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राजस्थान

नहीं रहे 1971 के जांबाज कर्नल भाटी, पाकिस्तानी टुकड़ी पर पड़े थे भारी!

1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के जांबाज कर्नल श्यामसिंह भाटी 
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सन 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जोधपुर के ओसियां तहसील के तापू गांव के कर्नल श्यामसिंह भाटी का गुरुवार देर रात निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार दोपहर जोधपुर में किया गया. कर्नल श्याम सिंह भाटी ने 1971 के युद्ध में मैनावती की प्रसिद्ध लड़ाई में 9 दिसंबर को शौर्य दिखाया था.

1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के जांबाज
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दरअसल, जोधपुर के ओसिया स्थित तापू में 1941 में जन्मे श्याम सिंह भाटी ने 1963 में भारतीय सेना ज्वाइन की थी. इसके बाद 1965 और 71 के दोनों युद्धों में उन्होंने बहादुरी दिखाई थी. कर्नल भाटी के पिता ठाकुर खेतसिंह भाटी भी जोधपुर रियासत के इन्फेंट्री के ऑफिसर थे और द्वितीय विश्व युद्ध में उन्होंने भाग लिया था. 

भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध में बांग्लादेश में 9 दिसंबर की रात को मैनामती की लड़ाई हुई थी. इस लड़ाई में कर्नल श्याम सिंह ने एक महत्वपूर्ण जगह पर कब्जा कर लिया था लेकिन पाकिस्तान की पूरी टैंक ब्रिगेड ने उन्हें घेर लिया, सेना की ओर से उनको मदद पहुंचाना भी संभव नहीं था. सेना के अफसरों ने श्यामसिंह को कहा कि वहां से पीछे हट जाएं लेकिन भाटी ने इससे इनकार कर दिया था. 

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उस समय भाटी ने कहा कि अगर पीछे हट गए तो दुश्मन उन पर हावी हो जाएंगे. भारतीय सेना ने एयरफोर्स के अफसर को कहा कि आप सिर्फ पाकिस्तानी टैंक के ऊपर से उड़ान भरिए. दूसरी तरफ टैंकों के सामने भाटी अपने जवानों के साथ खड़े रहे लेकिन पीछे नहीं हटे. इस दौरान उनके 38 जवान शहीद भी हो गए थे.  

जब भारतीय वायुसेना ने एक साथ टैंकों के ऊपर से उड़ान भरी तो पाकिस्तानी टैंक पीछे हटने लगे और आखिरकार भारतीय सेना के टैंक वहां पहुंच गए. कर्नल श्याम सिंह भाटी के पिता खेतसिंह भाटी ने द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया था. वे खुद भारतीय सेना में शामिल हुए. उनके पुत्र कर्नल संग्राम सिंह को करगिल युद्ध में शौर्य चक्र से नवाजा गया था जिनका कुछ दिनों पहले निधन हो गया था. (File Photos of 1971war)

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कर्नल श्याम सिंह भाटी का शुक्रवार दोपहर जोधपुर सेंट्रल स्कूल स्कीम स्थित निवास से 10 पैरा के सैन्य वाहन में शवयात्रा रवाना किया गया. कागा स्थित राजपूत श्मशान घाट पर सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार हुआ. भाटी के पुत्र विक्रम सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी. इस दौरान सेना के अधिकारी, पूर्व सैन्य अधिकारी, हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस एनएन माथुर, मेजर जनरल शेरसिंह और पूर्व कुलपति गुलाब सिंह चौहान सहित कई सैन्य अधिकारी शामिल रहे. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि कर्नल भाटी की वीरता की गाथा उन्हें सदा हमारे बीच जीवित रखेगी.

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