राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ग्रामीण इलाकों में फैल रहे कोरोना को लेकर वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सरकारी सिस्टम के आला अधिकारियों को निर्देश दे रहे हैं कि गांवों में फैले कोरोना को लेकर सर्वे कराये और बीमार ग्रामीणों का उपचार किया जाए. वहीं जिले में मुख्यमंत्री के आदेशों के बाद जिला प्रशासन दावा कर रहा है कि गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जा रहा हैं लेकिन धौलपुर जिला मुख्यालय से महज करीब 12 किलोमीटर दूर सरानीखेड़ा और पचगांव और उसके आसपास के गांवों की हकीकत कुछ और ही है.
आजतक की टीम ने जब सरानीखेड़ा और पचगांव के सरकारी अस्पताल के हालात देखे तो माजरा कुछ और ही देखने को मिला. पचगांव के सरकारी अस्पताल में दो शिक्षक और दो महिला स्वास्थ्यकर्मी मिली जबकि अस्पताल प्रभारी डॉ. चेतन सारस्वत को जिला अस्पताल के कोविड वार्ड में लगा दिया हैं. यहां ग्रामीणों को देखने के लिए कोई चिकित्सक नहीं हैं और ओपीडी करीब 25 दिन से बंद हैं.
ग्रामीण जीतेन्द्र ने बताया कि सरकारी अस्पताल की ओपीडी करीब 25 दिन से बंद हैं. डॉक्टर को धौलपुर अस्पताल के कोविड वार्ड में लगा दिया हैं. ग्रामीण परेशान होकर झोलाछाप डॉक्टर को दिखा रहे हैं. गांव में सर्वे नहीं हुआ और कुछ जगह किट बांटी गई और कुछ जगह नहीं बांटी गई.
ऐसे में पचगांव की पीएचसी भी सरकारी सिस्टम के दावों के पोल खोल रही है. ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारी सिर्फ अपनी मनमानी कर रहे हैं. ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधा सिर्फ कागजों पर दी जा रही है जबकि हकीकत में हालत बहुत ही खराब हैं. सरानीखेड़ा के सरकारी अस्पताल में चिकित्सक तक नहीं हैं.
यहां पर तैनात चिकित्सक डॉक्टर गुप्ता की ड्यूटी जिला अस्पताल के कोविड वार्ड में लगा दी गई है. ऐसे में सरानीखेड़ा का सरकारी अस्पताल होम्योपैथी डॉक्टर कीर्ति शर्मा के भरोसे चल रही है. इमरजेंसी में अगर यहां पर कोई मरीज आता है तो उसे परामर्श देकर वापस भेज दिया जाता है.
यह हाल सिर्फ पचगांव और सरानीखेड़ा के सरकारी अस्पतालों का नहीं हैं बल्कि पचगांव, मोरोली, हथवारी सहित अन्य पीएचसी का हैं जहां के डॉक्टरों को धौलपुर जिला अस्पताल में लगा दिया गया है और ग्रामीण इलाकों में मरीजों को दवाओं के नाम पर सिर्फ निराश होकर वापस लौटना पड़ता है. ऐसे में ग्रामीण झोलाछाप के पास जाने को मजबूर हो रहे हैं. वहीं छोलाछाप डॉक्टर भी आसपास के मेडिकल स्टोरों से कमीशन का खेल खेल रहे हैं.
सरानीखेड़ा गांव में झोलाछाप डॉक्टर बुखार, जुकाम और खांसी के मरीजों का उपचार कर रहे हैं और उनसे मोटी रकम भी ऐंठ रहे हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा हैं. शुक्रवार को आजतक की टीम सरानीखेड़ा गांव में एक झोलाछाप डॉक्टर के क्लिनिक पर पहुंची तो क्लिनिक में वह एक महिला मरीज का इलाज करता हुआ मिला. जब झोलाछाप डॉक्टर से जब बात करना चाही तो वह मरीज को बैठा छोड़ कर भाग गया.
होम्योपैथी की डॉक्टर कीर्ति शर्मा ने बताया कि कलेक्टर के आदेश पर एलोपैथी के डॉक्टर को धौलपुर अस्पताल लगा दिया है. कोविड और सीरियस मरीज अस्पताल में आता हैं तो जितना हो सकेगा हम करेंगे.