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जम्मू-कश्मीर राजभाषा बिल में पंजाबी भाषा को हटाने पर बवाल, जानें क्या है पूरा मामला

विधेयक को मंजूरी दिए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में अब सिर्फ पांच भाषा- कश्मीरी, डोगरी, हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी आधिकारिक भाषाएं होंगी. पंजाबी भाषा जम्मू कश्मीर की आधिकारिक भाषा की सूची से बाहर हो गई है.

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पंजाब के कैबिनेट मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (फाइल फोटोः फेसबुक)
पंजाब के कैबिनेट मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (फाइल फोटोः फेसबुक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अब रह गई हैं सिर्फ 5 आधिकारिक भाषाएं
  • मंत्री ने बताया अल्पसंख्यक विरोधी कदम
  • कहा- आहत हुई हैं सिख समुदाय की भावनाएं

केंद्रीय कैबिनेट ने जम्मू कश्मीर राजभाषा विधेयक को मंजूरी दे दी है. इस विधेयक को मंजूरी दिए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में अब सिर्फ पांच भाषा- कश्मीरी, डोगरी, हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी आधिकारिक भाषाएं होंगी. पंजाबी भाषा जम्मू कश्मीर की आधिकारिक भाषा की सूची से बाहर हो गई है. पंजाबी को लेकर अब सियासी घमासान भी शुरू हो गया है.

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सिख समुदाय के लोग केंद्र सरकार के इस कदम को अल्पसंख्यक विरोधी कदम बता रहे हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक पंजाब के कैबिनेट मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने जम्मू कश्मीर राजभाषा विधेयक से पंजाबी भाषा को बाहर किए जाने की आलोचना करते हुए इसे देश के संघीय ढांचे पर हमला करार दिया. चन्नी ने कहा कि पंजाबी भाषा जम्मू कश्मीर की विशेष स्थिति को समाप्त किए जाने (अनुच्छेद 370 हटाए जाने) से पहले वहां के संविधान का हिस्सा थी. यह अल्पसंख्यक विरोधी निर्णय है. भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में शामिल शिरोमणि अकाली दल भी क्षेत्रीय भाषा के खिलाफ इस कदम के लिए बराबर की जिम्मेदार है.   

पंजाब के मंत्री ने कहा कि पंजाबी जम्मू और कश्मीर की बड़ी आबादी के बीच लोकप्रिय थी. इस कदम से लाखों पंजाबी भाषी लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है. पंजाबी भाषा को आधिकारिक भाषाओं की सूची से बाहर करना केंद्र सरकार का अतिवादी कदम है. उन्होंने कहा कि इस कदम से जम्मू और कश्मीर में ही नहीं, देश के सभी पंजाबी भाषी लोगों में आक्रोश है. चन्नी ने कहा कि पंजाबी भाषा न केवल पंजाब की मुख्य भाषा है, बल्कि यह सीमावर्ती अन्य राज्यों हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली की भी मुख्य भाषाओं में से एक है.

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उन्होंने कहा कि कनाडा और ब्रिटेन जैसे देशों में भी पंजाबी मान्यता प्राप्त भाषा है, लेकिन अपने ही देश में भाजपा की सरकार ने यह शर्मनाक काम कर दिया. उन्होंने चेतावनी दी कि केंद्र सरकार को अल्पसंख्यकों के खिलाफ तानाशाही कदमों के परिणाम भुगतने होंगे. चन्नी ने बादल परिवार पर हमला बोलते हुए कहा कि एसएडी, हरसिमरत कौर के मंत्रालय को बचाने के लिए भाजपा के हाथ की कठपुतली बन गई है. 

क्या है पूरा मामला

केंद्रीय कैबिनेट ने जम्मू कश्मीर के नए राजभाषा विधेयक में केवल पांच भाषाओं को ही रखने की मंजूरी दी है. इन पांच भाषाओं में स्थानीय भाषाओं कश्मीरी, डोगरी के साथ ही हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू को ही रखा गया है. पंजाबी भी जम्मू कश्मीर राज्य की आधिकारिक भाषा हुआ करती थी, लेकिन अब नए राजभाषा विधेयक के पारित होने के साथ ही पंजाबी भाषा से यह दर्जा छिन गया है.

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