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पंजाब: संगरूर से बेटे को टिकट न मिलने पर सुखदेव सिंह ढींडसा नाराज,बोले- 'अब विश्वास टूट गया...' 

बेटे को संगरूर लोकसभा सीट से टिकट न मिलने पर सुखदेव सिंह ढींडसा ने नाराजगी जाहिर करते हुए शनिवार को अपने समर्थकों के साथ एक बैठक की. उन्होंने बताया कि उनके समर्थकों ने चुनाव में संगरूर से SDA उम्मीदवार इकबाल सिंह झुंडन का समर्थन नहीं करने के लिए कहा है. बैठक के बाद उन्होंने कहा कि अब अगर पार्टी उनके बेटे को टिकट देगी तो वह इसे स्वीकार नहीं करेंगे.

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सुखदेव सिंह ढींडसा. (फाइल फोटो)
सुखदेव सिंह ढींडसा. (फाइल फोटो)

अकाली दल के वरिष्ठ नेता सुखदेव सिंह ढींडसा ने शनिवार को अपने समर्थकों के साथ एक बैठक की. इस बैठक में उन्होंने पार्टी द्वारा अपने बेटे को संगरूर लोकसभा सीट से टिकट नहीं दिए जाने के बाद अपने अगले कदम की रणनीति तैयार की. साथ ही उन्होंने कहा कि वह अकाली हैं और हमेश अकाली ही रहेंगे. 

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इस बैठक के बाद ढींडसा ने कहा कि उनके समर्थकों ने उनसे चुनाव में संगरूर से SDA उम्मीदवार और पूर्व विधायक इकबाल सिंह झुंडन का समर्थन नहीं करने के लिए कहा है. ढींडसा के बेटे और पूर्व वित्त मंत्री परमिंदर ढींढसा को टिकट नहीं दिए जाने से पार्टी के समर्थकों ने असंतोष जाहिर की है.

'अब हमे स्वीकार नहीं...'

बैठक के बाद उन्होंने कहा कि अब अगर पार्टी उनके बेटे को टिकट देगी तो वह इसे स्वीकार नहीं करेंगे. हालांकि, ढींडसा ने कहा कि वह अकाली हैं और हमेशा अकाली ही रहेंगे. 

जब उनसे 17 अप्रैल को शिरोमणि अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के साथ उनकी मुलाकात के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, 'पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे को स्वीकार किया है और माफी मांगी है, लेकिन अब हमारा विश्वास टूट गया है.'

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यह भी पढ़ें: बीजेपी और अकाली दल में नहीं बनी बात, पंजाब में अकेले चुनाव लड़ेगी भाजपा

बता दें कि पिछले महीने ढींडसा ने अपनी पार्टी शिअद (संयुक्त) का सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व वाली शिअद में विलय कर दिया था. तब सुखबीर ने ढींडसा को पार्टी के संरक्षक का पद दिया था. शनिवार को संगरूर में अपने समर्थकों की एक सभा को संबोधित करते हुए, परमिंदर सिंह ढींडसा ने स्पष्ट रूप से टिकट इनकार का जिक्र करते हुए कहा कि वह जो कुछ भी हुआ है, उसके बारे में विवरण से नहीं जाना चाहते.

कमजोर न हो अकाली दल

परमिंदर ढींडसा ने कहा, हम ऐसा कुछ नहीं करना चाहते जिससे अकाली दल कमजोर हो. हम आज भी इस सोच पर कायम हैं कि अकाली दल को कैसे मजबूत किया जाए. हमसे ज्यादा नुकसान कार्यकर्ताओं को हुआ है. पिता-पुत्र की जोड़ी को कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए फरवरी 2020 में अकाली दल से निष्कासित कर दिया गया था. इसके बाद उन्होंने शिअद (संयुक्त) का गठन किया था.

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