दुनिया के दूसरे सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश भारत में विभिन्न धर्मगुरुओं द्वारा अपने समुदाय से अधिक से अधिक बच्चे पैदा करने की अपीलों का सिलसिला लगातार जारी है. ताजा मामले में सिख समुदाय के शीर्ष धर्मगुरु ने कहा है कि सिख समुदाय के लोगों को कम से कम चार बच्चे पैदा करना चाहिए.
अकाल तख्त के प्रमुख ज्ञानी गुरबचन सिंह ने हाल ही में पटियाला में एक प्रेस वार्ता में यह बयान दिया था. जब उनसे इस बयान पर सफाई मांगी गई तो उन्होंने कहा, मैं सिर्फ सिख समुदाय की कम होती जनसंख्या से चिंतित हूं. गुरबचन सिंह सिर्फ यही नहीं रुके. उन्होंने वोट बैंक की राजनीति में सिखों के शामिल होने के लिए भी अधिक बच्चों की जरूरत समझाई. उन्होंने कहा, यह साफ है कि जिस घर में दो बच्चे हैं वह 10 बच्चों वाले घर के मुकाबले छोटा वोट बैंक है. इस्लाम में कम बच्चे पैदा करने की बंदिश नहीं है इसलिए वोट बैंक की राजनीति में उनका मजबूत दखल है.
अपनी बात को सही ठहराते हुए सिंह ने कहा, मैंने पहली बार सिखों से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील नहीं की है. मैं ऐसा पहले भी कर चुका हूं और लगभग 99 फीसदी लोग मेरी बात से सहमत भी हैं. अपनी बात साबित करने के लिए उन्होंने सिख समुदाय के उन तमाम मशहूर लोगों के नाम भी गिनाए जिनके दो से अधिक बच्चे हैं. इस क्रम में उन्होंने अपना, उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल और पूर्व SGPC प्रमुख अवतार सिंह मक्कड़ का नाम लिया. उन्होंने कहा कि इस सुझाव को वह अकाल तख्त की बैठक में भी सबके सामने रखेंगे.
इस बीच उनके बयान के विरोध में आवाजें उठने लगी हैं. पूर्व SGPC सचिव मंजीत सिंह ने सिंह के बयान की निंदा करते हुए कहा, 'सिख धर्म संख्या पर नहीं टिका है. आजकल यूं भी बच्चे सिख धर्म के रीति-रिवाजों का कम पालन कर रहे हैं, अकाल तख्त इतने बच्चों को सिख समुदाय के प्रति आसक्त कैसे बना पाएंगे. बच्चों की परवरिश का खर्चा कौन उठाएगा. यूं भी एक महिला से कोई यह कैसे कह सकता है कि वह कितने बच्चे पैदा करे.'