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US जाने के लिए पेंशन और पत्नी के जेवर बेच जुटाए थे 40 लाख, डिपोर्ट हुए पूर्व सैनिक मनदीप की कहानी

कभी सेना में रहे 38 साल के पूर्व सैनिक मनदीप सिंह ने शनिवार रात अमेरिका से डिपोर्ट होने के बाद अपनी कहानी साझा की. उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने जीवन भर की कमाई के अलावा पत्नी के जेवर बेचकर अमेरिका जाने का पैसा जुटाया था लेकिन उनका सपना टूट गया.

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डिपोर्ट हुए पूर्व सैनिक मनदीप की कहानी
डिपोर्ट हुए पूर्व सैनिक मनदीप की कहानी

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन आने के बाद वहां से लगातार अवैध प्रवासियों को उनके मुल्क वापस भेजा रहा है. इस कड़ी में सबसे पहले 5 फरवरी को 104 भारतीयों को अमेरिकी वायुसेना के विमान में टेक्सास से सीधे अमृतसर भेज दिया गया था. इसके बाद से डिपोर्ट किए जाने के सिलसिला जारी है. हाथों में हथकड़ी लगाकर भारत भेजे गए इन लोगों की अपनी अलग- अलग दास्तान है. इन्हीं में से एक अमृतसर के मनदीप सिंह अपनी कहानी बताते हैं. 

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17 सालों तक भारतीय सेना में रहे

कभी भारतीय सेना में रहे 38 साल के पूर्व सैनिक मनदीप सिंह ने शनिवार रात अमेरिका से डिपोर्ट होने के बाद अपनी दिल दहला देने वाली कहानी साझा की. 17 सालों से अधिक की सेवा के बाद, मनदीप को अपनी पेंशन के लिए संघर्ष करना पड़ा, जिससे वह अमेरिका में बेहतर अवसर तलाशने के लिए निकल पड़े. उन्होंने कहा, 'मैंने अपने परिवार का भरण-पोषण करने की उम्मीद में अपनी सारी बचत, 40 लाख रुपये, 'डंकी रूट' के जरिए अमेरिका जाने में पर खर्च कर दी. लेकिन दुर्भाग्य से, मैं भाग्यशाली नहीं था.'

36 लाख की पेंशन और पत्नी के जेवरात

मनदीप का अमेरिकी सपना एक नाइट मेयर में बदल गया, जब वह सिर्फ पांच महीने बाद घर भेज दिए गए. उनकी वित्तीय स्थिति पहले से ज्यादा नाजुक थी. उन्होंने बताया- 'मैंने इमीग्रेशन एजेंट को 40 लाख रुपये दिए थे, जिसमें से 36 लाख रुपये मेरी सेना की 17 साल की सेवा के पेंशन के पैसे थे. इसके अलावा मैंने अपनी पत्नी के जेवर तक बेच दिए थे. 

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'70 दिन तक मैगी नूडल्स खाया, काटनी पड़ी दाढ़ी'

उन्होंने आगे बताया- इस सब के बाद डंकी रूट से अमेरिका पहुंचने के लिए कुल 70 दिनों की यात्रा में मैंने केवल मैगी नूडल्स खाया. डंकी रूट के चलते मुझे अपनी दाढ़ी काटने के लिए मजबूर होना पड़ा. इस दौरान भगवान की याद आ गई.

मनदीप ने आगे बताया कि अमेरिका पहुंचने के लिए उन्होंने चार दिनों तक घने जंगलों में पैदल सफर किया, 30 फुट ऊंचे झरनों को नाव से पार किया और कार में कई दिनों तक सफर किया.

'अमेरिकी अधिकारियों ने पगड़ी उतारकर कूड़ेदान में फेंकी'

मनदीप सिंह ने बताया कि पकड़े जाने के बाद अमेरिकी अधिकारियों ने उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया था. उनकी पगड़ी उतारकर कूड़ेदान में फेंक दिया गया. हाथ-पैर बांध दिए गए और सिर खुला छोड़ दिया गया. डिपोर्ट करते हुए विमान से अमृतसर लाने से पहले बेड़ियां और हथकड़ियां हटा दी गईं थीं लेकिन 30 घंटे की लंबी उड़ान में उन्हें खाने के लिए सिर्फ एक सेब और एक पैकेट चिप्स दिया गया था.

जानकारी के मुताबिक, अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीयों को मेक्सिको-अमेरिकी सीमा से पकड़ा गया था. दावा किया गया कि ये लोग भारत से वैध तरीके से रवाना हुए थे, लेकिन इन्होंने डंकी रूट के जरिए अमेरिका में घुसने की कोशिश की थी.

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जंगलों, नदियों और रेगिस्तानों वाला डंकी रूट 

आपको बता दें कि डंकी रूट यानी गैरकानूनी तरीके से विदेश जाने का रास्ता. इसमें लोग कई देशों से होते हुए गैरकानूनी रूप से अमेरिका, कनाडा या यूरोप में घुसने की कोशिश करते हैं.ये लोग टूरिस्ट वीजा या एजेंट्स की मदद से लैटिन अमेरिका के किसी देश (जैसे ब्राजील, इक्वाडोर, पनामा, या मैक्सिको) तक पहुंचते हैं. वहां से जंगलों, नदियों और रेगिस्तानों के रास्ते पैदल चलकर अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर तक पहुंचते हैं. इसके बाद दलालों की मदद से अमेरिका में अवैध रूप से घुसने की कोशिश करते हैं.

डंकी रूट एक लंबा और बेहद मुश्किल सफर होता है. डंकी रूट से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने में कई बार महीनों लग जाते हैं. इसमें लोग अवैध तरीके से ट्रक, विमान या नाव, पैदल चलकर या जंगलों के रास्ते एक देश से दूसरे देश जाते हैं. इस दौरान उन्हें खराब मौसम, भूख, बीमारी, दुर्व्यवहार और कभी-कभी मौत का भी सामना करना पड़ता है.

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