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पंजाब: दिवाली पर 2 घंटे चला सकेंगे पटाखे, सरकार का बड़ा फैसला

पंजाब के लोग दिवाली पर रात में 8 से 10 बजे तक पटाखे जला सकेंगे. पंजाब सरकार में मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने जिला प्रशासन को निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया है. पंजाब सरकार ने सभी त्योहारों को ध्यान में रखते हुए एक समय सीमा तय कर दी है. जिसके हिसाब से ही राज्य में लोग पटाखे चला सकेंगे.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

पंजाब सरकार ने दिवाली पर पटाखे फोड़ने की टाइमिंग तय कर दी है. पंजाब सरकार में मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने बताया कि राज्य में दिवाली की रात 8 से 10 बजे तक सिर्फ दो घंटे के लिए पटाखों की अनुमति होगी. दीवाली के अलावा, श्री गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व दिवस 8 नवंबर को सुबह 4 बजे से सुबह 5 बजे तक और रात में 9 से 10 बजे तक एक घंटे के लिए पटाखे चलाने की अनुमति होगी.

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इसके अलावा पंजाब सरकार ने आगे की भी तैयारी कर रखी है. राज्य में 25-26 दिसंबर को रात 11.55 बजे से 12.30 बजे तक क्रिसमस के लिए 35 मिनट और 31 दिसंबर से 1 जनवरी तक नए साल की पूर्व संध्या पर रात 11.55 बजे से 12.30 बजे तक 35 मिनट की पटाखे चलाने की अनुमति दी गई है. 

मानने होंगे ये नियम

इसके साथ ही केवल ग्रीन पटाखों की खरीद एवं बिक्री और चलाए जाने की आज्ञा दी है. लिथियम, बेरियम आदि जहरीले रसायनों वाले पटाखे और लड़ी वाले पटाखों पर पूर्ण पाबंदी है. इसके अलावा आधिकारिक स्थानों पर पटाखों की खरीद एवं बिक्री की इजाजत दी गई है.

दिल्ली में जारी रहेगा बैन

बता दें कि पटाखों को लेकर दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुनाया है. कोर्ट के आदेश के मुताबिक दिल्ली में पटाखों पर लगा बैन दिवाली के दौरान भी नहीं हटने वाला है. बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. उस याचिका में पटाखों पर लगे बैन को संस्कृति के खिलाफ बताया गया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि दिल्ली में पटाखों पर लगा प्रतिबंध नहीं हटने वाला है.

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प्रदूषण के चलते लगाते हैं बैन

गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली समेत आसपास के कुछ राज्य प्रदूषण के चलते पटाखों पर बैन लगाते हैं. दिल्ली में तो पिछले कई सालों से लगातार प्रदूषण की वजह से दिवाली के दौरान पटाखों पर बैन लगा हुआ है. हर साल इस फैसले पर जमकर राजनीति होती है और समाज के अलग-अलग वर्ग से अलग विचार देखने-सुनने को मिल जाते हैं. एक पक्ष अगर पर्यावरण के लिहाज से इसे जरूरी बताता है तो एक वर्ग ऐसा भी है जो इसे संस्कृति से जोड़ देता है.

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