पंजाब सरकार ने 12वीं कक्षा की इतिहास की पाठ्य पुस्तक से सिख इतिहास के 23 पाठ हटाकर विपक्ष को हमला करने का मौका दे दिया है. हटाए गए पाठ में सिख गुरु और योद्धाओं का इतिहास, अंग्रेज और सिखों के बीच हुए युद्ध, बाबा बंदा सिंह बहादुर और महाराजा रणजीत सिंह सहित सिख और मुगलों के बीच हुए संघर्ष के पाठ शामिल हैं.
विपक्ष ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि पंजाब में पढ़ाई जाने वाली इतिहास की पाठ्य पुस्तक से एकमुश्त 23 पाठ हटाना सही नहीं है. विपक्षी पार्टी अकाली दल ने इस मुद्दे पर जांच की मांग की है और हटाए गए पाठ तुरंत पाठ्य पुस्तक में दोबारा शामिल करने की मांग की है.
पूर्व शिक्षा मंत्री दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि उनको बारहवीं कक्षा के इतिहास की पाठ्यपुस्तक में भारतीय इतिहास पढ़ाने से कोई गुरेज नहीं है लेकिन अगर छात्र पंजाब का ही इतिहास नहीं पढ़ेंगे तो वह पंजाब के गुरु और योद्धाओं द्वारा दी गई कुर्बानियों के बारे में कैसे जानेंगे?
अकाली दल के अलावा पंजाब सरकार प्रमुख विपक्षी पार्टी आम आदमी पार्टी के निशाने पर भी है. विपक्ष के नेता सुखपाल सिंह खैरा ने कहा है कि पाठ्य पुस्तक से पंजाब के इतिहास से जुड़े 23 पाठ हटाने का फैसला ना केवल युवाओं को अंधेरे में रखेगा बल्कि उनको भ्रमित भी करेगा. सरकार को चाहिए कि हटाए गए पाठ फिर से पुस्तक में जोड़कर अपनी गलती का सुधार करें.
उधर अकाली दल के हमले से आहत मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि अकाली दल बेवजह मामले को उछाल रहा है क्योंकि बारहवीं कक्षा के पाठ्यक्रम और 11वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में थोड़े बदलाव किए गए हैं. 12वीं की पुस्तक से हटाए गए पाठ निचली कक्षा में जोड़े जा रहे हैं. यह किताब फिलहाल प्रेस में है और सिख इतिहास के पाठ हटाने का सवाल ही पैदा नहीं होता.
उधर जब इस बारे में शिक्षा मंत्री ओपी सोनी से बात की गई तो उन्होंने मामले के बारे में अनभिज्ञता जाहिर की और कहा कि अगर पाठ्य पुस्तक में कोई गड़बड़ी है तो उसे जल्द ही दुरुस्त कर लिया जाएगा.
शिक्षा विभाग ने एकमुश्त 23 पाठ हटाकर विपक्ष को बैठे-बिठाए एक बड़ा मुद्दा थमा दिया है. विपक्ष इसे भुनाने में लगा हुआ है और सरकार कटघरे में है. इस फैसले को राजनीतिक और धार्मिक रंग भी दिया जा रहा है, क्योंकि मामला सिख धर्म गुरुओं से जुड़ा है इसलिए सरकार निशाने पर है.