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पंजाब-हरियाणा के खेतों से उठता धुआं फिर घोंटने लगा दिल्ली का दम!

किसानों की शिकायत है कि पराली प्रबंधन के लिए सरकार की ओर से न तो आर्थिक मदद दी गई और न ही कोई जानकारी. इसलिए किसान पराली जलाने को मजबूर हैं.

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पराली जलने का दृश्य (फोटो-आजतक आर्काइव)
पराली जलने का दृश्य (फोटो-आजतक आर्काइव)

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पंजाब और हरियाणा के खेतों में धान की कटाई होते ही किसान पराली को आग के हवाले करने लगे हैं. किसानों ने धान की फसल काटते ही चुपचाप खेत को आग के हवाले कर दिया है. जिन खेतों को आग के हवाले किया गया है, वो किसी दूरदराज के इलाके में नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजधानी से सटे हैं.

किसानों की मानें तो वो पराली जलाने के लिए मजबूर हैं. सरकार उनकी मदद के दावे जरूर करती है लेकिन हकीकत में उनके पास न तो कोई मशीनरी है और न ही पराली ठिकाने लगाने के लिए कोई आर्थिक मदद. मोहाली के एक किसान तरनजीत (35) को पराली के प्रबंधन की न तो जानकारी है और न ही उतना समय, क्योंकि आलू और गेहूं की बिजाई के लिए उनके पास सिर्फ 10-15 दिन का समय बाकी है. वह चाहते हैं कि सरकार अगर मशीनरी नहीं दे पा रही तो उनको कम से कम पराली ठिकाने लगाने के लिए मजदूरी तो दे.

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एसएस नगर के किसान मेजर सिंह के मुताबिक, पंजाब के ज्यादातर किसान इस हालत में नहीं हैं कि वे पराली जलाने वाली मशीनों पर लाखों रुपए खर्च करें. राज्य में आए दिन किसान आत्महत्या कर रहे हैं क्योंकि उनकी फसलें चौपट हो रही हैं. ऐसे में सरकार का फर्ज बनता है कि वह किसानों को आर्थिक मदद दे या मशीनें.

कमोवेश यही स्थिति पड़ोसी राज्य हरियाणा की भी है. दोनों राज्यों ने किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए जुर्माने का प्रावधान जरूर किया है लेकिन उनको पराली जलाने के नुकसान और उसके प्रबंधन से मिलने वाले फायदे बताने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है. पंजाब की सामाजिक अधिकारिता मंत्री अरुणा चौधरी इस बात को स्वीकार करती हैं कि किसानों को पराली जलाने के नुकसान की जानकारी नहीं है. हालांकि उनका मानना है कि राज्य सरकार ने पैडी स्ट्रॉ रीपर और दूसरी मशीन खरीदने के लिए सब्सिडी का प्रावधान किया है और राज्य में पिछले साल की तुलना में पराली जलाने के मामले में कमी आई है.

अब तक 40 मामले दर्ज

नासा की ओर से जारी ताज़ा चित्रों के मुताबिक, पराली जलाने के मामलों को दर्शाने वाले लाल बिंदु पिछले साल की तुलना में कम हैं लेकिन किसान अभी भी पराली जला रहे हैं.

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पंजाब के प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने सितंबर से अक्टूबर के बीच अभी तक पराली जलाने के 40 मामले दर्ज किए हैं. इनमें 34 मामले अमृतसर जिला में, चार पटियाला के राजपुरा में, होशियारपुर में और एक संगरूर में दर्ज किए गए हैं. सरकार को अंदेशा है कि अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में जब धान की कटाई जोरों पर होगी तो राज्य में पराली जलाने के ज्यादा मामले सामने आ सकते हैं.

दर्ज किए गए 40 मामलों में राजस्व विभाग ने अमृतसर जिले के नाग कला और अजायबवाली गांवों के 14 किसानों का चालान काटा है. दो एकड़ तक 2500, तीन से पांच एकड़ तक 5500 और पांच एकड़ से अधिक पराली जलाने पर 7500 रुपए जुर्माना भरने को कहा गया है.

पंजाब सरकार की ओर से केंद्र सरकार को दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 2016 और 2017 के दौरान पराली जलाने के मामलों में कमी आई है. 2016 में पराली जलाने के 80,879 मामले सामने आए थे, वे 2017 में घटकर 43,817 रह गए.

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