आजतक के खुलासे के बाद राजस्थान सरकार ने जयपुर में फर्जी तरीके से आधार कार्ड बनाने वाले सभी केंद्रों को निरस्त कर दिया है. इसके बार में अलग-अलग थानों में चार एफआईआर भी दर्ज किए गए हैं. सरकार ने इस पूरे मामले की छानबीन के लिए एक जांच समिति का भी गठन किया है. गौरतलब है कि आजतक ने यह खुलासा किया था कि किस तरह से जयपुर के कई आधार केंद्र 500 से 600 रुपये में बिना किसी दस्तोवज के आधार कार्ड बना रहे हैं.
देश के हर नागरिक की एक पुख्ता पहचान कायम करने के लिए आधार की शुरुआत हई. चाहे मोबाइल कनेक्शन लेना हो या राशन या फिर एग्जाम में बैठना हो, भारतीय होने की पहचान के लिए सरकार ने आधार नंबर अनिवार्य कर दिया है. देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी इसे मजबूत आधार माना गया. मगर ऐसे फर्जी केंद्रों की वजह से सवाल खड़ा होता है कि क्या वाकई आधार देश का आधार है या फिर आधार योजना निराधार बन चुकी है? आजतक के स्टिंग में यह चौंकाने वाली खबर लगी कि बांग्लादेशी नागरिकों हो या रोहिंग्या मुसलमान ही क्यों न आ जाएं, बिना किसी दस्तोवज के सभी भारत के नागरिक बनते जा रहे हैं. यह देश की सुरक्षा के लिहाज से एक शर्मनाक बात भी थी.
ये है पूरी स्टिंग की कहानी
आपकी जानकारी के लिए हम यहां स्टिंग की स्टोरी को फिर से सामने रख रहे हैं, इससे आपको पूरा अंदाजा हो जाएगा कि कुछ लोग चंद पैसों की खातिर किस तरह से देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. हमारे एक परिचित ने जब बताया कि आधार कार्ड वाला उनके घर आ रहा है, तो मैंने पूछा कि आधार कार्ड तो इसके लिए निर्धारित सेंटर पर बनते हैं, इस पर उन्होंने कहा कि सेंटर कौन जाएगा, तीन सौ रुपये में 24 घंटे में बनाकर घर दे जाएगा. यह सुनकर हमें यकीन नहीं हुआ कि जो आधार नंबर हर भारतीय की पहचान है, उसकी तीन सौ रुपए में होम डिलवरी हो रही है. उन्होंने हमें एक मैसेज दिखाया जिसमें लिखा हुआ था कि आधार कार्ड बनवाने के लिए हमसे संपर्क करें. हमने दिए हुए नंबर पर कॉल किया तो उस व्यक्ति ने हमें जयपुर के जगतपुरा पुलिया के नीचे एक फोटो स्टेट की दुकान में बुलाया. हम वहां पहुंचे तो वहां पहले से आधार नंबर बनवाने के लिए लोग खड़े थे. बंगाल से आई एक युवती और बिहार से आया एक बच्चा भी आधार कार्ड बनवाने आया था, जिनके पास कोई डॉक्यूमेंट नही था, मगर उनका आधार कार्ड बन रहा था. ये नजारा डरावना था. बिना किसी दस्तावेज के कोई भी 500-600 रुपये खर्च कर भारत का नागरिक बन रहा था. इस देश का सबसे आसान काम देश का नागरिकता लेना लग रहा था.
हमने बातचीत की शुरुआत फोटो स्टेट दुकान के मालिक से की क्योंकि वही पैसे ले रहा था. काउंटर पर पैसे ले रहे दुकान मालिक ने कार्ड बना रहे शख्स के बारे में कहा कि बिना किसी डॉक्यूमेंट के कार्ड का रेट वही बताएंगे.
रिपोर्टर- ये हमारे परिचित हैं, इनके पास कोई डॉक्यूमेंट नही है, कितना चार्ज लगेगा?
