पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने राज्य में नए ट्रैफिक रूल्स को फिलहाल लागू नहीं करने का फैसला किया है. राज्य के परिवहन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सभी पार्टियों से सलाह मशविरा करने के बाद ही नए रूल्स को अमल में लाने का फैसला किया जाएगा. राज्य सरकार अब भी निश्चित नहीं है कि नए ट्रैफिक रूल्स को जस का तस अमल में लाया जाएगा या उनमें कुछ निश्चित बदलाव किए जाएंगे.
गुजरात के बाद पंजाब दूसरा राज्य है जिसने नए ट्रैफिक रूल्स को लागू नहीं किया है. सिख धर्म के लोग हेलमेट पहनने को अपनी धार्मिक परंपराओं के अनुरूप नहीं मानते. सिखों को हेलमेट पहनने से छूट मिलती रही है. पगड़ी पहनने वाली सिख महिलाओं को भी हेलमेट पहनने से छूट हासिल है, लेकिन सड़कों पर बिना पगड़ी पहने पुरुषों और महिलाओं को भी बिना हेलमेट दोपहिया वाहनों पर सवार देखा जा सकता है.
पंजाब में सभी आयु वर्ग के लोग, खासतौर पर युवा हेलमेट पहनने से परहेज करते हैं. आंकड़े बताते हैं कि देश में होने वाले कुल सड़क हादसों में से 3.3% से 3.5% अकेले पंजाब में होते हैं.
सड़क सुरक्षा विश्लेषण से जुड़ी ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में औसतन हर दिन 13 लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं. पंजाब में हर 10 लाख लोगों पर 155 मौत सड़क हादसों में रिकॉर्ड की गई है, जो कि 111 के राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा है.
2011 से 2018 के बीच पंजाब मे 37,812 लोग सड़क हादसों में मारे गए. तंदरुस्त पंजाब मिशन रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में 2018 में बीते वर्ष की तुलना में सड़क हादसों में होने वाली मौतों में 6% का इज़ाफ़ा हुआ. 2018 में राज्य में 2,540 लोगों की मौत तेज़ रफ्तार वाहनों की वजह से हुई. पंजाब में सड़क हादसों में मरने वाले लोगों में से 75% की उम्र 18 से 45 के बीच थी.
पंजाब के पास ट्रैफिक पुलिस के आधुनिकीकरण के लिए फंड की कमी है. राज्य सरकार ने सड़क सुरक्षा फंड के लिए 20 करोड़ रुपए आवंटित किए लेकिन फंड जारी नहीं किया गया.
एक अनुमान के मुताबिक पंजाब में एक लाख लोगों पर सिर्फ 8 ट्रैफिक पुलिसकर्मी तैनात हैं. राज्य ट्रैफिक पुलिस के पास बॉडी कैमरा, ब्रेथ एनेलाइजर्स और स्पीड रडार जैसे उपकरणों की कमी है. ऐसे में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों का चालान करने में ट्रैफिक पुलिस को दिक्कत आती है.