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पंजाब: किसानों के साथ GST के नाम पर ठगी, नकली कीटनाशक बेचने वाले कर रहे हैं कमाई

आप चौंक रहे होंगे कि कागज की एक चिट बिल कैसे हो सकती है, क्योंकि इसमें न तो बेचने वाले की फर्म का कोई नाम है और और न ही चिट पर वसूला गया जीएसटी या दूसरे कर की कोई जानकारी. आप इस चिट को ध्यान से देखें तो इसके जमा में दो हजार रुपये की गड़बड़ी भी है.

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पंजाब में ठगी
पंजाब में ठगी

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52 वर्षीय लखबीर सिंह के हाथों में आप कागज के जिस टुकड़े को देख रहे हैं वह दरअसल खेती में इस्तेमाल होने वाली वाले कीटनाशकों और दूसरी चीजों का बिल है. पंजाब में इस चिट को कच्चा बिल कहा जाता है.

आप चौंक रहे होंगे कि कागज की एक चिट बिल कैसे हो सकती है, क्योंकि इसमें न तो बेचने वाले की फर्म का कोई नाम है और और न ही चिट पर वसूला गया जीएसटी या दूसरे कर की कोई जानकारी. आप इस चिट को ध्यान से देखें तो इसके जमा में दो हजार रुपये की गड़बड़ी भी है.

मामला यह है कि शातिर दुकानदार पंजाब में जीएसटी के नाम पर मोटी कमाई कर रहे हैं. किसानों से कृषि रसायनों और खेती में इस्तेमाल होने वाली दूसरी चीज़ों पर मनमर्ज़ी का जीएसटी (18 से 28 फीसदी ) वसूल कर वस्तुएं बढ़ी हुई कीमतों पर बेच रहे हैं. खेती से जुड़े रसायन किराने की दुकानों पर भी बेचा जा रहा है, लेकिन बिक्री के बाद ख़रीददारों को बिल नहीं दिया जाता.

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जीएसटी के नाम पर ठगे गये लखबीर सिंह कोई अकेले किसान नहीं है. लखबीर सिंह के अलावा गुरदास सिंह की बात करें उनके हाथ में जो बिल है वह गाय भैंस की फीड का बिल है. कहने को कैटल फीड में जीएसटी लागू नहीं है, लेकिन कई दुकानदार बिल में टेक्स की जानकारी न देकर गोलमोल तरीके से टेक्स वसूल रहे हैं यानी जिस चीज़ पर जीएसटी लागू ही नहीं है उनपर भी टेक्स वसूला जा रहा है. राज्य के ज़्यादातर किसान पढ़े लिखे नहीं है, जिनको जीएसटी की कोई जानकारी नहीं है.

शातिर दुकानदारों द्वारा वसूला गया टेक्स न तो राज्य सरकार के खाते में जमा हो रहा है और न केंद्र सरकार के खजाने में. वह सीधा मुनाफ़ाखोरों की जेब में जा रहा है. मोहाली के 42 वर्षीय किसान दलविंदर सिंह के मुताबिक जबसे पंजाब में जीएसटी लागू हुआ है दुकानदारों को लूटपाट का मौका मिल गया है. पंजाब में नकली कीटनाशकों की बिक्री से फसलें पहले ही चौपट हो चुकी हैं. वहीं जीएसटी लागू होने के बाद कीटनाशकों सहित खेती में इस्तेमाल होने वाली हर चीज की कीमतों में 5 फ़ीसदी से लेकर 15 फ़ीसदी तक बढ़ोतरी हो गई है.

जीएसटी लागू होने के बाद कीटनाशकों पर 18 फ़ीसदी टैक्स और खाद पर 12 फ़ीसदी टैक्स वसूला जा रहा है. जीएसटी लागू होने से पहले कृषि रसायनों पर 12.5 फिसदी टैक्स था यानी की फसलें बचाने के लिए किसानों को अब अलग से 5.5 फीसदी टेक्स अदा करना पड़ रहा है. पंजाब में नकली दवाइयों के कारोबार के चलते फसलों को कीट पतंगों के हमले से बचाना पहले ही मुश्किल है,  अब नकली दवाइयां बेचने वाले भी जीएसटी के नाम पर मोटी कमाई कर रहे हैं.