एजेंट- इसके लिए उनसे संपर्क करो. इसका रेट वही बताएंगे.
फिर उसकी सत्यता की जांच के लिए हमने आगे सवाल किया.
रिपोर्टर -यहां से बनवाने की क्या गारंटी है, कार्ड आए न आए?
एजेंट- आप नेट से निकलवा सकते हो वैलि़ड है.
रिपोर्टर- लेकिन क्या गारंटी है सही बनेगा?
एजेंट- मैं यही हूं, मेरा घर है, मेरा रिजस्ट्रेशन है.
रिपोर्टर- लेकिन ये तो अथॉराइज्ड सेंटर नही है न.
एजेंट- लेकिन ये मशीन तो अथॉराइज्ड है. वर्ना मैं ऐसा काम क्यों करूंगा, दो पैसे के लिए. इज्जत खराब क्यों करूंगा, बहुत काम है कोई भी आकर बोल जाएगा. मैं गलत काम नही करता. मेरे पास इसीलिए दूर-दूर से लोग आते हैं, क्योंकि मैं बता देता हूं कि क्या गलत है और क्या सही है और काम करने का क्या उपाय है.
बिना डॉक्यूमेंट आधार के लिए 600 रुपये
इसके बाद हमने उससे पूछा कि क्या वो हमारे घर पर आकर बना देगा. उसने पूछा कितने लोग हो जाएंगे. हमने उसे लालच देने के लिए कहा कि 10-15 हो जाएंगे. इसके बाद वो 15 किमी. दूर वैशाली नगर भी आने के लिए तैयार हो गया. फिर हमने पूछा कि क्या बिना डॉक्यूमेंट का नया कार्ड बनवा देंगे. उसने तपाक से बोला हां बना दूंगा, मगर 600 रुपये लूंगा.
रिपोर्टर- बिना डॉक्यूमेंट के 600 रुपये और वैसे सिर्फ 100 रुपये
एजेंट- हां इतनी दूर से आऊंगा, तेल भी खर्च होगा, टाइम भी खराब करूंगा.
रिपोर्टर- कहां रहते हो.
एजेंट -बस्सी से आता हूं
रिपोर्टर- तो इसको बस्सी में फीड करोगे.
एजेंट- हां
रिपोर्टर- बस्सी में आपका सेंटर है
एजेंट- सेंटर नहीं, मैं तो कैंप मोड में काम करता हूं.
हमें यकीन नहीं हो रहा था कि बिना किसी डॉक्यूमेंट के आधार कार्ड बन सकता है. हमने उससे दुबारा अपनी तसल्ली के लिए पूछा. उसके बाद हमने उसकी आधार से जुड़ी पहचान मांगी तो उसने अपने मोबाइल पर आधार की बेबसाइट खोलकर अपनी पूरी पहचान दिखाई.
अगले दिन वो सारा सिस्टम लेकर 25 कि.मी दूर वैशाली नगर में हमारे बताए जगह पर पहुंच गया. वहां आकर उसने आधार बनाने का अपना सारा सिस्टम सेट किया और आधार बनाना शुरू किया. पहले मैंने खुद बिना किसी डाक्यूमेंट दिए उसे पता चेंज करने के लिए कहा और उसके बाद एक व्यक्ति को बिना डॉक्यूमेंट का कार्ड बनवाने के लिए कहा और वह बनाने लगा. दो-तीन आधार कार्ड बनवाकर कमाई करने के बाद वह सहज होकर खुलने लगा था तो हमने उससे बातचीत शुरू की.
रिपोर्टर- तुम्हारा आधार से क्या लिंक है?
एजेंट- मतलब
रिपोर्टर- तुम आधार से कैसे जुड़े हो, कोई कार्ड मिला है तुम्हें?
एजेंट- हां बना है.. सर्टिफिकेट मिला है हमें, घर पर है...दुकान में लगा है...जब रजिस्ट्रेशन मिलता है तभी हमें मिलता है्. हमारे अंगूठे से ही खुलता है.
