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सिख दंगे: 30 साल बाद पहली बार घर से बाहर निकली महिला

एंटी सिख दंगों का जख्म 30 साल पुराना हो चुका है. लेकिन इसकी टीस अभी भी कई परिवारों में है. पंजाब के मोगा में एक मां अपने दो बच्चों के साथ दंगों के बाद से बाहर ही नहीं निकली.

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Photo: इंडियन एक्सप्रेस से ली गई तस्वीर
Photo: इंडियन एक्सप्रेस से ली गई तस्वीर

एंटी सिख दंगों का जख्म 30 साल पुराना हो चुका है. लेकिन इसकी टीस अभी भी कई परिवारों में है. पंजाब के मोगा में एक मां अपने दो बच्चों के साथ दंगों के बाद से बाहर ही नहीं निकली. 30 साल से किसी पड़ोसी ने निर्मल कौर उसकी बेटी कमलजीत और बेटे इंदरपाल सिंह को घर से बाहर निकलते हुए नहीं देखा. 'सिखों पर हमला करने वाली भीड़ में शामिल थे सज्जन सिंह'

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अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक बुधवार को लोकल पुलिस ने सीढी लगाकर निर्मल कौर और उसके दोनों बच्चों को जबरन मेंटल असाइलम भेजा. निर्मल के पति ने लोकल कोर्ट में अर्जी दायर की थी कि उसके परिवार पर दंगे का बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है, उसकी मानसिक स्थिति स्थिर नहीं है और उन्हें इलाज की जरूरत है. निर्मल के पति जोगिंदर सिंह बेदी रेलवे के रिटायर्ड कर्मचारी हैं. एसएचओ इकबाल सिंह ने इसकी पुष्टि की है कि चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट पूजा अग्निहोत्री के आदेश पर निर्मल कौर और उसके दोनों बच्चों को सिविल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया.

बेदी दंगे के समय इलाहाबाद में पोस्टेड थे और उन्होंने अपने परिवार को अपने भाई के घर रखा था, जो एनआरआई था. उन्होंने बताया कि मैं अपनी बीवी और बच्चों के पास हमेशा जाता रहा और उन्हें पैसे से मदद करता रहा लेकिन तीनों में से कोई भी इस डर से घर से बाहर नहीं निकलना चाहते थे कि उन्हें कोई मार देगा.

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बेदी ने कहा, '1984 दंगों के बाद कुछ सालों तक मेरी बीवी कम से कम सामान्य बातें करती थी लेकिन उसकी स्थिति खराब होती गई. वो घर से बाहर निकलने को राजी नहीं होती थी. मैं इलाहाबाद से हर महीने एक बार घर आया करता था. जब मैंने घर वापस लौटने का फैसला लिया तो वो मुझे घर में भी घुसने नहीं देती थी.'

जब पुलिस ने उसके परिवार को घर से निकाला तो बेदी उन्हें देखकर जोर जोर से रोने लगे.

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