पंजाब में सिख बंदियों की रिहाई को लेकर बुधवार को जमकर बवाल हुआ. प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ हिंसक झड़प भी हुई. इसमें 30 पुलिसकर्मी घायल हो गए.
प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री भगवंत मान के घर जाने की जिद पर अड़े थे. पुलिस ने चंडीगढ़-मोहाली बार्डर पर बैरिकेडिंग कर दी थी, ताकि प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री के घर तक न पहुंच सकें. इसके बाद प्रदर्शनकारी हिंसा पर उतर आए, जिसके जवाब में पुलिस ने वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया.
चंडीगढ़ के डीजीपी प्रवीण रंजन ने बताया कि जो भी लोग इस हिंसा में शामिल थे, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी. उन्होंने ये भी बताया कि चंडीगढ़ में धारा 144 लागू कर दी गई है और अब किसी भी प्रदर्शन की अनुमति नहीं है.
सिख बंदियों की रिहाई का मामला क्या है? बुधवार को चंडीगढ़ में क्या और कैसे हुआ? सिख बंदियों की रिहाई में राम रहीम का क्या कनेक्शन? समझते हैं...
क्या हुआ बुधवार को?
- 'कौमी इंसाफ मोर्चा' के बैनर तले ये प्रदर्शन हो रहा था. प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री भगवंत मान से मिलने की जिद पर अड़े थे. उनकी सबसे बड़ी मांग सिख बंदियों की रिहाई को लेकर है.
- पंजाब के अलग-अलग हिस्सों से आए प्रदर्शनकारी 7 जनवरी से ही चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर YPS चौक के पास प्रदर्शन कर रहे हैं. बाद में इस प्रदर्शन में तलवार और लाठियों के साथ और प्रदर्शनकारी भी जुड़ गए. इनमें कई निहंग सिख भी शामिल हैं.
- बुधवार को प्रदर्शनकारी सीएम आवास की ओर बढ़ने लगे. पुलिस ने रोका तो वो हिंसक हो गए. उन्होंने पुलिस पर हमला कर दिया. पुलिस का कहना है कि बैरिकेडिंग तोड़ने के लिए प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर लेकर आए थे.
घोड़े पर सवार, खतरनाक हथियार लेकर आए प्रदर्शनकारी
- चंडीगढ़ के डीजीपी प्रवीण रंजन ने बताया कि प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए थे और वो बैरिकेडिंग को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के साथ मारपीट की.
- अधिकारियों ने बताया कि कई सारे निहंग घोड़े पर सवार होकर आए थे, उनके पास तलवार, लोहे की रॉड और लाठियों जैसे खतरनाक हथियार भी थे.
- डीजीपी ने बताया कि जब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो प्रदर्शनकारियों ने तलवार से हमला कर दिया. इसमें कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
- उन्होंने कहा कि इस घटना में 25 से 30 पुलिसवाले गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. पुलिस पर पत्थर भी फेंके गए थे. उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने कम से कम फोर्स का इस्तेमाल किया था. उन्होंने इसके लिए कौमी इंसाफ मोर्चा को जिम्मेदार ठहराया है.
#WATCH | Protesters belonging to the Quami Insaaf Morcha clashed with Chandigarh Police after the police stopped them from entering the city
— ANI (@ANI) February 8, 2023
The Morcha is demanding the release of Sikh prisoners who were convicted of various crimes during the period of militancy in Punjab pic.twitter.com/LCaZNChfw1
प्रदर्शनकारियों की मांगें क्या हैं?
- कौमी इंसाफ मोर्चा के नेता गुरचरन सिंह ने दावा किया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर वॉटर कैनन और लाठीचार्ज का इस्तेमाल किया और उसी में वो घायल हुए हैं.
- प्रदर्शनकारी 2015 के बेअदबी मामले और फरीदकोट में पुलिस फायरिंग की घटना में इंसाफ की मांग कर रहे हैं. निहंगों के अलावा कई दूसरे सिख संगठन भी मोर्चा के साथ हैं.
