गृहमंत्री राजनाथ सिंह आज अमृतसर के ऐतिहासिक जलियांवाला बाग में शहीद उधम सिंह की प्रतिमा का अनावरण करेंगे. इस कार्यक्रम में राजनाथ के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और राज्य सरकार के अन्य मंत्री भी शामिल हो सकते हैं.
अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभाने वाले शहीद उधम सिंह की प्रतिमा को जलियांवाला बाग में लगाने की मांग काफी समय से उठ रही थी. आपको बता दें कि 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियांवाला हत्याकांड के अगले महीने 100 साल पूरे हो रहे हैं.
क्या है जलियांवाला बाग हत्याकांड?
ये हत्याकांड पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 (बैसाखी के दिन) को हुआ था. इस दिन रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी. जनरल डायर ने उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियां चलवा दी थीं. इसमें कांड में सभा में उपस्थित हजारो लोग मारे गए. इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था.
बता दें कि रौलेट एक्ट मार्च 1919 में भारत की ब्रितानी सरकार द्वारा भारत में उभर रहे राष्ट्रीय आंदोलन को कुचलने के उद्देश्य से निर्मित कानून था.
जनरल डायर से जलियांवाला बाग का बदला कुछ इस तरह लिया उधम सिंह ने...
उधम सिंह ने लिया बदला
जनरल डायर के जुल्मों का बदला लेने का फैसला उधम सिंह ने लिया. बदला पूरा करने के लिए साल 1934 में उधम सिंह लंदन जाकर रहने लगे. 13 मार्च 1940 को 'रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी' की लंदन के 'कॉक्सटन हॉल' में बैठक थी. इस बैठक में डायर को भी शामिल होना था. उधम भी वहां पहुंच गए.
जैसे ही डायर भाषण के बाद अपनी कुर्सी की तरफ बढ़ा किताब में छुपी रिवॉल्वर निकालकर उधम सिंह ने उसपर गोलियां बरसा दीं. डायर की मौके पर ही मौत हो गई. उधम सिंह को पकड़ लिया गया और मुकदमा चला. 31 जुलाई 1940 को उन्हें फांसी दे दी गई.