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पंजाब में अफीम की खेती की उठी मांग, ऐसे कैसे होगा नशा मुक्त प्रदेश

अफीम की ऐसी खेती है जिसमें कम लागत में छप्पर फाड़ कमाई. मौजूदा समय में देश के तीन राज्यों में अफीम की खेती की अनुमति है. इस कड़ी में अब पंजाब में भी उठने लगी है, लेकिन एक बड़ा खतरा है. पंजाब की बड़ी आबादी ड्रग्स के चपेट में है.

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अफीम की खेती (फाइल फोटो आजतक)
अफीम की खेती (फाइल फोटो आजतक)

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ड़ेढ़ साल पहले ड्रग्स के मुद्दे पर कांग्रेस ने पंजाब की सियासी जंग फतह किया था. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनाव में ड्रग्स को बड़ा मुद्दा बनाया था और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ड्रग्स पर पाबंदी लगाने के वादे किए थे. लेकिन अब सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी ही अफीम की खेती को लीगल करने मांग करने लगी है.

पंजाब सरकार में कैप्टन के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब में अफीम को लीगल बनाने की मांग की है. उन्हें मुख्यमंत्री अमरिंदर का भी साथ मिल गया है. रविवार को सिद्धू ने कहा कि मेरे चाचा भी अफीम खाते थे, उन्होंने इसका इस्तेमाल दवाई की तरह किया. और उन्होंने लंबी जिंदगी भी जी. उनका कहना है कि अफीम हेरोइन से काफी ज्यादा बेहतर है.

सिद्धू के सुर में सुर सीएम अमरिंदर भी मिलाने लगे हैं. कैप्टन ने कहा, 'हमें खुशी है कि एक बार फिर अफीम की खेती के लीगल किए जाने मुद्दा चर्चा में आया है. मैं उम्मीद करता हूं कि इसे गंभीरता से देखा जाएगा. इस मुद्दे को हमेंशा के लिए सुलझा दिया जाएगा.'

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हालांकि अमरिंदर ने कहा कि मुख्यमंत्रियों की प्रधानमंत्री के साथ सम्मेलन में उन्होंने ये मुद्दा उठाया था. राजस्थान और मध्य प्रदेश में अफीम की खेती हो और पंजाब इसका मार्केट बने. ये कैसे हो सकता है. उन्होंने कहा कि दवा कंपनियों को जो भी जरूरत है उस पर एक नीति होनी चाहिए. हम जानते हैं कि किस तरह से अन्य राज्यों से अफीम और उससे जुड़े ड्रग्स लाभप्रद मार्केट में आते हैं.

बता दें कि सिद्धू से पहले AAP सांसद धर्मवीर गांधी ने मांग की थी कि राज्य में अफीम की खेती और उससे बनने वाले सामान को लीगल कर देना चाहिए.

दिलचस्प बात ये है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों ने पंजाब विधानसभा का पूरा चुनाव ही ड्रग्स के मुद्दे पर लड़ा था. इसी का नतीजा था कि अकाली दल को सत्ता से बेदखल होना पड़ा है. ऐसे में अब सत्ता में आते ही अफीम की खेती को लीगन करने की मांग उठने लगी है.

मौजूदा समय में भारत में अफीम की खेती उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान में की जाती है. राजस्थान के झालावाड़, बारां, चित्तौडगढ, प्रतापगढ़, भीलवाड़ा क्षेत्र में अफीम की खेती होती है. मध्यप्रदेश के नीमच, मंदसौर, रतलाम और  उत्तरप्रदेश फैजाबाद, बाराबंकी, बरेली, बदायूं क्षेत्र में अफीम की खेती की जाती है.

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अफीम में दानें (पोस्ता) और अफीम दूध के उत्पादन के लिए केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरों द्वारा जारी पट्टे के आधार पर की जाती हैं. बिना नारकोटिक्स विभाग के खेती करना कानूनी अपराध की श्रेणी में गिना जाता है.

अफीम की खेती करने के लिए उपयुक्त जलवायु की अहम जरूरत होती है. इसकी खेती के लिए करीब 20 से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान की आश्यकता होती है.

दरअसल अफीम की खेती की ओर लोग सबसे ज्यादा आकर्षित होते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह सीधा सा है. बहुत ही कम लागत में छप्पर फाड़ कमाई का होना. देश में अफीम की खेती गैरकानूनी है लेकिन अगर इसे नारकोटिक्स विभाग से स्वीकृति लेकर किया जाए, तो फिर आपको कोई डर नहीं. इसी मद्देनजर पंजाब में अफीम की खेती की मांग जोर पकड़ने लगी है.

पंजाब में अफीम की खेती को लेकर सबसे बड़ा जो खतरा माना जा रहा है. प्रेस कॉफ्रेंस में पत्रकारों ने जब पंजाब पुलिस के महानिदेशक सुरेश अरोड़ा से राज्य में अफीम की  खेती की मांग को लेकर सवाल किया. इस पर उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर कानूनी राय ली जा रही है. राज्य में नशे की समस्या से निपटने के लिए इस हेतु गठित विशेष टास्क फोर्स से तालमेल बनाकर अंकुश लगाया जा रहा है.

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पंजाब सरकार राज्य में नशे को खत्म करने के लिए सख्त कदम उठा रही है. बीते दिनों ही पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सभी सरकारी अधिकारियों का डोप टेस्ट कराने की बात कही थी, जिसके बाद राज्य में हड़कंप मच गया था.

बता दें कि पंजाब सरकार राज्य में नशे के खिलाफ सख्त कानून का प्रावधान ला रही है. राज्य सरकार ने नशे के तस्करों के दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया है. इसके अलावा राज्य में कई जगह नशा मुक्ति केंद्र भी चलाए जा रहे हैं.

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