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मोहाली के गांव में खेती करने वाले लखबीर सिंह ने हमें बताया कि एक तो पहले ही खाद की कम आपूर्ति होती है और जब से जीएसटी लागू हुआ है तब से मुनाफाखोरी भी बढ़ गई है. खाद बेचने वाले अब साथ में जिंक और सल्फेट जैसे उर्वक खरीदने पर भी मजबूर कर रहे हैं. उनके अनुसार कृषि रसायनों में जीएसटी के बाद 200 रुपये से 300 रुपये प्रति उछाल आया है. टेक्स वसूलने के बावजूद भी खरीददार किसानों को बिल नहीं दिया जाता है.

उधार लेने के कारण बिल नहीं मांगते किसान

मोहाली के दिया गांव के युवा किसान बलकार सिंह के मुताबिक पंजाब के किसान फसल बिकने तक कृषि रसायन उर्वरक और दूसरी चीजें उधार लेकर खरीदते हैं. दुकानदार उनको महज एक चिट थमा देता है. किसान 6 महीने के बाद सभी चिट साथ लेकर उसका भुगतान कर देते हैं. अगर बिल की मांग करें तो बेचनेवाला यह कह कर डरा देता है कि अगर आपको पक्का बिल चाहिए तो टैक्स के पैसे अलग से देने होंगे. खरीदने वाले को नहीं बताया जाता की उसे जो चिट थमाई गई है उसमे जीएसटी भी शामिल है. ज़्यादा कीमत से डरा हुआ उधार लेने वाला किसान दुकानदार से बिल लेने की हिम्मत नहीं कर पाता।

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जलालपुर ,मोहाली के 42 वर्षीय किसान दर्शन सिंह के मुताबिक जीएसटी के नाम पर की जाने वाली ठगी सिर्फ कृषि रसायनों तक ही सीमित नहीं है. बिल न देने वाले चालक दुकानदार पशु आहार ,पशुओं की दवाइयों आदि पर भी जीएसटी वसूल रहे हैं लेकिन बिल देने के नाम पर वह कन्नी काट जाते हैं. हमने जीएसटी के नाम पर ठगी कर रहे कई दुकानदारों से बात करनी चाहिए, लेकिन वह हमारे दुकान पर पहुंचने से पहले ही वह या तो दुकान बंद करके इधर उधर खिसक लिए या फिर कैमरे पर बात करने के लिए तैयार नहीं हुए.

राज्य में बिकने वाले नकली कृषि रसायनों के मामले पर कृषि विभाग चुप्पी साधे हुए हैं. अधिकारी दावा कर रहे हैं कि राज्य में नकली कीटनाशक बेचने का की एक भी शिकायत उनके पास नहीं आई है, जबकि हकीकत यह है कि राज्य के किसान नकली कीटनाशकों की बिक्री से बेहद परेशान हैं. फसलें चौपट हो जाने के बाद किसान आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है.

जीएसटी के नाम पर हो रही चोरबाजारी के बारे में जब राज्य के कृषि अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने भरोसा दिलाया कि वह किसानों को जीएसटी के बारे में जागरुक करेंगे और पहले से ही आगाह करते आए हैं कि वह हर खरीदारी का बिल जरूर लें ताकि दवाएं या रसायन नकली पाए जाने के बाद संबंधित दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई की जा सके.

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पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हाल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर जीएसटी के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की थी इस पत्र के मुताबिक पंजाब में खेती की लागत 5 फिसदी से लेकर 15 फ़ीसदी तक बढ़ गई है. राज्य सरकार ने राज्य की खराब माली हालत का हवाला देते हुए केंद्र से अतिरिक्त वित्तीय सहायता की मांग की है, लेकिन सरकार को शायद नहीं मालूम कि वह जीएसटी को प्रभावी ढंग से लागू करे और जीएसटी के नाम पर ठगी करने वाले दुकानदारों पर एक्शन ले तो न केवल उसके खजाने में पैसा आएगा बल्कि किसान भी लूटने से बचेंगे.

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