आम आदमी पार्टी की रैली के दौरान जंतर-मंतर पर खुदकुशी करने वाले किसान गजेंद्र सिंह का अंतिम संस्कार राजस्थान स्थित उनके गांव नांगल झामरवाड़ा में कर दिया गया. कई बड़े नेता उनके अंतिम संस्कार में शरीक हुए. हजारों लोगों ने नम आंखों से गजेंद्र को अंतिम विदाई दी.
अंतिम संस्कार में कांग्रेसी नेताओं की मौजूदगी ज्यादा
दौसा के गांव नांगल झामरवाड़ में गजेंद्र के अंतिम संस्कार के दौरान कांग्रेसी नेताओं की मौजूदगी ज्यादा रही. पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, सचिन पायल और अशोक गहलौत शवयात्रा में शामिल हुए. इस दौरान बीजेपी का कोई बड़ा नेता नजर नहीं आया.
दिल्ली में सड़क पर उतरे कांग्रेस व बीजेपी कार्यकर्ता
गजेंद्र की खुदकुशी पर संसद से लेकर सड़क तक हलचल मची है. एक ओर गजेंद्र के गांव में उसका अंतिम संस्कार किया जा रहा था, इधर दिल्ली में कांग्रेस और बीजेपी के कार्यकर्ता सड़क पर थे. कांग्रेस केजरीवाल के घर का घेराव कर रही थी, तो बीजेपी दिल्ली के मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग कर रही थी. संसद में भी कार्यवाही शुरू होते ही गजेंद्र की खुदकुशी के मामले पर हंगामा शुरू हो गया.
किसान गजेंद्र सिंह के खुदकुशी करने का मामला और तूल पकड़ता जा रहा है. गजेंद्र के घरवालों ने मौत के लिए आम आदमी पार्टी और दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल को जिम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाया कि उसे खुदकुशी के लिए उकसाया गया होगा.
दिल्ली से क्राइम ब्रांच की टीम दौसा पहुंची
खुदकुशी मामले की पड़ताल के लिए क्राइम ब्रांच की टीम गुरुवार सुबह दिल्ली से राजस्थान के दौसा पहुंची. पुलिस इस बात का पता लगाएगी कि आखिर किन परिस्थतियों में किसान गजेंद्र ने खुदकुशी की.
परिजनों के मुताबिक, गजेंद्र की मनीष सिसोदिया से बात हुई थी. सिसोदिया के कहने पर ही वे दिल्ली गए थे. गजेंद्र के रिश्तेदारों ने कहा कि वे खुदकशी करने नहीं गए थे, उसे जरूर उकसाया गया होगा. गजेंद्र का अंतिम संस्कार गुरुवार को ही होना है.
गजेंद्र के चचेरे भाई राजेंद्र सिंह ने कहा, 'बिजली के खंभे पर चढ़कर बिजली के तार काटे जा सकते हैं. लेकिन पेड़ पर चढ़कर उसे बचाया नहीं जा सकता था. जब भाषण दिए जाते हैं, तो प्रोवोकेशन होता है. इस प्रोवोकेशन के लिए उनके ऊपर केस दर्ज होना चाहिए. अगर किसी बड़े नेता के घर का कोई मरता, तो क्या रैली वैसे ही चल रही होती? वहां बैठकर प्रोवेकेशन हुआ है, तब उसने जान दी है...'
पैतृक गांव में छाया मातम
देर रात गजेंद्र सिंह का शव राजस्थान के दौसा स्थित उनके गांव नांगल झामरवाड़ा के पास पहुंच गया. हालांकि दिल्ली से उनके गांव के लिए रवाना हुई एंबुलेंस देर तक गांव के बाहर ही रुकी हुई थी. सुबह उनका शव गांव लाया गया. लोगों को उनकी दो भतीजी की शादी के बाद विदाई का इंतजार था. गजेंद्र का शव पहुंचते ही गांव में मातम पसर गया.
बेहोश होकर गिर पड़े गजेंद्र के पिता
गजेंद्र की मौत के बाद उसके परिजन गहरे सदमे में हैं. जब उसकी खुदकुशी की बात गजेंद्र के पिता को बताई गई, तो वे बेहोश होकर गिर पड़े.
गौरतलब है कि बुधवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर गजेंद्र सिंह ने आम आदमी पार्टी की रैली के दौरान खुदकुशी कर ली थी. उनकी मौत के करीब 74 मिनट बाद तक रैली चलती रही, AAP के नेता भाषण देते रहे. बाद में नेता अपनी जिम्मेदारी से पल्ला छाड़ते रहे.