रिपोर्टर- दिन में कितना बना लेते हो.. 20-30 कार्ड?
एजेंट- नहीं अब कहां. पहले बना लेते थे डेली 100 तक बना लेते थे.
रिपोर्टर- तब तो 10 हजार रोज कमा लेते थे.
एजेंट- कहां, आगे भी देनी पड़ती है कंपनी को.
रिपोर्टर- कौन सी कंपनी है?
एजेंट- आचार्य..
रिपोर्टर- ये कौन सी कंपनी है.
एजेंट- उसी कंपनी का रजिस्ट्रेशन है.
रिपोर्टर-तो अभी ले रहे हो 100-150 और 600 तो कितना कंपनी को दोगे.
अब डाक्यूमेंट में कमी रहती है तो उसको बनाने के लिए कंपनी मांगती है. कोई कमी रहती है तो पैसे मांगते हैं.
रिपोर्टर- जिनका कोई डॉक्यूमेंट नही रहता है उनका कैसे दिखाते हो?
एजेंट- वो तो हम करते हैं..जुगाड़ करते हैं..
वह हमारे ज्यादा सवालों का जवाब देने के मूड में नही था. मगर हमें आधार कार्ड बनवाने में रुचि नहीं थी. हम तो जानना चाह रहे थे कि चंद रुपये के लिए देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने का ये सौदा कैसे हो रहा है. हम बांग्लादेशियों के कार्ड बनवाने की बात करते तो उसे शक हो जाता, इसलिए हमने उसी इलाके के अपने ड्राइवर को सवाल पूछने के लिए अपने पास बैठा लिया.
ड्राइवर ने पूछा- अपना कॉन्ट्रैक्ट नंबर देना, हमारे पास 10-15 बंग्लादेशी आए हैं.
उसने कहा ठीक है. साफ था कि पैसे के लालच में वो कहीं जाकर किसी का भी कार्ड बनाने के लिए तैयार था. फिर आगे की बात हमने संभाली.
रिपोर्टर- इनके दो-तीन बंगाली परिचित आए हुए हैं, सब मिलाकर 10-20 हो जाएंगे. किसी का डॉक्यूमेंट नही है, तो उस हिसाब से बताओ क्या लोगे.
एजेंट- प्रति व्यक्ति 500 रुपये से कम नही लूंगा.
रिपोर्टर- डाक्यूमेंट नहीं है तो क्या दिखाओगे
एजेंट- वो हमारा हेडेक है.
इसके बाद हमने ऐसे कई लोगों का कार्ड बनवाया. दरअसल जिनका डॉक्यूमेंट नही होता है, उनका ये फर्जी किरायानामा और शपथ पत्र बनाकर एड्रेस प्रूफ खुद ही बनवा देते हैं और कार्ड बना देते हैं. हमने इसके अलावा कई दुसरे एजेंटों से बात की और सभी पैसे लेकर जाली डॉक्यूमेंट और बिना डॉक्यूमेंट के आधार कार्ड बनाने के लिए तैयार हो गए. हमारे कैमरे में इस तरह के कई एजेंट कैद हैं, जो आधार कार्ड बनाने का फर्जीवाड़ा कर रहे हैं. इस तरह से आधार के फर्जीवाड़े का खुल्लमखुल्ला खेल चल रहा है और यूआईडी समेत राजस्थान सरकार सो रही है.
अभी एक सप्ताह पहले ही जब रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान का मुद्दा उठा तो जांच के बाद राजस्थान सरकार के इंटेलिजेंस ने रिपोर्ट सौंपी है कि इस बात का पता लगाया जाए कि गैरकानूनी ढंग से रह रहे विदेशियों के सभी डाक्यूमेंट कैसे बने हैं. काश इंटेलिजेंस विभाग सरकार को लिखने के बजाए जांच ही कर लेता. जो काम सरकार और इंटेलिजेंस विभाग नही कर पा रही है वो हमने करके दिखाया है कि कैसे फर्जीवाड़ा कर किसी का भी आधार कार्ड बनाया जा सकता है.