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राजस्थान

राजस्थान: 100 करोड़ रुपये का गरीबों का अनाज खा गए 'सरकारी बाबू', आंकड़ों में चौंकाने वाला खुलासा

public distribution system.
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राजस्थान सरकार का दावा है कि राज्य के हर गरीब को खाने के लिए सरकारी दुकान से मुफ्त में राशन दिया जा रहा है लेकिन राज्य में आज भी एक बड़ी आबादी है जिसने सार्वजनिक वितरण प्रणाली से मिलने वाले सस्ते अनाज का मुंह तक नहीं देखा है. इसकी वजह यह है कि केंद्र से मिलने वाले गरीबों के सरकारी अनाज को सरकारी कर्मचारी से लेकर संपन्न वर्ग के लोग डकार रहे हैं. राजस्थान में इसकी पड़ताल शुरू हुई तो कई खुलासे सामने आए हैं. (प्रतीकात्मक फोटो)

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पड़ताल में सामने आया कि सौ करोड़ रुपये का अनाज तो केवल सरकारी कर्मचारी खा गए हैं. आजतक की जांच पड़ताल में सामने आया कि जयपुर के पास सबसे वीआईपी इलाकों में शुमार चित्रकूट की बंजारा बसती है. जहां जेठा नाम की महिला गुड़ और पानी के साथ अपने बच्चे को रोटी खिलाती हुई मिली. उन्होंने आजतक को बताया कि लॉकडाउन के दो महीने छोड़कर उसने अपने जीवन में कभी सरकारी अनाज नहीं देखा है. पति मिट्टी खोदकर 300 रुपये कमाता है, कोरोना की वजह से वह भी काम नहीं मिल रहा है तो काम की तलाश में बाहर जाना पड़ा है. (प्रतीकात्मक फोटो)

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वहीं, 20 सालों से जयपुर में रह रहे इन हजारों परिवारों का यही हाल है और शहर दर शहर, बस्ती दर बस्ती की यही कहानी है. कोरोना की वजह से काम नहीं मिल रहा है और एड्रेस प्रूफ नहीं होने की वजह से राशन कार्ड नहीं बन रहा है. वहीं, दूसरी तरफ दौसा के सरकारी दफ़्तर में लोगों की भीड़ नजर आई. जांच में पता चला कि यह भीड़ सरकारी कर्मचारियों की है जिसमें टीचर भी शामिल हैं और डॉक्टर भी, जो वर्षों से राशन कार्ड परमुफ्त में गरीबों का अनाज उठा रहे थे. (प्रतीकात्मक फोटो)

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food grain.
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दरअसल, राजस्थान में अब तक 39 हजार सरकारी कर्मचारियों की पहचान की गई है जो अबतक 100 करोड़ रुपये के गरीबों का अनाज खा चुके हैं. इनसे अब 27 रुपये प्रति किलो के हिसाब से वसूली की जा रही है जिसमें अब तक 56 करोड़ रुपये की वसूली हो चुकी है. मगर 50 फीसदी सरकारी कर्मचारी अब भी पैसे वापस नहीं कर रहे हैं. (प्रतीकात्मक फोटो)

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सबसे ज्यादा अफसोस की बात यह है कि गरीबों का गेहूं खाने वाले सबसे ज्यादा आदिवासी मीणा बहुल इलाके दौसा के 7702 सरकारी कर्मचारी हैं. उसके बाद राजस्थान के आदिवासी इलाका बांसवाचड़ा के 6147 हैं और 5542 उदयपुर के हैं. जयपुर जैसे शहरी इलाकों में भी 5986 सरकारी कर्मचारियों ने गरीबों के अनाज खाया है. राजस्थान सरकार ने स्थानीय स्तर पर पटवारी आर के स्थानीय निकाय के अधिकारियों से पता लगाकर इनका डाटा जुटाया गया है. (प्रतीकात्मक फोटो)

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सबसे ज्यादा अफसोस की बात यह है कि गरीबों का गेहूं खाने वाले सबसे ज्यादा आदिवासी मीणा बहुल इलाके दौसा के 7702 सरकारी कर्मचारी हैं. उसके बाद राजस्थान के आदिवासी इलाका बांसवाचड़ा के 6147 हैं और 5542 उदयपुर के हैं. जयपुर जैसे शहरी इलाकों में भी 5986 सरकारी कर्मचारियों ने गरीबों के अनाज खाया है. राजस्थान सरकार ने स्थानीय स्तर पर पटवारी आर के स्थानीय निकाय के अधिकारियों से पता लगाकर इनका डाटा जुटाया गया है. (प्रतीकात्मक फोटो)

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