पंजाब में बीती रात कार्यकारी डीजीपी इकबाल प्रीत सिंह सहोता को हटाकर सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को डीजीपी के पद पर नियुक्त किया गया. चुनाव से ठीक पहले हुए इस फेरबदल से पंजाब की सियासत गरमा गई और अकाली-बीएसपी गठबंधन के साथ ही आम आदमी पार्टी ने भी पंजाब की कांग्रेस सरकार को इस मुद्दे पर घेर लिया. इसी बीच पंजाब की कांग्रेस सरकार पर अकाली दल और उनकी सहयोगी बहुजन समाज पार्टी ने सबसे बड़ा हमला बोला .
पंजाब में रातों-रात डीजीपी बदले जाने के मामले को शिरोमणि अकाली दल की सहयोगी बहुजन समाज पार्टी ने दलित रंग देते हुए कहा कि जिन कार्यकारी डीजीपी इकबाल प्रीत सिंह सहोता को पद से हटाया गया है वो दलित सिख चेहरे हैं, लेकिन जब से उन्हें पद पर बिठाया गया था तब से पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू उनके खिलाफ एक मुहिम चलाए हुए थे.
जसबीर सिंह ने कहा कि एक दलित व्यक्ति जोकि 25 साल बाद कार्यकारी डीजीपी के पद पर बैठा उसे पद से हटाकर कांग्रेस ने अपनी दलित और सिख विरोधी सोच एक बार फिर से उजागर की है. और नवजोत सिंह सिद्धू के दबाव में चरणजीत सिंह चन्नी ने एक बार फिर से जो ये फैसला लिया है वो साबित करता है कि चरणजीत सिंह चन्नी सिर्फ कांग्रेस के गुलाम हैं और एक कागजी मुख्यमंत्री हैं.
सुखबीर सिंह बादल ने लगाए आरोप
बहुजन समाज पार्टी की सहयोगी अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने आरोप लगाया कि जो भी अफसर पंजाब की कांग्रेस सरकार के दबाव में आने से इनकार करता है और विपक्षी पार्टी के नेताओं पर झूठे मुकदमे दर्ज करने के लिए मना करता है उन्हें इसी तरह से पद से हटाया जा रहा है. सुखबीर सिंह बादल ने पंजाब की कांग्रेस सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि जो भी अफसर राजनीतिक दबाव के चलते अकाली दल के नेताओं पर झूठी कार्यवाई करेगा उसके खिलाफ अकाली-बीएसपी सरकार बनने पर कार्यवाई की जाएगी. सरकार के कार्यकाल के अंतिम 3 महीनों में जो भी इस तरह के मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं उनकी जांच भी करवाई जाएगी.
वहीं आम आदमी पार्टी के पंजाब के अध्यक्ष भगवंत मान ने कहा कि डीजीपी को बदलने का फैसला क्या सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने कांग्रेस के पंजाब अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को खुश करने के लिए लिया है? ये तो वही बता सकते हैं. लेकिन ये नियुक्ति रूल्स के बिलकुल खिलाफ जाकर की गई है. क्योंकि सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय मार्च में रिटायर होने वाले हैं और ऐसे में चुनाव आचार संहिता लगने से ठीक पहले उन्हें नियुक्त किया ही नहीं जा सकता. और ना ही पंजाब सरकार ने सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय का नाम यूपीएससी को उन अफसरों के पैनल में भेजा है जिन्हें डीजीपी नियुक्त किए जाने की तैयारी है.
नवजोत सिंह सिद्धू ने साध ली चुप्पी
हालांकि इस पूरे मामले पर पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने चुप्पी साध ली है और डीजीपी की नियुक्ति को लेकर पूछे गए सवाल को टालते हुए कहा कि ये कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. दूसरी तरफ इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस के सीनियर नेता और सांसद मोहम्मद सदीक ने अपनी पार्टी की सरकार का बचाव करते हुए कहा कि कई बार सरकार अपने हिसाब से कई नियुक्तियां करती है. और इसमें जात-पात या फिर किसी की पसंद-नापसंद की कोई बात नहीं है. और ना ही सीएम चरणजीत सिंह चन्नी पर नवजोत सिंह सिद्धू का डीजीपी की नियुक्ति को लेकर किसी तरह का भी कोई दबाव है.