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पराली पर रार! पंजाब बोला- दिल्ली अपने प्रदूषण के लिए खुद जिम्मेदार, खुद तलाशे कारण और निवारण

बोर्ड का कहना है कि अगर पराली का धुंआ हवा की गुणवत्ता बिगड़ने का प्रमुख कारण होता तो पंजाब की एंबिएंट एयर क्वालिटी ने भी वैसा ही रुझान दिखाया होता लेकिन पंजाब का AQI आम तौर पर मॉडरेट रेंज (100-200) में है, जबकि दिल्ली और आसपास के स्टेशनों का AQI बहुत खराब श्रेणी में है.

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पराली जलाता किसान.(फाइल फोटो)
पराली जलाता किसान.(फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  •  पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का दिल्ली को दो टूक जवाब
  • बोर्ड बोला- दिल्ली खुद तलाशे कारण और निवारण
  • पंजाब में किसान जला रहे पराली

देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने दो टूक जवाब दिया है. बोर्ड का दावा है कि दिल्ली की आबो हवा के लिए पंजाब की पराली जिम्मेदार नहीं है. बोर्ड का कहना है कि दिल्ली अपने प्रदूषण के कारण और निवारण खुद खोजे. दोनों राज्यों के बीच पराली जलाने के मसले पर रार होती नजर आ रही है.

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पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन एस एस मारवाह का दावा है कि एनसीआर विशेषकर दिल्ली की बिगड़ती हवा की गुणवत्ता में पंजाब में पराली की आग के योगदान को प्रमुख योगदान नहीं कहा जा सकता है और वहां का प्रदूषण दिल्ली-एनसीआर के आंतरिक प्रदूषणकारी स्रोतों और जलवायु परिस्थितियों के कारण होता है जो अक्टूबर से मार्च के दौरान विकसित होते हैं.

बोर्ड का कहना है कि अगर पराली का धुंआ हवा की गुणवत्ता बिगड़ने का प्रमुख कारण होता तो पंजाब की एंबिएंट एयर क्वालिटी ने भी वैसा ही रुझान दिखाया होता लेकिन पंजाब का AQI आम तौर पर मॉडरेट रेंज (100-200) में है, जबकि दिल्ली और आसपास के स्टेशनों का AQI बहुत खराब श्रेणी में है.

बोर्ड ने कहा कि दिल्ली और एनसीआर के क्षेत्रों में दिसंबर जनवरी तक हवा की गुणवत्ता खराब रहती है और तब पराली जलने जैसी कोई भी बात नहीं होती. दिल्ली-एनसीआर का वातावरण मुख्य रूप से औद्योगिक, बिजली संयंत्र, वाहन यातायात, आवासीय, हवाई अड्डे की गतिविधि, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट लैंडफिल साइट आग, भोजनालयों, जैसे आंतरिक स्रोत से PM2.5 और PM10 प्रदूषकों के कारण बढ़ता है.

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बोर्ड की दलील है कि  निर्माण गतिविधियों और अन्य मानवजनित गतिविधियों आदि से हरियाणा के करनाल और पानीपत क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक में काफी वृद्धि होने लगती है, जो एनसीआर के दिल्ली हिस्से के पास हैं. अप्रैल 2019 और 2020 के PM2.5 आंकड़ों की तुलना का उपयोग दिल्ली के वातावरण में स्थानीय स्रोतों के योगदान की पहचान करने के लिए किया जा सकता है क्योंकि अप्रैल 2020 के दौरान कुल लॉकडाउन था.

पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में प्रदूषण का स्तर कम हो गया क्योंकि वहां पर सड़क यातायात और औद्योगिक गतिविधियों में काफी कमी आ गई थी लेकिन अक्टूबर में जैसे ही लॉकडाउन खत्म किया गया वैसे ही वहां पर प्रदूषण फिर बढ़ गया और ये सब कुछ वहां के अपने कारण हैं, पंजाब की पराली का धुआं इसका कारण नहीं है. अधिकांश गतिविधियों के साथ लॉकडाउन के दौरान PM2.5 गिरावट से पता चलता है कि दिल्ली वायु गुणवत्ता में स्थानीय प्रदूषण स्रोतों का प्रमुख योगदान है.

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उधर, धड़ल्ले से पराली जला रहे पंजाब के किसानों ने भी दिल्ली के प्रदूषण के लिए पंजाब में पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराने के दावे को खारिज कर दिया और कहा कि साइंटिफिकली पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी और पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ये बात साबित कर चुका है कि पंजाब में जल रही पराली का धुंआ दिल्ली नहीं पहुंच सकता और बेवजह किसानों को टारगेट किया जा रहा है. 

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केंद्र सरकार के द्वारा प्रदूषण फैलाने वाले किसानों पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने का बिल लाने को लेकर किसानों ने कहा कि जो किसान अपने बिल भी नहीं भर पा रहा वो ये जुर्माना कहां से देगा और अगर सरकारें चाहती हैं कि किसान पराली को आग ना लगाएं तो पराली का समाधान करने के लिए किसानों को आर्थिक मदद दी जाए और उन्हें मशीनरी भी मुहैया करवाई जाए.

 

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