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26 जनवरी को देश भर में 'ट्रैक्टर मार्च' निकालें किसान, संयुक्त किसान मोर्चा की अपील

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 26 जनवरी को देश भर में 'ट्रैक्टर मार्च' करने की अपील की. SKM ने रविवार को मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के साथ उनकी लंबित मांगों पर चर्चा करें.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 26 जनवरी को देश भर में 'ट्रैक्टर मार्च' करने की अपील की. SKM ने रविवार को मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के साथ उनकी लंबित मांगों पर चर्चा करें. एसकेएम का यह आह्वान किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच आया है. डल्लेवाल 48 दिनों से आमरण अनशन पर हैं.

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एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के संयोजक डल्लेवाल फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी सहित किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर पिछले साल 26 नवंबर से पंजाब और हरियाणा की खनौरी बॉर्डर पर अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं. एसकेएम ने एक बयान में घोषणा की कि एमएसपी और कृषि मार्केटिंग पर राष्ट्रीय नीति ढांचे (एनपीएफएएम) को खत्म करने सहित मांगों पर संयुक्त संघर्ष के लिए सोमवार को एक बैठक की जाएगी.

एसकेएम ने बयान में कहा, 'एसकेएम ने किसानों से 26 जनवरी 2025 को 76वें गणतंत्र दिवस पर देश भर में जिला/उप-मंडल स्तर पर ट्रैक्टर/वाहन/मोटरसाइकिल परेड आयोजित करने का आह्वान किया है.'

SKM ने की ये मांग
एसकेएम ने कहा, 'किसान इस मांग को लेकर परेड करेंगे कि प्रधानमंत्री तुरंत किसानों के मुद्दों पर सभी किसान संगठनों के साथ चर्चा के लिए बैठक बुलाएं और जगजीत सिंह डल्लेवाल की जान बचाएं, किसान विरोधी, संघवाद विरोधी एनपीएफएएम को तुरंत वापस लें और कानूनी रूप से गारंटीकृत खरीद के साथ एमएसपी के लिए कानून बनाएं.'

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मांगों में किसानों और कृषि श्रमिकों के लिए व्यापक लोन माफी योजना, बिजली का निजीकरण न करना, स्मार्ट मीटर न लगाना, 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली का प्रावधान सहित कई अन्य मांग शामिल है. एसकेएम की सभी राज्य समन्वय समितियां (एससीसी) एनपीएफएएम की कॉपी जलाकर इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान करेंगी.

विभिन्न किसान संगठनों के साझा मंच एसकेएम ने रद्द किए जा चुके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 2020-21 के किसानों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था. उसने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति तक किसान नेता के आमरण अनशन के 48वें दिन भी जारी रहने के बावजूद उनके जीवन को बचाने के लिए हस्तक्षेप नहीं कर पा रहे हैं.

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