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पंजाब सरकार ने 2 गाड़ियों के किराए पर 10 साल में फूंक दिए 1.80 करोड़

इस तरह से देखा जाए तो पिछले 10 साल में करीब 1.80 करोड़ इन दो कारों के किराए के तौर पर ही खर्च कर दिए गए. इतने में तो पंजाब सरकार कई मर्सिडीज या बीएमडब्ल्यू रेंज की गाड़ियां खरीद सकती थी. ये हाल तब है जबकि हॉस्पिटैलिटी विभाग के पास दिल्ली के पंजाब भवन में अपनी ही 7 गाड़ियां हैं.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

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सरकारी तंत्र में किस तरह से सरकारी खजाने की लूट और पैसे का गोलमाल किया जाता है इसका उदाहरण नई दिल्ली स्थित पंजाब भवन में देखने को मिला, जहां वीआईपी यूज के लिए पंजाब सरकार की हॉस्पिटैलिटी विभाग ने 2 गाड़ियां किराए पर लेकर उन पर करीब 18 लाख रुपये सालाना बतौर किराया खर्च कर दिए और ये सिलसिला पिछले 10 साल से जारी था.

इस तरह से देखा जाए तो पिछले 10 साल में करीब 1.80 करोड़ इन दो कारों के किराए के तौर पर ही खर्च कर दिए गए. इतने में तो पंजाब सरकार कई मर्सिडीज या बीएमडब्ल्यू रेंज की गाड़ियां खरीद सकती थी. ये हाल तब है जबकि हॉस्पिटैलिटी विभाग के पास दिल्ली के पंजाब भवन में अपनी ही 7 गाड़ियां हैं.

खास लोगों के लिए थी कार

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इस पूरे मामले में मजे की एक और बात यह है कि इन गाड़ियों का इस्तेमाल विधायकों के इस्तेमाल के लिए नहीं था बल्कि सिर्फ मंत्री और मुख्य सचिव रैंक के अफसर ही इन गाड़ियों का इस्तेमाल कर सकते थे.

हाल ही में पंजाब में सत्ता परिवर्तन के बाद पंजाब विधानसभा की तरफ से हॉस्पिटैलिटी विभाग के चेयरमैन और नवनियुक्त राजस्व मंत्री सुखविंदर सिंह सरकारिया के नेतृत्व में गठित एस्टिमेट कमिटी ने जब इन गाड़ियों पर खर्च किए जा रहे पैसे को लेकर जांच की और इस मामले में सरकारी पैसे का गोलमोल पाया तो अपनी रिपोर्ट में उन्होंने विधानसभा में ये जानकारी दी कि किस तरह से दो गाड़ियों के किराए के नाम पर सरकारी खजाने का करोड़ों रुपये खर्च कर दिए गए.

इस पूरे मामले पर अकाली दल ने गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि पंजाब में जब से कांग्रेस की सरकार बनी है तो सिस्टम में कोई भी कमी आने पर पिछली अकाली-बीजेपी सरकार के सिर ही ठीकरा फोड़ दिया जाता है, लेकिन पंजाब की कांग्रेस सरकार अपनी कार्यप्रणाली और अफसरों पर लगाम लगाने की बजाय पिछली सरकार को ही हर मामले में शामिल करके बदनाम करने में लगी रहती है.

अकाली दल की ओर से पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका ने पंजाब सरकार को चैलेंज किया कि अगर अकाली दल की सरकार के वक्त से ही इस तरह का कोई घोटाला या सरकारी पैसे का गोलमाल किया गया है तो पंजाब की कांग्रेस सरकार इस मामले की जांच कराएं और इस घोटाले में शामिल अधिकारियों और उस वक्त के अकाली मंत्रियों के खिलाफ भी कार्रवाई करे.

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आम आदमी पार्टी ने भी यह मामला सामने आने के बाद कहा कि कांग्रेस और अकाली दल की सरकार में कोई भी फर्क नहीं है दोनों ही पार्टियों के नेता सरकारी खजाने को चपत लगाने में लगे हैं. सुखपाल खैहरा ने कहा कि एक और तो कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकारी खर्च में कटौती की बात करते हैं और दूसरी तरफ इस तरह से फिजूलखर्ची के नाम पर सरकारी पैसे की बर्बादी की जा रही है. सुखपाल खैहरा ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के एडवाइजरों और ओएसडी की फौज पर हो रहे सरकारी खर्च पर भी सवाल खड़े किए.

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