शेरी पाजी और महाराजा का झगड़ा अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दरबार में जा पहुंचा है. जी हां, हम बात कर रहे हैं बीजेपी से चुनाव के पहले कांग्रेस में आए नवजोत सिंह सिद्धू और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की.
दरअसल, अमृतसर से सांसद रहे सिद्धू, जब कांग्रेस में आए तो उनके साथ उनके समर्थक दमनदीप भी पार्टी में शामिल हुए. अब अमृतसर में अपना दबदबा चाहने के लिहाज से सिद्धू ने दमनदीप को अमृतसर का मेयर बनाने के लिए कैप्टन पर दबाव बनाया. लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिद्धू की एक ना सुनी. कैप्टन ने साफ कर दिया कि पुराने कांग्रेसियों को तरजीह दी जाएगी. इसके बाद सिद्धू ने सदस्यों के जरिए ताकत दिखाने की भी कोशिश की, लेकिन संख्या बल कैप्टन के हक में रहा.
ऐसे में नाराज सिद्धू ने राहुल गांधी से मिलकर शिकायत करने के लिए वक्त मांगा. गुरुवार को सिद्धू राहुल से मिले तो शिकायत करने के लिए थे, लेकिन उलटे राहुल ने सिद्धू से नाराजगी जता दी. ये वो लम्हा था, जिसकी शायद सिद्धू ने उम्मीद ही नहीं की होगी. वैसे भी सिद्धू जब कांग्रेस में शामिल हुए थे, तब अहम भूमिका और सारी बातचीत प्रियंका गांधी के जरिए हुई थी. राहुल ने सिर्फ मुहर लगाई थी. लेकिन अब राहुल बतौर अध्यक्ष सिद्धू से मुखातिब थे.
हुआ यूं कि सिद्धू जब कैप्टन की शिकायत करने पहुंचे तो उससे पहले ही कैप्टन ने अपनी रिपोर्ट राहुल को सौंप दी थी. कैप्टन ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा कि सिद्धू सिर्फ अमृतसर में अपना दबदबा चाहते हैं. इसलिए वह अपने उस समर्थक दमनदीप को वहां का मेयर बनाना चाहते हैं, जो सिर्फ सिद्धू भक्त हैं, राजनीति में उतने सक्रिय भी नहीं हैं.
जबकि कांग्रेस के पुराने नेता पहले से कतार में हैं. साथ ही सिद्धू इसके लिए पार्टी में फूट डालने की भी कोशिश कर रहे थे, जिसमें नाकाम रहे. कैप्टन की रिपोर्ट में एक खास बात का जिक्र किया गया कि सिद्धू ने हिमाचल और गुजरात के विधानसभा चुनाव में कहने के बावजूद प्रचार नहीं किया. बस यही बात राहुल को खासतौर पर अखर गई.
दरअसल, हिमाचल बिल्कुल पंजाब से सटा हुआ है. डिमांड के बावजूद सिद्धू वहां प्रचार करने नहीं गए. प्रभारी आशा कुमारी ने सिद्धू से प्रचार करने को कहा, लेकिन सिद्धू ने नजरअंदाज कर दिया.
इसके बाद मामला राहुल तक पहुंचा और 4 दिसम्बर को राहुल के पार्टी अध्यक्ष पद के नामांकन के दिन जब सिद्धू कांग्रेस मुख्यालय आए तो खुद राहुल ने सिद्धू से हिमाचल में प्रचार नहीं करने की बात उठाते हुए आगे गुजरात में चुनाव प्रचार करने का निर्देश दिया. लेकिन पार्टी और राहुल को धता बताते हुए सिद्धू हिमाचल के बाद गुजरात में भी चुनाव प्रचार करने नहीं गए.
गुजरात चुनाव राहुल के काफी करीब रहा. राहुल ने वहां पूरा जोर लगाया. हालांकि कम अंतर से कांग्रेस टक्कर देते हुए चुनाव हार गई. ऐसे में गुजरात में सिद्धू का प्रचार करने नहीं जाना राहुल को भी नागवार गुजरा. इसीलिए नवजोत सिंह सिद्धू दिल्ली आए तो कैप्टन से अपनी नाराजगी जताने थे, लेकिन उल्टे राहुल की नाराजगी सुनकर लौटे.
शायद कह सकते हैं कि टीम इंडिया का ये ओपनर पंजाब की सियासी पिच पर राहुल दरबार में आया तो छक्का मारने था, लेकिन खुद ही हिट विकेट हो गया.