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बिजली पर संकट! दिल्ली के बाद पंजाब के सीएम ने भी केंद्र को किया अलर्ट, कोयला आपूर्ति की मांग

देश को 16 लाख टन कोयले की जरुरत है. इस समय 15 लाख टन उत्पादन हो पा रहा है. ऐसे में कोल कंपनियों को कोयले की उत्पादन बढ़ाने की जरूत है. ताकि इस त्योहारों के समय लोगो को अंधेरे का सामना ना करना पड़े.

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दिल्ली के बाद पंजाब में भी बिजली संकट (सांकेतिक तस्वीर)
दिल्ली के बाद पंजाब में भी बिजली संकट (सांकेतिक तस्वीर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • देश के कई राज्यों में मंडराया बिजली संकट
  • दिल्ली के बाद अब पंजाब और झारखंड में भी आफत!

देश की राजधानी दिल्ली में बिजली संकट के बाद अब पंजाब में भी कोयले की कमी को लेकर बिजली सप्लाई पर असर पड़ने लगा है. पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के एक अधिकारी ने शनिवार को कहा कि कोयले की कमी के कारण कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्र कम क्षमता पर चल रहे हैं. उन्होंने कहा कि बिजली की स्थिति गंभीर होने के कारण, राज्य में बिजली संयंत्रों के पास पांच दिनों तक कोयले का भंडार बचा है.

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बताया जा रहा है कि देश को 16 लाख टन कोयले की जरुरत है. इस समय 15 लाख टन उत्पादन हो पा रहा है. ऐसे में कोल कंपनियों को कोयले की उत्पादन बढ़ाने की जरूत है. ताकि इस त्योहारों के समय लोगो को अधेरे का सामना ना करना पड़े.

ऐसे में पंजाब के थर्मल प्लांटों में होने वाली कोयले की भारी कमी का असर अब बिजली सप्लाई पर दिखाई देने लगा है. जिसमें किसानों को धान की फसल के लिए पर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही है. वहीं शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पॉवर कट की दिक्कत भी शुरू हो चुकी है.  

दिल्ली में भी मंडराया बिजली संकट

दिल्ली में बिजली संकट मंडरा रहा है. बताया जा रहा है कि अगर कोयले की सप्लाई नहीं मिली तो दो दिन बाद पूरी दिल्ली में ब्लैक आउट हो सकता है. दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि जैसे ऑक्सीजन का क्राइसिस हुआ था, वो भी मैन मेड ही था, फिर से वैसी ही क्राइसिस नजर आ रही है कि कोयले की सप्लाई बंद कर दो.

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उन्होंने कहा कि देशभर में जितने भी पावर प्लांट हैं, जो कोयले से चलते हैं, वहां पिछले कुछ दिनों से कोयले की बहुत कमी है. दिल्ली को जिन पावर प्लांट से सप्लाई होती है, उन सभी को मिनिमम एक महीने का कोयला स्टॉक रखना होता है, लेकिन अब वो कम होकर 1 दिन का रह गया है. 

सत्येंद्र जैन ने कहा कि केंद्र सरकार से हमारी अपील है कि रेलवे वैगन का इंतजाम किया जाए और कोयला जल्द से जल्द प्लांट्स तक पहुंचाया जाए. जितने भी प्लांट हैं, वे पहले से ही मात्र 55 फ़ीसदी कैपेसिटी पर चल रहे हैं, 3.4 लाख मेगावाट की जगह आज सिर्फ 1 लाख मेगावाट मांग रह गई है, इसके बावजूद पावर प्लांट सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं.

झारखंड में पावर प्लांटों में कोयले की कमी

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की ओर से जारी कोल स्टॉक की स्थिति के आंकड़ों के मुताबिक, देश के 80 प्रतिशत थर्मल पावर प्लांट्स में कोल स्टॉक एक से चार दिनों का ही है. अगर जल्द कोयला नहीं मिला तो कई पावर प्लांट में बिजली उत्पादन ठप हो जाएगा.  प्राधिकरण ने इनमें से 10 प्लांट्स में कोयले के स्टॉक की स्थिति को क्रिटिकल श्रेणी में रखा है. 13 प्लांटों में स्टॉक की स्थिति को सुपर क्रिटिकल की श्रेणी में रखा गया है. चंद्रपुरा सुपर क्रिटिकल श्रेणी में डीवीसी का बोकारो जिला स्थित चंद्रपुरा थर्मल पावर प्लांट में कोल स्टॉक सुपर क्रिटिकल स्थिति में है. यहां महज तीन दिनों का स्टॉक बचा है.

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चंद्रपुरा थर्मल पावर प्लांट की 630 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता है. यहां रोज 5920 टन कोयले की खपत है. प्लांट अपनी जरूरत के लिए कोल इंडिया पर निर्भर है. केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के मानक के मुताबिक, सामान्य स्थिति में 20 दिनों का स्टॉक होना चाहिए. धनबाद के डीवीसी पावर प्लांट अभी से ही 4 से 6 घंटे का पवार कट करना शुरू है. ऐसे में त्योहारों के समय में आम लोगो को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है साथ ही अन्य सभी प्लांट के पास तीन से चार दिन या उससे कम का ही कोल स्टॉक है. तेनुघाट पावर प्लांट के पास चार दिन बोकारो पावर प्लांट बीटीपीपीएस के पास तीन दिन व कोडरमा पवार प्लांट के पास चार दिनों का स्टॉक है. 


 


 

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