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Punjab Election Result: आखिर क्यों बुरी तरह हार गए पंजाब के दिग्गज नेता, ये हैं बड़े कारण

इस बार पंजाब की जनता ने वंशवाद की राजनीति को खारिज किया. कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के लगभग दो दर्जन वंशवादी चुनाव हार गए. बड़े नेताओं की घटती लोकप्रियता और अस्वीकृति के अलावा कुशासन और नॉन-परफॉर्मेंस बड़े कारण रहे.

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Amarinder Singh and Charanjit singh channi
Amarinder Singh and Charanjit singh channi
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बुरी तरह हार गए पंजाब के दिग्गज नेता
  • बड़े नेताओं की घटती लोकप्रियता बड़ा कारण

पंजाब ने 2022 में बदलाव के लिए मतदान किया और वंशवाद की राजनीति को खारिज किया. कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के लगभग दो दर्जन वंशवादी चुनाव हार गए. कांग्रेस ने जहां 10 से अधिक उम्मीदवारों को टिकट दिया था, जो वरिष्ठ नेताओं के करीबी रिश्तेदार थे. वहीं पूरे बादल परिवार को आम आदमी पार्टी द्वारा मैदान में उतारे गए अज्ञात चेहरों ने मात दी है.

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चुनाव परिणाम बताते हैं कि मतदाता भाजपा के अलावा शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस जैसे पारंपरिक राजनीतिक दलों से खुश नहीं थे. जिन दलों ने अपने वरिष्ठ नेताओं के करीबी रिश्तेदारों को टिकट दिया, उनका सफाया हो गया. पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उनके बेटे और शिअद सुप्रीमो सुखबीर सिंह बादल दोनों चुनाव हार गए. उन्हें आप के गुरमीत सिंह खुदियां और जगदीप कंबोज ने क्रमश: बुरी तरह हराया.

सुखबीर बादल के साले बिक्रम मजीठिया (अमृतसर पूर्व) और आदेश प्रप सिंह कैरों (पट्टी) को भी आप उम्मीदवार जीवनज्योत कौर और लालजीत सिंह भुल्लर ने क्रमशः शिकस्त दी. सुखबीर बादल के चचेरे भाई मनप्रीत बादल को भी आप उम्मीदवार जगरूप सिंह गिल ने बठिंडा शहरी निर्वाचन क्षेत्र से हराया था.

मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और उनके भाई डॉ. मनोहर सिंह, जिन्होंने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा, वह चमकौर साहिब, भदौर और बस्सी पठाना से चुनाव हार गए. पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्टल और उनके दामाद विक्रम बाजवा भी चुनाव नहीं जीत सके. वे लहर और साहनेवाल विधानसभा क्षेत्रों में तीसरे स्थान पर रहे. अमृतसर पूर्व में नवजोत सिद्धू को आप की जीवनज्योत कौर से हार का सामना करना पड़ा जबकि अमरगढ़ से उनके भतीजे स्मित सिंह मान चौथे स्थान पर रहे. लोक इंसाफ पार्टी के सिमरनजीत सिंह बैंस और उनके भाई बलविंदर सिंह बैंस क्रमशः आत्मा नगर और लुधियाना दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में चुनाव हार गए.

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खारिज कर दिए गए निष्क्रिय नेता  

वंशवाद की राजनीति के अलावा, लोगों ने निष्क्रिय नेताओं को भी खारिज कर दिया. पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पीसीसी प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू दो प्रमुख चेहरे हैं जो चुनाव हार गए क्योंकि वे लोगों के लिए पहुंच से बाहर थे. चुनाव प्रचार से पहले ये दोनों अपने-अपने क्षेत्रों में केवल दो बार ही नजर आए थे. हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल (94) ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में सक्रिय रूप से प्रचार किया और यहां तक ​​​​कि इस दौरान वे covid-19 संक्रमण की चपेट में भी आए.

कुशासन और नॉन-परफॉर्मेंस

राजनीतिक दिग्गजों को भी लोगों ने खारिज कर दिया क्योंकि वे कथित तौर पर कुशासन में लिप्त थे. ऐसे में आम आदमी पार्टी ने अपने मतदाताओं को यह बताते हुए वोट मांगे कि उन्होंने कांग्रेस और शिअद शासन का अनुभव किया है जिसने राज्य को केवल अंधेरे और वित्तीय बर्बादी की ओर धकेला है. कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार सभी चुनावी वादों को पूरा करने में विफल रही और वह कथित तौर पर अपने फार्म हाउस तक ही सीमित रहे. 
 
बड़े नेताओं की घटती लोकप्रियता

एक और बड़ा कारण 2022 के विधानसभा चुनावों का नेतृत्व करने वाले राजनीतिक दिग्गजों की घटती लोकप्रियता भी है. कैप्टन अमरिंदर सिंह, सुखबीर बादल, चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू अपनी-अपनी सीट तक नहीं जीत सके. लोग इन नेताओं से इस कदर नाराज़ थे कि जब इन नेताओं और उनकी पार्टी  ने घर-घर जाकर प्रचार किया तो उन्होंने दरवाजे बंद कर लिए. सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें नवजोत सिंह सिद्धू बंद दरवाजों वाली गली में प्रचार करते नजर आ रहे हैं और उनकी पत्नी को प्रचार के दौरान लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा.

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