अशोक गहलोत ने कहा कि बीजेपी उन मुद्दों को नहीं छू रही है जो वास्तविक हैं. बेरोजगारी, बेकारी, स्लो डाउन, काम धंधों पर बात नहीं हो रही है. लॉ एंड ऑर्डर ठीक न होने से देश में हिंसा का माहौल बन गया है. यह मुद्दा है, अगर इसे एड्रेस नहीं किया जाएगा और बीजेपी के लोग राष्ट्रवाद थोपना चाहेंगे, तो पूरा देश राष्ट्रवादी होता है. हम सब राष्ट्रवादी हैं. धारा 370, राम मंदिर तो जनता जानती है. राम मंदिर का मुद्दा 30 साल से चल रहा है, तो अब जनता ने अभी इनको जवाब दिया है महाराष्ट्र में और हरियाणा में. बीजेपी के लिए चुनाव के परिणाम सबक सिखाने वाले थे.
अशोक गहलोत ने कहा कि बाई इलेक्शन में बीजेपी को हार मिलती है. बीजेपी सिमट रही है. कांग्रेस को बढ़त मिल रही है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था की परवाह आप नहीं कर रहे हैं. अर्थव्यवस्था को आप तरजीह नहीं दे रहे हैं. घमंड में आप चल रहे हैं. लोकतंत्र के लिए यह अच्छी परंपरा नहीं है. सरकार आंकड़े छिपा रही है.
आंकड़े छिपा रही सरकार
अशोक गहलोत ने कहा कि एनएसएसओ के आंकड़े लोकसभा चुनावों से पहले छिपाए गए. इसके बाद चेयरमैन ने इस्तीफा दे दिया. सदस्य ने इस्तीफा दे दिया. हर अखबारों के संपादकीय इस बात पर आए. आजादी के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है कि आंकड़े छिपाए जा रहे हैं. आंकड़ों के आधार पर राज्य और केंद्र की योजनाएं बनती हैं. इन हरकतों से जनता ऊब चुकी है. इसलिए ही बीजेपी सिकुड़ती जा रही है.
कांग्रेस मुक्त भारत की बात करने वालों के लिए यह तस्वीर आईने की तरह है, जनता लगातार स्पष्ट सन्देश दे रही है, विभाजनकारी और नकारात्मक सोच को नकार रही है। इस देश में तमाम विचारधाराएं हैं, लड़ाई व्यक्तिगत नहीं, विचारधारा की होनी चाहिए।
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— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 27, 2019
अशोक गहलोत ने कहा कि उम्मीद करते हैं कि पंचायत चुनाव में भी कांग्रेस की अच्छी परफॉर्मेंस होगी. भविष्य में आने वाले नगर पालिका, नगर परिषद, नगर निगम के चुनावों में भी कांग्रेस को जीत मिलेगी. हमारे कार्यकर्ताओं पर जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की जिम्मेदारी है. इसलिए दिन-रात काम होना चाहिए.
संस्थानों ने खोई प्रतिष्ठा
अशोक गहलोत से जब पूछा गया कि महाराष्ट्र पर आप क्या कहेंगे तो उन्होंने जवाब दिया कि महाराष्ट्र की घटना लंबे समय तक लोगों को याद रहेगी. रात के अंधेर में राष्ट्रपति शासन खत्म करने की अनुशंसा हो रही है. पीएम बिना कैबिनेट बुलाए रिकमंड कर रहे हैं राष्ट्रपति को. सुबह 5:47 पर राष्ट्रपति शासन खत्म. 8 बजे शपथ. 8:15 पर मोदी का बधाई ट्वीट. इन सबसे पता चलता है कि देश को किस दिशा में बीजेपी ले जाना चाह रही है. इन निर्णयों से प्रतिष्ठा खोई है.
प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और राज्यपाल संस्था हैं. राष्ट्रपित राष्ट्रपति राष्ट्राध्यक्ष हैं. इन संस्थाओं को गिराने का अधिकार किसी को नहीं है, जो गिराएगा, उसे जनता माफ नहीं करेगी. विधानसभा सत्र की शुरुआत पर अशोक गहलोत ने कहा कि यह संविधान दिवस के उपलक्ष्य में बुलाया गया है क्योंकि 70 साल हो गए संविधान बने हुए.
संविधान दिवस 26 को था उस के उपलक्ष्य में सब बैठ करके मेंबर साहिबान लेखा-जोखा करेंगे कि हम 70 साल तक संविधान की किस हद तक रक्षा कर पाए हैं. कहां चूक हुई है या और क्या इसमें अच्छे फैसले हो सकते थे. मैं समझता हूं कि एक प्रकार से 70 साल का लेखा जोखा करने का एक अच्छा प्लेटफार्म रहेगा.
संविधान की गरिमा का रखा जाए ख्याल
अशोक गहलोत ने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि पक्ष विपक्ष संविधान की गरिमा को, मर्यादा को और कैसे बढ़े उस को ध्यान में रखकर ही तमाम तरह के अपने कॉमेंट्स करेंगे और वह करने चाहिए. यह कोई प्लेटफार्म पक्ष विपक्ष को नीचा दिखाने का नहीं होना चाहिए. अगर गलतियां करी है किसी पक्ष ने आप प्वॉइंट आउट कर सकते हो, प्वॉइंट आउट तो करना पड़ेगा उसमें हर्ज भी नहीं है पर आप अगर राजनीतिक रूप से एक-दूसरे को नीचा दिखाने का काम करोगे तो असली मकसद है असेंबली बुलाने का वह मकसद पूरा नहीं होगा मेरा मानना है.