सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार की अर्जी पर सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टल गई है. अदालत ने पंजाब के राज्यपाल से ताजा स्थिति के बारे में अवगत कराने के लिए कहा है. अब सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को पंजाब के साथ-साथ केरल और तमिलनाडु सरकार की याचिकाओं पर भी सुनवाई करेगा. पंजाब के राज्यपाल की तरफ से शीर्ष अदालत को जानकारी दी गयी है कि उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. पंजाब सरकार द्वारा विधानसभा से पास विधेयकों को राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित की ओर से मंजूरी देने में हो रही देरी को लेकर पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पिछले हफ्ते अर्जी लगाई थी.
अब शुक्रवार को होने वाली अगली सुनवाई में राज्यपाल की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को बताना है कि विधेयकों को लेकर ताजा स्थिति क्या है. पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में उनका पक्ष रखा. उन्होंने अदालत को बताया कि कि गवर्नर सभी विधेयकों पर विचार कर रहे हैं. संवैधानिक तौर पर उनमें कुछ बातें गलत हो सकती हैं. ये केवल दो ही राज्यों में हो रहा है, जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.
'मुख्यमंत्री द्वारा राज्यपाल के लिए प्रयोग भाषा पर आपत्ति'
तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि पंजाब विधानसभा ने 4 विधेयक पास किए हैं. इसके अलावा तीन वित्त विधेयक हैं. उनको सदन में पेश करने से पहले राज्यपाल की इजाजत लेनी जरूरी होती है. राज्यपाल ने 2 मनी बिल पेश करने की मंजूरी दे दी है. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री की ओर से राज्यपाल के लिए जिस भाषा का प्रयोग किया गया है उस पर भी आपत्ति है. सुप्रीम कोर्ट ने एसजी तुषार मेहता से पूछा कि क्या राज्यपाल सदन द्वारा पास किए गए बिल को रोक सकते हैं, क्या वित्त विधेयक को भी रोकने की शक्ति राज्यपाल के पास है?
'चार महीने से 7 बिल राज्यपाल ने अपने पास लंबित रखे हैं'
पंजाब सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पिछले 4 महीने से 7 बिल राज्यपाल ने अपने पास लंबित रखे हैं. इससे राज्य का कामकाज प्रभावित हो रहा है, जबकि राज्यपाल मंत्रिमंडल की सलाह मानने के लिए बाध्य हैं. राज्य सरकार की दलील है कि राज्यपाल की असंवैधानिक निष्क्रियता के चलते प्रशासनिक काम काज में भी दिक्कत आ रही है. याचिका में पंजाब सरकार ने बताया है कि उसने 20 व 21 अक्टूबर को विधानसभा का दो दिवसीय सत्र बुलाया था. लेकिन राज्यपाल ने इस सत्र को गैरकानूनी ठहराने के साथ सरकार को 3 वित्त विधेयक पेश करने की अनुमति भी नहीं दी. इसके चलते उस सत्र को महज तीन घंटे बाद ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करना पड़ा.
यह ध्यान रखें कि राज्यपाल निर्वाचित प्राधिकारी नहीं: CJI
दरअसल, सदन में मनी बिल पेश करने के लिए गवर्नर की सहमति जरूरी है. हालांकि, 1 नवंबर को तीन मनी बिल में से 2 को गवर्नर बनवारीलाल पुरोहित ने अनुमति दे दी थी. सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की कि राज्यपालों को इस तथ्य से अनजान नहीं रहना चाहिए कि वे निर्वाचित प्राधिकारी नहीं हैं. सीजेआई ने कहा, 'सदन बुलाने के लिए भी संबंधित पार्टियां सुप्रीम कोर्ट आ जाती हैं. हमें याद रहना चाहिए कि हम सबसे पुराने लोकतंत्र है. ये मुद्दे राजयपाल और मुख्यमंत्री के बीच सुलझाए जाने चाहिए. सभी को अंतरात्मा की तलाश कर, उसकी आवाज सुननी चाहिए.'