दिल्ली में शक्तियों के बंटवारे को लेकर आम आदमी पार्टी और उपराज्यपाल की टसल जगजाहिर है. अब ऐसा ही नजारा पंजाब में बनता दिख रहा है. यहां विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने को लेकर भगवंत मान सरकार और राजभवन के बीच ठन गई है. इस बीच मान सरकार ने फैसला किया है कि वो राज्यपाल के इस कदम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी.
दरअसल पंजाब सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था. इसका मकसद सदन में विश्वास प्रस्ताव पेश करना था. अपनी विरोधी पार्टी बीजेपी पर 'ऑपरेशन लोटस' चलाने का आरोप लगाने वाली आम आदमी पार्टी (AAP) दिल्ली विधानसभा में ऐसा एक सत्र पहले ही बुला चुकी है. पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने पहले इस सत्र को बुलाने की अनुमति दे दी, बाद में इसे वापस ले लिया. मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार का आरोप है कि ऐसा उन्होंने बीजेपी के कहने पर किया. वहीं ये एक लोकतंत्र विरोधी कदम है, इसलिए वह इसके खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी.
अब राज्य के मामलों पर चर्चा करेगी सरकार
इस बीच मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 27 सितंबर को राज्य विधानसभा का सत्र बुलाने का निर्णय किया है. इस दिन राज्य से जुड़े अन्य मसलों पर चर्चा की जानी है. उन्होंने एक बयान में कहा कि राज्य सरकार सत्र बुलाने की अनुमति रद्द करने राज्यपाल के अलोकतांत्रिक फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी. वहीं राज्य के वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने कहा है कि राज्यपाल के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.
पंजाब देगा मुल्क को बड़ा संदेश
इससे पहले मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि विशेष सत्र की इजाजत न देने के मनमाने और लोकतंत्र विरोधी फैसले के खिलाफ पंजाब सरकार पूरे मुल्क को एक बड़ा संदेश देगी. वो बताएगी कि लोकतंत्र सबसे ऊपर है. वहीं बीजेपी के ऑपरेशन लोटस को लेकर उन्होंने कांग्रेस पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा कि इससे सबसे बुरी तरह पीड़ित कांग्रेस की तरफ से इस मुद्दे पर भाजपा का साथ देना दुर्भाग्यपूर्ण है. पंजाब में लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार को तोड़ने के उद्देश्य वाले इस बुरे काम के लिए कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और भाजपा ने सांझेदारी कर ली है.
क्षेत्रीय दलों को हाशिए पर भेजा
सीएम भगवंत मान ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा ने क्षेत्रीय पार्टियों को हाशिए पर धकेल दिया है. वह चाहते हैं कि सत्ता सिर्फ इन दोनों पार्टियां के पास ही बनी रहे. लेकिन आम आदमी पार्टी (AAP) का जन्म ही भ्रष्टाचार-विरोधी मुहिम से हुआ है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी हर दिन के साथ स्वीकार्यता की नयी हदें छू रही है. उन्होंने कहा की वह हरेक अलोकतांत्रिक कदम का विरोध करेंगे और दबाव के भद्दे हथकंडों के आगे नहीं झुकेंगे.
लोकतंत्र में जनता बड़ी होती हैं...लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार को काम न करने देना...लोकतंत्र की हत्या है...आज कैबिनेट की बैठक में 27 सितंबर को सत्र बुलाने का फैसला लिया गया... नदियों को रोका नहीं जा सकता, वो अपने रास्ते खुद बनाती हैं...
— Bhagwant Mann (@BhagwantMann) September 22, 2022
इंकलाब जिंदाबाद! pic.twitter.com/x6X9PmjOPb
इस बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि राज्य सरकार ने अब राज्य से संबंधित अलग-अलग मसलों पर विचार-विमर्श करने के लिए 27 सितंबर को पंजाब विधान सभा का सत्र बुलाने का फैसला किया है. राज्यपाल के मनमाने और लोकतंत्र विरोधी फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी. लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों और राज्यों के संघीय अधिकारों की रक्षा के लिए इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जायेगी.