- साथ ही वो सिख बंदियों की रिहाई की मांग कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी बलंवत सिंह राजोआना, दविंदरपाल सिंह भुल्लर समेत कई सिख बंदियों की रिहाई की मांग कर रहे हैं.
सिख बंदियों की रिहाई का मामला क्या?
- सिख संगठन पिछले काफी अरसे से जेलों में सजा पूरी कर चुके सिख कैदियों की रिहाई की मांग कर रहे हैं. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति और शिरोमणि अकाली दल पिछले दो सालों से इन कैदियों की रिहाई की मांग कर रहा है.
- इन कैदियों की रिहाई के लिए कई सिख संगठनों ने कौमी इंसाफ मोर्चा के बैनर तले एक महीना पहले चंडीगढ़– मोहाली बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया जो लगातार जारी है. सिख संगठनों ने लगभग एक किलोमीटर लंबी सड़क को जाम कर दिया है. किसान संगठनों ने भी कौमी इंसाफ मोर्चा को अपना समर्थन दिया है.
- सिख संगठन 22 कैदियों की रिहाई की मांग कर रहे हैं. इनमें से ज्यादातर आतंकवाद से जुड़े मामलों में सजा काट रहे हैं. सिख संगठनों का दावा है कि ज्यादातर कैदी अपनी सजा पूरी कर चुके हैं. 22 में से 8 तो 20 साल से ज्यादा समय से जेलों में बंद हैं. 8 में से 6 लोग पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में सजा काट रहे हैं.
- जिन कैदियों की रिहाई की मांग की जा रही है उनमें दविंदरपाल सिंह भुल्लर, हरनेक सिंह भाप, दया सिंह लाहोरिया, जगतार सिंह तारा, परमजीत सिंह भेवरा, शमशेर सिंह, गुरमीत सिंह, लखविंदर सिंह लक्खा, जगतार सिंह हवारा और बलवंत सिंह राजोआना जैसे लोग शामिल हैं.
- दविंदर पाल भुल्लर 1995 से जेल में हैं. 1993 में दिल्ली में यूथ कांग्रेस के हेडक्वार्टर के बाहर बम ब्लास्ट करने के दोषी हैं. इस ब्लास्ट में 9 लोगों की मौत हो गई थी. 2001 में ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी. 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था.
- बलवंत सिंह राजोआना को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में दोषी करार दिया जा चुका है. उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया है और अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई है. वो पटियाला जेल में बंद है. राजोआना ने फांसी की सजा को चुनौती नहीं दी है. इस मामले में दूसरे दोषी को उम्रकैद की सजा मिली थी.
राम रहीम का क्या है कनेक्शन?
- डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम को हाल ही में फिर से पैरोल पर रिहा किया गया है. सिख संगठन इससे नाराज हैं.
- सिख नेताओं का मानना है कि जेलों में बंद सिख कैदियों को या तो पैरोल नहीं दी जाती और अगर दी भी जाती है तो शर्तों के साथ. पैरोल के नाम पर उनको जंजीरों में बांधकर सिर्फ कुछ घंटों की मोहलत दी जाती है.
- उधर गुरमीत राम रहीम को बार-बार पैरोल दी जाती है और जेल से बाहर आने पर उसे जेड प्लस सुरक्षा, सत्संग करने, वीडियो आदि बनाने जैसी छूट दी जा रही है.
- सिख समुदाय का मानना है कि गुरमीत राम रहीम एक बलात्कारी और हत्यारा है. सरकार उसे सभी सुविधाएं देकर और सिख कैदियो के साथ भेदभाव करके सिख समुदाय के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है.
- एक निहंग सिख संगठन तरना दल के कमलप्रीत सिंह खालसा का कहना था कि पैरोल के मामले में सिखों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां बलात्कारी और हत्यारा गुरमीत राम रहीम मनमर्जी से पैरोल पर बाहर आ रहा है वहीं सिख कैदियों को सजा पूरी होने के बावजूद भी रिहा नहीं किया जा रहा है.