मोहाली स्थित पंजाब शिक्षा निदेशालय के बाहर शिक्षित बेरोजगारों के कई वर्ग पिछले 10 महीनों से दिन-रात धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके लिए बकायदा सड़क पर टेंट भी लगाए गए हैं. यहां प्रदर्शन कर रहे, पंजाब के उच्च शिक्षित बेरोजगार शिक्षक हैं जो पिछले दस सालों से नौकरी का इंतजार कर रहे हैं. आजतक की टीम ने इनसे जब बातचीत की तो इन्होंने अपने बैग से कुछ कागज दिखाए. यह वो कागज थे जो इन सभी बेरोजगार शिक्षकों के दस साल लंबे संघर्ष की कहानी बयान कर रहे थे.
कई स्नातकोत्तर और यहां तक कि एमफिल और पीएचडी की डिग्रियां अर्जित करने वाले यह शिक्षक अपनी गलती से नहीं बल्कि पंजाब सरकार की एक बड़ी चूक के चलते दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. आरोप है कि साल 2011 और 2013 में शिक्षकों की भर्ती के लिए एक प्रतियोगी परीक्षा आयोजित की गई, जिसमें कथित तौर पर गड़बड़ी हुई. इस परीक्षा में मेरिट हासिल करने वाले 310 लोगों को नौकरी नहीं मिली जबकि उनसे कम अंक हासिल करने वाले किसी तरह नौकरी पा गए. जिन लोगों को आज भी नौकरी का इंतजार है उनको इस परीक्षा में 65 अंक मिले थे और जिन को नौकरी दी गई उनके पास सिर्फ 48 अंक थे.
4 सवालों की आंसर की गलत थी
आरोप है कि इस परीक्षा में पूछे गए 4 सवालों के आंसर की (Answer Key) गलत थी. लेकिन जिन अभ्यर्थियों ने गलत जवाब दिए उनको परीक्षा में पास कर दिया गया और जिन्होंने सही जवाब दिए उनको नौकरी नहीं मिली. इस परीक्षा में पूछे गए जिन 4 सवालों पर विवाद खड़ा हुआ था उनमें एक सवाल यह भी था कि एक वृत्त यानी सर्कल में कुल कितने डिग्री होते हैं. जिस जिस ने सही जवाब यानी 360-degree लिखा उसके अंक काट दिए गए और जिसने जवाब में (आंसर की के मुताबिक) 373 लिखा उसे अंक दे दिए गए.
मामला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट पहुंचा जिस पर सुनवाई करते हुए एक बेंच ने 25 सितंबर 2017 को दिए अपने फैसले में प्रभावित उम्मीदवारों को चार-चार कृपांक देने का आदेश दिया, लेकिन सरकार ने कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया. मजबूरन इन बेरोजगारों को एक बार फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. कोर्ट ने 27 नवंबर 2020 के फैसले में एक बार फिर पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए 310 प्रभावित अभ्यर्थियों को नौकरी देने की हिदायत दी. लेकिन पंजाब सरकार की तरफ से अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. कोर्ट के आदेशों के बावजूद भी यह बेरोजगार पिछले 10 सालों से सरकारी नौकरी का इंतजार कर रहे हैं.
पिछले 10 सालों के दौरान बहुत कुछ बदल चुका है
38 साल के मोहम्मद हनीफ मलेरकोटला के रहने वाले हैं. जब उन्होंने इस नौकरी के लिए आवेदन किया था तो उनकी उम्र महज 28 वर्ष थी. सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए मोहम्मद हनीफ ने बड़ी मेहनत से MA और BEd की डिग्री हासिल करने के बाद शिक्षकों की भर्ती के लिए आयोजित होने वाली तीन परीक्षाएं उत्तीर्ण की. इस बीच हनीफ का निकाह हो गया और वह दो बेटियों के पिता बन गए. उनके पिता की आंखों की रोशनी चली गई और बड़ी बहन अपाहिज है. हनीफ परिवार का पेट पालने के लिए मजदूरी करते हैं, लेकिन जब प्रदर्शन के लिए आना होता है तो कोई कमाई नहीं होती.
वहीं संगरूर के लहरा गागा क्षेत्र के रहने वाले सरबजीत सिंह अब 40 वर्ष के हैं. जब उन्होंने इस नौकरी के लिए आवेदन किया था उस वक्त उनकी उम्र 30 वर्ष थी. उनके पास दो मास्टर डिग्री, M.Ed और एमफिल की डिग्री भी है. सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए उन्होंने भी मोहम्मद हनीफ की तरह पीएसटीईटी जैसी परीक्षा पास किया, लेकिन नौकरी आज भी दूर की कौड़ी है.