पूर्व सेनाध्यक्ष वीके सिंह ने कहा कि सामाजिक एवं आर्थिक ढांचे की विषमताएं ही देश के पिछड़ेपन का कारण है. यह हालात नहीं होते तो नक्सलवाद की समस्या खड़ी नहीं होती.
सिंह ‘निर्बल को सम्बल’ कार्यक्रम में कहा कि असम में हिंसा पर काबू पाया जा सकता था. यदि सही तरीके से समस्या पर निगरानी रखकर समाधान के लिए कदम उठाया जाता.
उन्होंने कहा, ‘मैं आज वर्दी में नहीं हूं तो खुलकर विचार व्यक्त कर सकता हूं. हालांकि, मेरा राजनीति में जाने का कोई विचार नहीं है.’
उन्होंने अन्ना हजारे और बाबा रामदेव के आंदोलनों को लक्ष्य के नजरिए से एक ही बताया और कहा, ‘मैं देश भक्तों के साथ हूं. अन्ना हजारे से हमने कहा था कि वह राजनैतिक विकल्प तैयार करें. देश में जागृति लाएं तभी विकल्प खड़ा हो सकेगा.’
उन्होंने स्पष्ट किया, ‘मैं किसी आंदोलन का हिस्सा नहीं हूं. ना ही कांग्रेस या अन्य किसी पार्टी के विरोधी आंदोलन में शामिल हूं.’
पूर्व सेनाध्यक्ष ने कहा, ‘जब अवसर मिला तो मैंने सेना में भ्रष्टाचार के विरूद्ध जंग छेड़ी. मेरी सोच थी कि ऊपर से मुहिम चलेगी तभी नीचे तक संदेश जाएगा.’ सिंह ने कहा कि कश्मीर और असम में हालात सामान्य होने के बाद ही वहां से सेना हटाई जानी चाहिए, अन्यथा बाद में सेना को काम करने में मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी.
उन्होंने इन आरोपों का पुरजोर खंडन किया कि कश्मीर में सेना लोगों से बुरा बर्ताव करती हैं. सेना हमेशा लोगों का विश्वास जीतने की कोशिश करती है.
उन्होंने कहा कि सेनानिवृति के बाद उनका लक्ष्य युवा वर्ग में जागृति लाना है ताकि वह निराश होकर ना बैठे. इसी के साथ वह किसानों को उनके हक मांगने के लिए प्रेरित करेंगे, क्योंकि इस वर्ग की हालत सरकारी नीतियों की वजह से खराब है.