राजस्थान में वसुंधरा राजे के ड्रीम प्रोजेक्ट द्रव्यवती नदी के उद्घाटन करने को लेकर कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत ने तीखा हमला किया है. गहलोत ने कहा कि मुख्यमंत्री घबराई हुई हैं इसलिए वे सारे ऐसे काम कर रही हैं जो उनको नहीं करना चाहिए.
गहलोत के मुताबिक, अभी तो द्रव्यवती नदी का प्रोजेक्ट चल रहा है, आधा भी नहीं हुआ है. उसके पहले ही आप उद्घाटन करके मैसेज देना चाहती हैं, यही काम वो पूरे राजस्थान में करना चाहती हैं, कर रही है. इसलिए जनता इन बातों को समझती है और आने वाले वक्त में उनको पूरा जवाब मिलेगा. जनता में भयंकर आक्रोश है. वह पूछ रही है कि आप साढ़े चार साल तक कहां रहीं? पिछले चुनावों में भारी बहुमत आपको दिया, उसके बावजूद भी आप जनता से मिलीं क्यों नहीं?
आप राजस्थान में एक जगह भी सर्किट हाउस में क्यों नहीं रुकीं? इसलिए उद्घाटन चाहे द्रव्यवती नदी के नाम से हो, चाहे मेट्रो का कर दो जो अंडरग्राउंड अभी हुआ ही नहीं है उसका भी कर सकती हैं, ये कुछ भी कर सकते हैं, क्योंकि मुख्यमंत्री जी पूरी तरह से घबरा गई हैं.
महाराष्ट्र के वर्धा में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद जयपुर पहुंचे अशोक गहलोत ने एयरपोर्ट पर वसुंधरा राजे पर हमला जारी रखते हुए कहा कि जो सीएम पब्लिक को फेस नहीं कर पा रही हैं, जो काले झंडे दिखाने मात्र से लोगों को अरेस्ट करवा रही हैं, जो सीएम कहती हैं कि जब मैं निकलूंगी तो छतों पर कोई खड़ा नहीं होगा. इतना डर उनके अंदर है वो कैसे शासन कर सकती हैं?
आगे उन्होंने कहा, मैं समझता हूं कि शासन करने का अधिकार मुख्यमंत्री ने खो दिया है. ऐसा पहली बार देखा है कि चुनाव के पहले हर वर्ग हड़ताल पर है. कर्मचारी हड़ताल पर जा चुके है और सरकार कह रही है कि हम गौरव मना रहे हैं. किस बात का गौरव मना रहे हैं- मुख्यमंत्री जवाब दें इस बात का.
कांग्रेस महासचिव के मुताबिक, हाहाकार मचा हुआ है और राजे नरेंद्र मोदी जी के भरोसे बैठी हुई हैं कि मोदीजी आएंगे और पिछली बार की तरह माहौल बनेगा. लेकिन माहौल अब बनने वाला नहीं है. पिछली बार लोगों को लगा कि जैसे मोदीजी आसमान के तारे तोड़कर ले आएंगे, लेकिन जमीं पर पर कुछ भी नहीं हुआ. उनके सारे वादे झूठे साबित हुए.
गहलोत ने कहा कि बीजेपी को पिछले चुनावों में 163 सीटों का भारी बहुमत मिला. जनता की आशाएं-विश्वास उसी के अनुरूप था. लेकिन क्या कारण था कि साढ़े चार साल तक सीएम गायब रहीं? हेलीकॉप्टर में घूमती रहीं? वे सात-सात दिन तक धौलपुर महल के अंदर रहती हैं, दिल्ली में रहती हैं. जयपुर में तो वे एक टूरिस्ट की तरह आती रहीं या आईं तो किसी से मिली ही नहीं. ये तमाम बातें आम लोगों के जेहन में है.