पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सीएम अमरिंदर सिंह की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. एक तरफ सिद्धू के बगावती तेवर उनके राजनीतिक सफर मुश्किल बना रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कई मुद्दों पर राज्य में विरोध प्रदर्शन होते दिख रहे हैं. अब शिक्षकों का गुस्सा भी सातवें आसमान पर पहुंच गया है और वे कैप्टन सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. पटियाला में बेरोजगार अध्यापकों के विरोध के बाद अब बुधवार को अस्थायी शिक्षकों ने भी अपना विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है. वे अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं.
शिक्षकों का पंजाब सरकार के खिलाफ प्रदर्शन
पंजाब के मोहाली में पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड के ऑफिस के बाहर सैकड़ों की संख्या में टीचर पहुंच गए और उन्होंने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया. इस दौरान कई टीचर एजुकेशन बोर्ड के दफ्तर की छत पर भी चढ़ गए जिनके हाथ में पेट्रोल की बोतलें थीं और वे लगातार सरकार पर दबाव बना रहे थे. मांग की गई है कि सीएम अमरिंदर सिंह अपने 2017 वाले चुनावी वादे को पूरा करें. उस समय उनकी तरफ से कहा गया था कि तमाम अस्थायी टीचर जो पिछले कई सालों से सिर्फ ₹6000 की नौकरी पर काम कर रहे हैं, उन्हें पक्की नौकरी दी जाएगी. अब वो पक्की नौकरी अभी तक नहीं दी गई है और उन्हें सैलरी भी काफी कम मिल रही है.
Punjab: Non-permanent teachers of Punjab School Education Board protest in Mohali over their job status
— ANI (@ANI) June 16, 2021
There are around 13,000 teachers, some working for 16-18 years but are still not regular employees. Govt didn't fulfill their promise &keeps on postponing meeting: A protester pic.twitter.com/GrjxNLSx6S
अमरिंदर ने किया वादा, रह गया अधूरा
शिक्षक मांग कर रहे हैं कि भेदभाव खत्म होना चाहिए और उन्हें भी अब वही सैलरी मिलनी चाहिए जिसके वे हकदार हैं. तर्क दिया गया है कि वे भी पूरे दिन स्कूल में मेहनत करते हैं, वहीं काम करते हैं जो दूसरे शिक्षक कर रहे होते हैं, क्योंकि वे पर्मानेंट नहीं हैं, ऐसे में उन्हें सिर्फ 6 हजार की सैलरी मिलती है और दूसरे शिक्षकों को 60 हजार की मिलती है. अब सरकार पर दवाब बनाने के लिए विरोध कर रहे शिक्षकों द्वारा सीएम अमरिंद का एक पुराना वीडियो भी जारी किया गया है. उस वीडियो में कैप्टन कहते सुनाई दे रहे हैं कि इन शिक्षकों से ज्यादा सैलरी तो उनके माली की होती है. अब उस समय उन्होंने भरोसा दिलवाया था कि सैलरी उचित की जाएगी, लेकिन सत्ता में आने के बाद से उनका ये वादा अधूरा रह गया और इसलिए अब ये विरोध प्रदर्शन होता दिख रहा है.