कांग्रेस विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी देने के मामले में पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सरकार घिर गई है. मुख्यमंत्री पर कांग्रेस नेताओं ने ही हमला बोला है. वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) और शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने भी राज्य सरकार के इस फैसले पर निशाना साधा है. आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान ने तो यहां तक कहा कि पंजाब में उनकी सरकार बनने के बाद इस फैसले को रद्द कर दिया जाएगा.
दरअसल, पंजाब सरकार की कैबिनेट ने राज्य के दो विधायकों और एक मंत्री के बेटों को सरकारी नौकरी मिलने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है. कैबिनेट मंत्री गुरप्रीत कांगड़ के दामाद को एक्साइज विभाग में इंस्पेक्टर नियुक्त किया गया है. जबकि कांग्रेस विधायक फतेह जंग बाजवा के बेटे को पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर बनाया गया है, तो वहीं विधायक राकेश पांडे के बेटे को नायब तहसीलदार की नौकरी दी गई है. पंजाब सरकार के इस फैसले पर विवाद शुरू हो गया है.
'साढ़े चार साल में सिर्फ 3 को नौकरी'
आम आदमी पार्टी (AAP) सांसद भगवंत मान ने पंजाब सरकार पर हमला बोलते हुए ट्वीट किया, ''कैप्टन ने वादा किया था कि हर घर में नौकरी देंगे, लेकिन पिछले साढ़े चार साल में सिर्फ तीन को नौकरियां दी गई हैं और तीनों ही कांग्रेस नेताओं के बेटे हैं. आम आदमी पार्टी की सरकार बनते ही इस आदेश को कैंसिल करेंगे.'' बता दें कि कैबिनेट में इस प्रस्ताव को सिर्फ तीन मिनट में ही पारित कर दिया गया.
कांग्रेस ने ही उठाए सवाल
पंजाब सरकार द्वारा विधायकों के बेटों को नौकरी दिए जाने का विरोध सिर्फ विपक्ष ही नहीं कर रहा है, बल्कि कांग्रेस भी कर रही है. पंजाब के वरिष्ठ विधायक और एआईसीसी के सदस्य कुलजीत नागरा ने सवाल खड़े किए हैं और मांग की है कि विधायकों के बेटों को नौकरी देने से जनता के बीच मैसेज अच्छा नहीं जाएगा. कैप्टन अमरिंदर सिंह को यह फैसला तुरंत वापस लेना चाहिए. नागरा ने ट्वीट करते हुए अपना विरोध दर्ज करवाया है.
अकाली दल ने बताया सरकारी लूट
वहीं, शिरोमणि अकाली दल ने इसे सरकारी लूट करार दिया है. अकाली दल के विधायक बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह उनसे नाराज चल रहे विधायकों को बचाने के लिए ऐसा कर रहे हैं. वह अपनी कुर्सी बचाने में लगे हुए हैं. मजीठिया ने पूरे मामले में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से दखल देने की मांग की है. इसके साथ ही, विपक्ष ने पंजाब सरकार के इस फैसले को बंदरबाट बताया है.