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पंजाब की जीत का सेहरा कैप्टन अमरिंदर के सिर बंधा, सिद्धू-बाजवा के लिए बढ़ेगी टेंशन?

पंजाब निकाय चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह न सिर्फ सूबे के राजनीतिक में किंग साबित हुए, बल्कि 2022 के विधानसभा चुनाव का चेहरा भी बन गए हैं. निकाय चुनाव की जीत का सेहरा कैप्टन के सिर बंधने से कांग्रेस के दिग्गज नेता नवजोत सिंह सिद्धू और सांसद प्रताप सिंह बाजवा के लिए भविष्य में टेंशन बढ़ सकती है. 

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कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिद्धू
कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिद्धू
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पंजाब में निकाय चुनाव में बीजेपी को करारी हार
  • निकाय चुनाव में जीत का सेहरा कैप्टन के सिर
  • नवजोत सिंह सिद्धू का सियासी भविष्य क्या होगा?

पंजाब के निकाय चुनाव में कांग्रेस ने तमाम विपक्षी पार्टियों को कारारी मात देते हुए आठ में से छह नगर निगम और 108 में से 101 नगर पालिक व नगर पंचायत में जीत हासिल की. कांग्रेस की शानदार जीत ने एक बार फिर कैप्टन अमरिंदर सिंह न सिर्फ सूबे के राजनीतिक किंग साबित हुए, बल्कि 2022 के विधानसभा चुनाव का चेहरा भी बन गए हैं. निकाय चुनाव की जीत का सेहरा कैप्टन के सिर बंधने से कांग्रेस के दिग्गज नेता नवजोत सिंह सिद्धू और सांसद प्रताप सिंह बाजवा के लिए भविष्य में टेंशन बढ़ सकती है. 

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कैप्टन अमरिंदर के नेतृत्व में कांग्रेस ने पंजाब में लगातार बेहतर प्रदर्शन किया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में पूरे देश में कांग्रेस को कारारी हार झेलनी पड़ी थी, लेकिन पंजाब में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहा था. इसी तरह 2017 के विधानसभा चुनाव में भी कैप्टन के नेतृत्व में कांग्रेस बहुमत हासिल करने में सफल रही थी. वहीं, अब निकाय चुनाव में शानदार जीत ने प्रदेश में कांग्रेस को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर उत्साह से भर दिया है. 

निकाय चुनाव प्रचार से नदारद रहे सिद्धू

नवजोत सिंह सिद्धू धुआंधार प्रचार करने के लिए देश भर में जाने जाते हैं, लेकिन इस बार पंजाब के स्थानीय निकाय चुनाव में एक जगह भी प्रचार करते नजर नहीं आए. वहीं, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी पार्टी को यह संदेश देने में कामयाब हो गए हैं कि वह सिद्धू के प्रचार के बिना भी पार्टी को जीत दिला सकते हैं. ऐसे में नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर कांग्रेस की दुविधा और बढ़ गई है. 

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दरअसल, 2017 के विधानसभा चुनाव से पूर्व नवजोत सिंह सिद्धू ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था. उस समय उन्होंने पूरे नौ-दस दिन धुंआंधार प्रचार किया. सिद्धू ने मुख्य रूप से पंजाब के शहरी क्षेत्र में प्रचार की कमान संभाल रखी थी और यहां से कांग्रेस को अच्छी खासी सफलता मिली थी. यही वजह रही कि पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनी तो सिद्धू को स्थानीय निकाय जैसा विभाग मिला तो उन्होंने शहरों में सुधार के लिए ही कई कदम उठाए, लेकिन वह अपने इस काम को निरंतर जारी नहीं रख पाए. 

सिद्धू की डिमांड का क्या होगा?

कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिद्धू के बीच छत्तीस के आंकड़े हो गए. इसी का नतीजा हुआ कि कैप्टन ने उन्हें इस महकमे से चलता कर दिया और ऊर्जा विभाग थमा दिया, जिससे सिद्धू ने भी स्वीकार नहीं किया और मंत्री पद छोड़ दिया. हालांकि, सिद्धू कांग्रेस पार्टी में अभी भी बने हुए हैं, पिछले कुछ दिनों से उनको सरकार या पार्टी में कोई अहम स्थान देने के लिए केंद्रीय स्तर पर प्रयास जारी है, हालांकि कैप्टन के कद के आगे ऐसी कोशिशें सफल नहीं रही हैं. 

एक विकल्प सिद्धू को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाने का भी है लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिं‍ह इसके लिए राजी नहीं हैं. इस समय मुख्यमंत्री के पद पर एक जट्ट सिख नेता है और अगर पार्टी का प्रधान भी जट्ट सिख को लगा दिया जाता है तो ये सियासी नुकसान करा सकता है. कांग्रेस प्रदेश के प्रधान के पद पर पार्टी हिंदू चेहरा ही सामने रखना चाहती है. सुनील जाखड़ को कैप्टन अमरिंदर सिंह का करीबी भी माना जाता है. ऐसे में कैप्टन अमरिंदर सिंह उन्हें इस पद से हटाना नहीं चाहते.

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कांग्रेस ने कैप्टन फॉर 2022 का दिया नारा 

बुधवार को निगम चुनाव में जीत के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यभक्ष सुनील जाखड़ ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए 'कैप्टन फॉर 2022'  का नारा दिया है. जाखड़ ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह व पार्टी की नीतियों की जीत हुई है और पंजाब को टुकड़ों-टुकड़ों में बांटने की साजिश रचने वाली पार्टियों की हार हुई है. पंजाब निकाय चुनाव को जो लोग 2022 का सेमीफाइनल बता रहे थे, हकीकत में यह कांग्रेस के लिए लांचिंग पैड है. 2022 विधानसभा चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. उन्होंने कहा कांग्रेस डेवलपमेंट के एजेंडे पर 2022 का चुनाव लड़ेगी और निकाय चुनाव में कैप्टन की नीतियों को जनता ने समर्थन दिया है.

निकाय चुनाव में कांग्रेस की जीत कैप्टन के सियासी कद को बढ़ा दिया तो नवजोत सिंह सिद्धू और प्रताप सिंह बाजवा के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. कांग्रेस के ये दोनों नेता लंबे समय से पंजाब में कैप्टन का विकल्प बनने के लिए जोड़ तोड़ में जुटे थे, क्योंकि अमरिंदर सिंह ने खुद ही 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान घोषणा कर दी थी कि यह उनकी आखिरी राजनीतिक लड़ाई है. यही वजह रही कि नवजोत सिंह सिद्धू और बाजवा अपने आपको 2022 में पार्टी का चेहरा मानकर चल रहे थे, लेकिन सुनील जाखड़ के ऐलान के साफ हो गया है कि कैप्टन अभी एक और सियासी पारी खेलने के लिए तैयार हैं. हालांकि, कैप्टन ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कह दिया था कि वह जब तक राज्य को ‘अव्यवस्था’ से बाहर नहीं निकाल देते हैं तब तक सन्यास नहीं लेंगे.

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