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'हमारी लड़ाई भारत सरकार से है, बीच में न पड़ें', असम के CM हिमंता बिस्वा सरमा को खालिस्तानी संगठन SFJ की खुली धमकी

अमृतपाल पर हुए क्रैक डाउन का असर अब पंजाब से लेकर असम तक दिखने लगा है. विदेशी धरती पर बैठकर अलगववाद की मुहिम चलाने वाले गुरपतवंत सिंह पन्नू (Gurpatwan Singh Pannu) के संगठन सिख फॉर जस्टिस की तरफ से असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को धमकी दी गई है. उनसे अमृतपाल और खालिस्तान के मामले में दखल ना देने के लिए कहा गया है.

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हेमंत बिस्वा सरमा (File Photo)
हेमंत बिस्वा सरमा (File Photo)

खालिस्तान समर्थक और भगोड़े अमृतपाल के कुछ साथियों को असम की जेल में रखा गया है. इस एक्शन से नाराज खालिस्तान समर्थकों ने अब असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को धमकी दी है. सीएम सरमा के लिए गुरपतवंत सिंह पन्नू (Gurpatwan Singh Pannu) की तरफ से धमकी भरा संदेश भेजा गया है.

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गुरपतवंत सिंह पन्नू के संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के लोगों ने उन्हें खालिस्तान और अमृतपाल वाले मामले से दूर रहने की चेतावनी दी है. धमकी में यह भी कहा गया है कि खालिस्तान समर्थकों की लड़ाई भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से है. इसलिए असम के सीएम इस मामले में ना पड़कर हिंसा का शिकार होने से बचें.

12 पत्रकारों के पास आया फोन

हिमंता बिस्वा सरमा को धमकी देने के लिए असम के करीब 12 पत्रकारों को फोन किया गया है. फोन करने वाले शख्स ने खुद को SFJ का सदस्य बताते हुए कहा है कि यह संदेश उन्हें गुरपतवंत सिंह पन्नू की तरफ से दिया जा रहा है. धमकी में कहा गया है,'असम में कैद खालिस्तान समर्थकों को प्रताड़ित किया गया है. सीएम सरमा इस बात को ध्यान से सुनें. खालिस्तान समर्थक सिखों की लड़ाई भारतीय शासन और मोदी से है. ऐसा न हो कि सरमा इस हिंसा का शिकार हो जाएं.'

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SFJ की तरफ से किया गया कॉल

अलगाववादियों ने यह भी कहा है कि अगर असम सरकार पंजाब से असम ले जाए गए अमृतपाल के समर्थकों को प्रताड़ित करने का सोच रही है तो इसकी जावबदेही हिमंता बिस्वा सरमा की ही होगी. उनका संगठन SFJ जनमत संग्रह के जरिए पंजाब को अलग कराने की कोशिश कर रहा है.

क्या है सिख फॉर जस्टिस?

खालिस्तान की मांग को लेकर कई सारे संगठन बने हैं. इन्हीं में एक सिख फॉर जस्टिस भी है. इस संगठन की शुरुआत 2007 में अमेरिका से हुई थी. इसका सारा कामकाज गुरपतवंत सिंह पन्नू ही देखता है. इस संगठन का मकसद पंजाब को देश से अलग कर खालिस्तान बनाने का है. खालिस्तान यानी खालसाओं की भूमि. ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि इस संगठन को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से फंडिंग होती है.

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असम: डिब्रूगढ़ जेल में रखे गए कैदी

21 मार्च को अमृतपाल सिंह के चाचा हरजीत सिंह और ड्राइवर हरप्रीत सिंह ने सरेंडर कर दिया था. इसके बाद पुलिस ने उन्हें अरेस्ट कर असम के डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल पहुंचा दिया था. असम पुलिस की सुरक्षा में टीम गुवाहाटी से सड़क मार्ग से होते हुए जेल पहुंची थी. इसके अलावा अमृतपाल के चार करीबी सरबजीत सिंह कलसी, भगवंत सिंह, गुरमीत सिंह गिल और बसंत सिंह को भी डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में ही रखा गया है.

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पकड़े गए थे 300 से ज्यादा समर्थक

पंजाब पुलिस ने 18 मार्च को खालिस्तान समर्थक अमृतपाल के खिलाफ क्रैक डाउन की शुरुआत की थी. पुलिस के एक्शन में आते ही अमृतपाल फरार हो गया था. पुलिस ने कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए एक के बाद एक उसके 300 से ज्यादा समर्थकों को हिरासत में ले लिया था. हालांकि इनमें से ज्यादातर को पुलिस ने बाद में रिहा कर दिया था. पंजाब पुलिस अमृतपाल को पंजाब के अलावा, दिल्ली और हरियाणा में भी तलाश कर रही थी. 

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सरबत खालसा बुलाने की अपील की

जांच एजेंसी ने नेपाल में भी अमृतपाल की तलाश शुरू कर दी थी. लेकिन अमृतपाल ने वीडियो जारी कर दावा किया था कि वह कहीं नहीं भागा है, बल्कि पंजाब में ही है. इसके बाद अमृतपाल ने एक और वीडियो जारी किया था, जिसमें उसने जत्थेदारों से सरबत खालसा बुलाने की अपील की थी.

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क्या है सरबत खालसा?

सरबत खालसा असल में एक सभा है, जिसमें दुनियाभर से सिख समुदाय के संगठनों को बुलाया जाता है. इसमें कुछ मसलों पर चर्चा होती है और फैसले लिए जाते हैं. इन फैसलों को सभी मानते हैं. सरबत का मतलब 'सभी' और खालसा का मतलब 'सिख' होता है यानी सभी सिखों की एक सभा. जरूरी नहीं कि सभी सिख खालसा हों, पर हर खालसा सिख होता है.

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(रिपोर्ट: अफरीदा हुसैन)

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