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वादे से मुकर रही पंजाब सरकार, नहीं सार्वजनिक करेगी मंत्रियों के भत्ते का ब्यौरा

आरटीआई से जैसे ही जानकारी मांगी गई वैसे ही पंजाब सरकार के कैबिनेट मंत्रियों और खुद मुख्यमंत्री ने भी साफ इनकार कर दिया कि वो अपनी सैलरी और मिलने वाले सरकारी भत्तों से जुड़ी कोई भी जानकारी आरटीआई के माध्यम से सार्वजनिक नहीं करना चाहते.

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पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (फाइल फोटो- फेसबुक)
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (फाइल फोटो- फेसबुक)

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  • अपने मंत्रियों के भत्ते सार्वजनिक करने से पंजाब सरकार का इनकार
  • मेनिफेस्टो में किए गए वादों और दावों से मुकर रही कांग्रेस सरकार
पंजाब सरकार ने अपने ही चुनावी मेनिफेस्टो में किए गए वादों और दावों से मुकरती नजर आ रही है. एक आरटीआई (राइट टू इन्फॉर्मेशन) के जवाब में पंजाब सरकार ने मुख्यमंत्री और तमाम कैबिनेट मंत्रियों को मिलने वाली सैलरी और अन्य भत्तों की जानकारी देने से इनकार कर दिया है.

एक आरटीआई के जवाब में पंजाब सरकार की ओर से कहा गया है कि मुख्यमंत्री और उनकी कैबिनेट के तमाम मंत्री सैलरी और अन्य भत्तों की जानकारी सार्वजनिक नहीं करना चाहते.

चुनाव के दौरान कांग्रेस ने जो मेनिफेस्टो जारी किया था, उसमें सीधे तौर पर लिखा था कि सरकार बनने पर पंजाब कांग्रेस के तमाम मंत्री और विधायकों को मिलने वाली सैलरी की जानकारी हर महीने पंजाब सरकार की वेबसाइट पर अपडेट की जाएगी.

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इसके अलावा हर साल 1 जनवरी को पंजाब सरकार के तमाम मंत्री और विधायक अपनी संपत्तियों और बैंक खातों से जुड़ी जानकारियां भी पंजाब सरकार की वेबसाइट पर सार्वजनिक करेंगे.

मंत्री नहीं चाहते सार्वजनिक हो भत्ते की जानकारी

आरटीआई से जैसे ही जानकारी मांगी गई वैसे ही पंजाब सरकार के कैबिनेट मंत्रियों और खुद मुख्यमंत्री ने भी साफ कर दिया कि वो अपनी सैलरी और मिलने वाले सरकारी भत्तों से जुड़ी कोई भी जानकारी आरटीआई के माध्यम से सार्वजनिक नहीं करना चाहते.

ऐसे में विपक्षी पार्टियों आम आदमी पार्टी और अकाली दल ने पंजाब में सत्ता में बैठी कांग्रेस पर हमले बोलने शुरू कर दिए. अकाली दल के प्रवक्ता और पूर्व मंत्री दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि जिस तरह से सीएम और उनके कैबिनेट मंत्रियों ने अपनी सैलरी और मिलने वाले सरकारी भत्तों से जुड़ी जानकारियों को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है वो दिखाता है कि इनकी कथनी और करनी में कितना फर्क है.

मेनिफेस्टो में सार्वजनिक करने का किया था दावा

एक और तो मेनिफेस्टो में चुनाव के दौरान इन लोगों ने दावा किया था कि मंत्रियों और विधायकों को मिलने वाली सैलरी और उनके बैंक खातों और संपत्तियों से जुड़ी तमाम जानकारियां जानने का जनता को हक है और उसे सार्वजनिक किया जाएगा.

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अब सत्ता में बैठने के बाद कांग्रेस के नेता अपने वादों को भूल चुके हैं और सार्वजनिक पद पर बैठे इन लोगों को अपनी सैलरी से जुड़ी जानकारियां जनता को बताने में आखिरकार हर्ज क्यूं हो रहा है.

ऐसे में साफ है की सादगी का दावा करने वाली पंजाब सरकार में खुद मुख्यमंत्री और उनके कैबिनेट के तमाम मंत्री तमाम सरकारी सुविधाओं, सैलरियों के साथ ही तमाम सरकारी भत्तों और संसाधनों का जमकर दुरुपयोग कर रहे हैं.

सुविधाओं के लालच से बाहर नहीं आ रही कांग्रेस

इसी वजह से वो इन तमाम जानकारियों को सार्वजनिक नहीं करना चाहते. आम आदमी पार्टी के पंजाब के को-प्रेसिडेंट और विधायक अमन अरोड़ा ने भी कहा कि कांग्रेस की सरकार इन तमाम सुख-सुविधाओं से बाहर निकल नहीं पा रही है.

इसी वजह से पंजाब के मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री अपनी सैलरी और तमाम सुविधाओं समेत उनको मिलने वाले सरकारी भत्तों से जुड़ी कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं करना चाहते. जबकि मेनिफेस्टो में इन लोगों ने कुछ और ही दावा किया था.

इस पूरे मामले पर पंजाब के मंत्रियों को कुछ कहते नहीं बन रहा है कुछ मंत्री तो ये कहकर कन्नी काट गए कि पंजाब सरकार उनको मिलने वाली सैलरी और अन्य भत्तों से जुड़ी तमाम जानकारियां इनकम टैक्स रिटर्न के दौरान फाइल करती है.

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सब कुछ वेबसाइट पर पड़ा है और वहां से कोई भी चेक कर सकता है. लेकिन उन्होंने आरटीआई के माध्यम से इन जानकारियों को सार्वजनिक क्यूं नहीं किया इस पर उनके पास कोई भी जवाब नहीं है.

pun_091919114639.jpgआरटीआई में नहीं दी गई माननीयों के भत्ते की जानकारी

सांसधनों में कटौती को तैयार नहीं माननीय

पंजाब सरकार के तमाम कैबिनेट मंत्री और खुद मुख्यमंत्री भी कई बार जनता से जुड़े मुद्दों पर पैसा खर्च ना कर पाने को लेकर ये दलील देते रहे हैं कि सरकार के पास फंड नहीं है और सरकारी खजाने में पैसा नहीं है लेकिन जब खुद की बात आती है तो किसी भी तरह के संसाधनों या भत्तों में कोई कटौती नहीं की जाती.

शायद इसी वजह से पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके कैबिनेट मंत्री नहीं चाहते कि वो जो सैलरियां और अन्य भत्ते ले रहे हैं उससे जुड़ी कोई भी जानकारी पब्लिक डोमेन में आरटीआई के माध्यम से आ सके.

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