक्ष सभी जाट हैं. पूछा कि इसमें हिंदू कहां हैं? साथ ही सवाल खड़ा किया कि जाट नेता को पंजाब कांग्रेस प्रमुख के रूप में नियुक्त करना हिंदू समुदाय के साथ अन्याय होगा.
दरअसल, नवजोत सिद्धू और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह दोनों ही जाट सिख हैं. कैप्टन के खेमे ने पीसीसी प्रमुख पद के लिए मनीष तिवारी और विजय इंदर सिंगला सहित दो हिंदू नेताओं के नामों का समर्थन किया था. पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए दलित और हिंदू नेताओं की उम्मीदवारी का समर्थन करने के अलावा कैप्टन के खेमे ने कांग्रेस संगठन में नवजोत सिद्धू की वरिष्ठता का मुद्दा भी उठाया था, क्योंकि वह 2017 में ही पार्टी में शामिल हुए थे.
कांग्रेस महासचिव और पंजाब के प्रभारी हरीश रावत गुरुवार को कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके खेमे के विरोध करने के बाद नवजोत सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की बात से पीछे हट गए हैं. हालांकि, ऐसे में कांग्रेस हाईकमान ने सिद्धू को दिल्ली बुलाया है, जहां वो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रभारी हरीश रावत से मुलाकात करेंगे. ऐसे में सिद्धू को लेकर शुक्रवार को औपचारिक घोषणा होने की उम्मीद है.