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40 साल के लोगों ने बुजुर्ग बन लिया पेंशन, अब नुकसान की वसूली करेगी सरकार

सरकार ने सभी जिलों के उपायुक्तों को आदेश जारी किया है कि इन सभी अयोग्य लाभार्थियों द्वारा बुढ़ापा पेंशन के नाम पर हासिल की गई राशि वसूली जाए.

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अमृतसर में पेंशन के लिए कतार में लगी महिलाएं (फोटो-पीटीआई)
अमृतसर में पेंशन के लिए कतार में लगी महिलाएं (फोटो-पीटीआई)

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  • पंजाब सरकार को 163 करोड़ का लगाया चूना
  • 70137 पेंशनधारी जांच के बाद अयोग्य पाए गए
  • अब इन सभी से होगी सरकारी पैसे की वसूली
पंजाब में बुजुर्गों को पेंशन वितरण में बड़े पैमाने पर घोटाला सामने आया है. पंजाब सरकार द्वारा पेंशन लाभार्थियों की कराई गई जांच में 22 जिलों में कुल 70137 लाभार्थी अयोग्य पाए गए हैं. इन लोगों ने गलत तरीके से सरकारी धन को हासिल किया और सरकारी खजाने को 163 करोड़ 35 लाख रुपये का चूना लगाया है.

आरोप है कि पंजाब की पूर्व की अकाली-बीजेपी सरकार के कार्यकाल के दौरान 70 हजार से ज्यादा लोगों के नाम फर्जी तरीके से लाभार्थियों की सूची में चढ़ा दिए गए.

राज्य सरकार ने जारी किए वसूली के आदेश

अब अमरिंदर सरकार ने सभी जिलों के उपायुक्तों को आदेश जारी किया है कि इन सभी अयोग्य लाभार्थियों द्वारा बुढ़ापा पेंशन के नाम पर हासिल की गई राशि वसूली जाए. अकाली-भाजपा सरकार के दौरान बुढ़ापा पेंशन वितरण में भेदभाव और अयोग्य लोगों को लाभ पहुंचाने की कई शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए प्रदेश की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने सभी पेंशनधारकों की जांच के आदेश दिए थे.

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सरकार ने इस दौरान नए पात्र पेंशनधारकों को अपना नाम सूचीबद्ध कराने का मौका भी दिया था और जांच में अयोग्य पाए जा रहे लोगों को पेंशनधारकों की सूची से बाहर भी करने को कहा था.

पढ़ें- मोहाली: पेंशन और सैलरी नहीं मिलने से नाराज कर्मचारी, सरकार के खिलाफ हल्लाबोल

अब पंजाब सरकार ने फर्जी पेंशनधारकों से सामाजिक सुरक्षा अधिकारियों को वसूली करने और 15 दिन में इसकी रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं.

उम्र में हेर-फेर कर ली पेंशन

पंजाब कांग्रेस का आरोप है कि 30 से 40 साल की महिलाओं और पुरुषों के उम्र में हेरफेर कर गलत तरीके से उनकी बुढ़ापा पेंशन शुरू कर दी गई. जबकि पेंशन सिर्फ 60 साल के या उससे ऊपर के लोगों को ही मिलता है. सरकारी लाभ लेने के लिए इन्होंने फर्जीं इनकम सर्टिफिकेट लगाया और गलत पते दिए.

कर्मचारियों की मिलीभगत

इस फर्जीवाड़े में सबंधित विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत भी उजागर हुई है. पेंशन का ये गोरखधंधा साल 2014-15 में शुरू हुआ.

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ये फर्जी लाभार्थी करीब 2 साल तक पेंशन का लाभ लेते रहे. पेंशन का भार बढ़ने पर राज्य की सरकार ने साल 2017 में इसकी जांच के आदेश दिए.

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जांच के 3 साल बाद इस घोटाले का खुलासा हुआ है और पता चला है कि 22 जिलों में 70,137 लोगों ने अवैध तरीके से पेंशन निकाल सरकार को करीब 163 करोड़ से ज्यादा के राजस्व का चूना लगाया.

50 हजार आमदनी वाले भी ले रहे थे पेंशन

जांच के दौरान सरकार ने पाया कि ऐसे लोग भी पेंशन ले रहे थे जिनकी आमदनी हर महीने 50 हजार से ज्यादा है. ये लोग दूध, जनरल स्टोर आदि के कारोबार से जुड़े हुए थे. ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे लोगों पेंशन का फायदा उठा रहे थे जिनके पास दस-दस एकड़ तक जमीन है.

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