पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गुरुवार को आरोप लगाया है कि शिरोमणि अकाली दल (SAD) श्री गुरु नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व समारोह का राजनीतिकरण करते हुए आयोजन में बाधा डाल रहा है. उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक संयुक्त समारोह में शामिल होने के लिए पंजाब के सांसदों, विधायकों और मंत्रियों को ननकाना साहेब जाने के लिए वीजा और अनुमति नहीं दी जा रही है.
क्या है पूरा मामला?
आयोजन के प्रबंधन की समीक्षा के दौरान अनौपचारिक रूप से मीडियाकर्मियों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह गर्व का अवसर है, जिसे उनकी सरकार राजनीति से ऊपर उठकर एक संयुक्त समरोह के रूप में मनाना चाह रही थी. लेकिन शिरोमणि अकाली दल और खासकर केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने राज्य सरकार के प्रयासों को नाकाम करने का भरपूर प्रयास किया है जो कि विशुद्ध ओछापन है.
इस समारोह के लिए पंजाब सरकार की ओर से 550 करोड़ रुपये खर्च करने का जिक्र करते हुए अमरिंदर ने कहा कि इस पूरे अवसर को अकाली दल ने अपनी सहयोगी बीजेपी के साथ मिलकर तमाशे में तब्दील कर दिया है. कैप्टन अमरिंदर ने अपने मंत्रियों और पंजाब के प्रतिनिधियों को पाकिस्तान के गुरुद्वारा ननकाना साहिब जाने की अनुमति न देने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया.
उन्होंने कहा कि इस धार्मिक अवसर पर राजनीति को परे रखा जाना चाहिए. उन्होंने यह भी दोहराया कि कॉरिडोर से जाने वाले तीर्थयात्रियों पर 20 डॉलर की फीस वापस न लेने के पाकिस्तान के फैसले का वे विरोध जारी रखेंगे.
केंद्र सरकार का दावा?
उन्होंने सिख समुदाय की भावनाओं और परंपराओं के मद्देनजर पाकिस्तान सरकार से दिल बड़ा रखने की अपील की. यह पूछने पर कि क्या पंजाब सरकार तीर्थयात्रियों की तरफ से फीस की यह रकम भरने को तैयार है, अमरिंदर ने कहा कि वे सिद्धांतत: पाकिस्तान को कुछ भी देने के खिलाफ थे.
एक सवाल के जवाब में कैप्टन ने कहा कि केंद्र सरकार का यह दावा बकवास है कि 550वें प्रकाश पर्व से जुड़ी परियोजनाओं के खर्च का बड़ा हिस्सा केंद्र की ओर से दिया जा रहा है. केंद्र ने सिर्फ परियोजनाओं के लिए पैसा दिया है और इसमें से एक में केंद्र ने आंशिक योगदान दिया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इसमें पहले ही 550 करोड़ खर्च कर चुकी है और विभिन्न कार्यक्रमों और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर खर्च करती रहेगी.
इस मसले पर राजनीति करने के हरसिमरत के आरोपों से इनकार करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सिख समुदाय और पंजाब के लिए गौरव का विषय है कि जब श्रद्धालुओं का पहला जत्था करतारपुर कॉरिडोर से गुजरेगा तो भारत के उपराष्ट्रपति भी 9 नवंबर को करतारपुर साहिब जा रहे हैं.
करतारपुर कॉरिडोर 9 नवंबर, 2019 को भारत पाकिस्तान के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा पर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा. इस कॉरिडोर की प्रगति की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से किया जा रहा सब काम पूरा हो चुका है. सिर्फ केंद्र सरकार की देखरेख में बन रहे लैंड पोर्ट अथॉरिटी के इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट पर काम जारी है, उम्मीद है 9 नवंबर तक वह भी पूरा हो जाएगा.