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शिरोमणि अकाली दल का यू-टर्न, कहा- CAA में मुस्लिमों को भी करें शामिल

पूरे भारत में अहमदिया समुदाय की आबादी मात्र 15 लाख है. पंजाब के कादियान के अलावा दिल्ली, मुंबई और चंडीगढ़ में भी इस समुदाय के काफी लोग रहते हैं. इनमें से ज्यादातर लोग संपन्न और समृद्ध हैं और वो लंदन में जाकर बस गए हैं.

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सुखबीर सिंह बादल (फाइल फोटो)
सुखबीर सिंह बादल (फाइल फोटो)

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  • सिख समुदाय के लोग धर्म और जाति के नाम पर भेदभाव नहीं कर सकते
  • मुस्लिम अन्य देशों में भले ही बहुसंख्यक हैं लेकिन भारत में अल्पसंख्यक

नागरिकता संशोधन एक्ट 2019 के खिलाफ पूरे देश में विरोध प्रदर्शन चल रहा है. वहीं कई राजनीतिक पार्टियां जिन्होंने सदन के अंदर नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन में वोट किया था अब उनके रुख में अचानक ही बदलाव देखा जा रहा है.

पंजाब में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (SAD) का कहना है कि नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) में मुस्लिमों को भी शामिल किया जाना चाहिए, हमारा देश सेकुलर है ऐसे में सिर्फ एक धर्म को बाहर निकालना सही नहीं है.

हालांकि, इस कानून का स्वागत करते हुए अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि ये बिल प्रताड़ित अल्पसंख्यकों की मदद करेगा लेकिन इसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों को भी शामिल किया जाना चाहिए.

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पार्टी प्रवक्ता ने कहा, ‘हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई जिनकी पाकिस्तान-अफगानिस्तान-बांग्लादेश में प्रताड़ना हुई, उन्हें ये बिल भारत में जगह देगा ये बिल्कुल सही है. लेकिन, इसका दूसरा पहलू भी ये है कि मुस्लिम इसमें शामिल नहीं हैं.'

हमारी पार्टी का साफ कहना है कि इस कानून में मुस्लिमों को भी जगह देनी चाहिए, हमारा संविधान सेक्युलर है. संविधान कहता है कि किसी भी धर्म के व्यक्ति के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए. अकाली दल ने इसी के साथ देशभर में इस कानून के विरोध में हो रही हिंसा का विरोध किया.

इसलिए शिरोमणि अकाली दल ने लिया यू-टर्न

सवाल उठता है कि आखिर शिरोमणि अकाली दल ने यू टर्न क्यों ले लिया? और अब वो मुस्लिम समुदाय के प्रताड़ितों को भी इस कानून के अंतर्गत लाने की बात क्यों कर रहे हैं?

इसके दो कारण हैं. पंजाब में मुस्लिमों की आबादी भले ही 1.93 प्रतिशत है लेकिन वो अनिश्चित वोटर्स (स्विंग वोटर्स) हैं. दूसरी बात, पंजाब के गुरदासपुर में अहमदिया मुसलमानों का गढ़ है, कादियान कस्बे में ही इस समुदाय की नींव पड़ी थी. 

इस बीच सुखबीर बादल ने कहा, 'कई मुसलमान भारत में पिछले तीन दशकों से रह रहे हैं. ऐसे में उन्हें मताघिकार से वंचित करना या उनकी नागरिकता खत्म करना ठीक नहीं है.'

मुस्लिमों को बाहर रखना ठीक नहीं- जत्थेदार सिंह

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वहीं अकाल तख्त जत्थेदार सिंह का इस कानून को लेकर कहना है कि सिख समुदाय के लोग धर्म और जाति के नाम पर किसी के साथ भेदभाव नहीं कर सकते. इसलिए नागरिकता संशोधन कानून से मुस्लिमों को बाहर रखना ठीक नहीं है.

उन्होंने आगे कहा, 'मुस्लिम, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में भले ही बहुसंख्यक हो लेकिन भारत में ये सभी अल्पसंख्यक हैं. इसलिए उन्हें अलग नहीं रखा जा सकता.'

जानकार मानते हैं कि पूरे भारत में अहमदिया समुदाय की आबादी मात्र 15 लाख है. पंजाब के कादियान के अलावा दिल्ली, मुंबई और चंडीगढ़ में भी इस समुदाय के काफी लोग रहते हैं. इनमें से ज्यादातर लोग संपन्न और समृद्ध हैं और वो लंदन में जाकर बस गए हैं. ऐसे में इस समुदाय के लोगों को अलग करने से भारत को नुकसान हो सकता है.

भारत में इनकी आबादी ज्यादा नहीं है लेकिन इनको भी इस कानून के अंतर्गत लाये जाने से विश्व की राजनीति में भारत को बड़ा फायदा हो सकता है.  

बता दें कि देश में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ बढ़ते विरोध को देखते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने अपने राज्य के लोगों को स्पष्ट किया है कि वो एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) लागू नहीं करेंगे. 

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